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Wildlife: चहलकदमी के मौसम में कहीं भी सुनाई पड़ सकती है बाघ-तेंदुआ की दहाड़

-जंगलों से निकलकर आवासीय इलाकों में आसान शिकार की तलाश -अब तक दो मानवीय हमले की घटनाएं दर्ज

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बाघ के हमले से एक व्यक्ति की मौत और दूसरे के घायल होने की मानवीय घटनाएं हाल ही में सुनाई दी हैं। इससे साफ है कि ठंड के मौसम में हिंसक बाघ और तेंदुआ आवासीय इलाकों में आसान शिकार की तलाश में निकल पड़े हैं। ये समय उनकी चहलकदमी का माना जाता है। कोई भी कभी इनका शिकार बन सकता है।
वन विभाग के अधिकारी मान रहे हैं कि जंंगलों में जनसंख्या के दबाव से घास भूमि न बचने से हिरण, खरगोश समेत अन्य शाकाहारी पशुओं की कमी हो गई है। यही हिंसक वन्य प्राणियों का भोजन है। अब ये आवासीय क्षेत्र में घरेलू जानवरों को अपना शिकार कर रहे हैं। वर्ष 2023 में चंद्रिकापुर में एक चरवाहा और तामिया के पास एक 23 वर्षीय युवती शिकार बनी थी। इसके बाद भी लगातार घटनाएं हो रही हंै। दो साल बाद 2025 के इस जनवरी माह की 14 जनवरी को सौंसर अनुभाग क्षेत्र की घोराड़ बीट के जंगल में बाघ ने एक किसान गुलाब वरखड़े पिल्कापार का शिकार किया। इससे उसने दम तोड़ दिया। दूसरे केस में खमारपानी रेंज के कोकीवाड़ा बीट में बुद्धिमान पिता चतुर उइके पर भी बाघ ने हमला कर दिया। उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया।

11815 किमी वर्ग में 30 फीसदी जंगल

देखा जाए तो छिंदवाड़ा/पांढुर्ना जिले में कुल 11815 वर्ग किमी क्षेत्र में जंगल का हिस्सा 30 फीसदी है। तीन वनमंडल पूर्व, पश्चिम और दक्षिण की सीमा में इस बाघ के कुनबे की अनुमानित संख्या इस समय 50 से अधिक है। वर्ष 2018 में ही 48 टाइगर की मौजूदगी के साक्ष्य मिले थे।

कुंभपानी बिछुआ से लेकर झिरपा तक वन्यप्राणी

पेंच पार्क के बफर जोन में ग्राम कुम्भपानी और बिछुआ रेंज के एक हिस्से में टाइगर का मूवमेंट है तो वहीं चोरई के हलाल से जुड़े जंगल मे बाघ की दहाड़ सुनाई देती है। इसके अलावा परासिया, तामिया और झिरपा से जुड़े सतपुड़ा टाइगर रिजर्व के बफरजोन में भी यह वन्य प्राणी दखल है। दक्षिण में सिल्लेवानी और सौंसर का जंगल टाइगर के लिए महफूज है। इन इलाकों में आए दिन बाघ-तेंदुआ की दहाड़ सुनाई दे रही है।

पोआमा में पिंजरे में फंसा था तेंदुआ, रेस्क्यू कर छोड़ा

दो माह पहले पोआमा आंचलिक वानिकी अनुसंधान केंद्र में एक सप्ताह से भ्रमण कर रहे तेंदुआ को पिंजरे में पकड़ा गया और उसका रेस्क्यू कर उसे पेंच नेशनल पार्क के जमतरा गेट में छोड़ा गया। इसी तरह दूसरे वन्य प्राणी सांवरी परिक्षेत्र में भी भ्रमण करते रहे। इसके अलावा सौंसर के इलाके में भी बाघ-तेन्दुआ का भ्रमण बना हुआ है।