8 दिसंबर 2025,

सोमवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मन-वचन और काय की एकरूपता ही उत्तम आर्जव

मुनि सुप्रभ सागर के प्रवचन... मुनष्य को जीवन में सरल होना चाहिए। सरल सिर्फ दिखने में नहीं मन और वचन से भी। इन तीनों में एकरुपता के साथ हम अपने जीवन को जिए।

less than 1 minute read
Google source verification

image

BK Pathe

Sep 08, 2016

 muni Suprb sagar

muni Suprb sagar

छिंदवाड़ा. मुनष्य को जीवन में सरल होना चाहिए। सरल सिर्फ दिखने में नहीं मन और वचन से भी। इन तीनों में एकरुपता के साथ हम अपने जीवन को जिए। जैसे हैं वैसे दिखें उसमें कोई नाटकीयता न हो। यही उत्तम आर्जव धर्म है। पूर्यूषण पर्व के तीसरे दिन सकल जैन समाज ने उत्तम आर्जव धर्म की आराधना की।

इस मौके पर गुलाबरा स्थित ऋषभ नगर में भी विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। दशलक्षण के इस महापर्व पर विद्वानों के प्रवचन भी चल रहे है। यहां मुनि सुप्रभ सागर ने धर्मावलंबियों को इस मौके पर प्रवचन दिए। उन्होनंे कहा कि हम बनावटी जीवन जीते हैं। सरलता से हम जीना नहीं चाहते।

हम जो हैं वह नहीं कुछ और दिखाना चाहते हैं। एेसे में जो हम हैं वह जी नहीं पाते और जो दिखना चाहते हैं वैसे बन नहीं पाते। दुविधा में दोनों तरफ से हाथ गंवा बैठते हैं। गुलाबरा स्थित जैन मंदिर में सुबह से बच्चे, युवा, महिला, पुरुष, बुजुर्ग सभी भगवान की आराधना में लीन रहते हैं। मंत्रों से पूजा अर्चना के बाद दिनभर प्रवचनों की श्रृंखला चल रही है। शाम को धर्म पर आधारित विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी प्रस्तुत किए जा रहे हैं।

ये भी पढ़ें

image