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Chitrakoot Jail Shootout Case में खुला कुख्यात बदमाशों से जुड़ा बड़ा राज, बीस हजार रुपये महीना देकर जेल में लेते थे यह सुविधाएं

locationचित्रकूटPublished: May 20, 2021 03:49:38 pm

Chitrakoot Jail Shootout: चित्रकूट जिला जेल साल 2018 से संचालित हुई थी। इसके एक साल के बाद से ही 2019 से जेल परिसर के सिस्टम को लेकर अधिकारियों और बंदीरक्षकों पर गंभीर आरोप लगने शुरू हो गए थे।

चित्रकूट जेल शूटआउट में खुला कुख्यात बदमाशों से जुड़ा बड़ा राज, बीस हजार रुपये महीना देकर जेल में लेते थे यह सुविधाएं

चित्रकूट जेल शूटआउट में खुला कुख्यात बदमाशों से जुड़ा बड़ा राज, बीस हजार रुपये महीना देकर जेल में लेते थे यह सुविधाएं

चित्रकूट. Chitrakoot Jail Shootout: जिला जेल रगौली में गैंगवार और पुलिस मुठभेड़ को लेकर कई एजेंसियां जांच कर रहीं है। वारदात के छह दिन बाद भी जांच से जुड़ा कोई भी अधिकारी कुछ भी नहीं बोल रहा है। इसी बीच जेल के अंदर दवा, किराने का सामान, कैंटीन संचालन के लिए जेल प्रशासन और बंदी रक्षकों पर मोटी कमीशन लेने के आरोप लगे हैं। इसकी शिकायतें भी सीएम योगी से लेकर एडीजी तक की जा चुकी है। आरोपों के मुतबिक कुख्यात बदमाश अंशू दीक्षित और मेराज अली से हर महीने मोटी रकम लेकर उन्हें बैरक की जगह अस्पताल में रखा जाता था।
लग रहे हैरान करने वाले आरोप

दरअसल चित्रकूट जिला जेल साल 2018 से संचालित हुई थी। इसके एक साल के बाद से ही 2019 से जेल परिसर के सिस्टम को लेकर अधिकारियों और बंदीरक्षकों पर गंभीर आरोप लगने शुरू हो गए थे। कई बार मुख्यमंत्री, कारागार मंत्री, एडीजी जेल और मानवाधिकार आयोग तक को पत्र लिखकर जेल के अंदर हो रही अनियमितता की मार्च 2021 तक छह बार शिकायत की गई। इसी क्रम में जो नया और हैरान करने वाला आरोप लगा है उसके मुताबिक जेल अधीक्षक और जेलर पर 20 हजार रुपये महीना लेकर कुख्यात बंदियों को बैरक की जगह जेल अस्पताल में भर्ती करा दिया जाता है। जेल में बंद माफिया मुख्तार अंसारी के रिश्तेदार मेराजुददीन उर्फ मेराज अली और अंशू दीक्षित उर्फ सुमित को भी यह सुविधा मिल रही थी। कहने को दोनों को हाई सिक्योरिटी बैरक में रखा गया था, लेकिन जब इनकी मर्जी होती थी बैरक से निकलकर अस्पताल परिसर में रहते थे। यहीं टहलते रहते थे और इलाज कराने आने वाले अन्य बंदियों से बातचीत करते रहते थे। इसके अलावा बाहर से आने वाले नए बंदियों की कमान काटने के लिए पांच हजार रुपये वसूले जाने के भी आरोप लगे हैं। इन सब शिकायतों के बाद भी किसी स्तर से स्थलीय जांच नहीं कराई गई।
बयान दर्ज कराने नहीं आया कोई

वहीं इस बारे में तत्कालीन जांच अधिकारी वरिष्ठ जेल अधीक्षक (प्रयागराज) पीएन पांडेय का कहना है कि शिकायत करने वालों को बयान देने के लिए कई बार प्रयागराज बुलाया गया, लेकिन कोई बयान दर्ज कराने नहीं आया। वहीं शिकायतकर्ताओं का कहना है कि कोरोना संक्रमण काल होने के चलते चित्रकूट में ही आकर बयान दर्ज करने की गुजारिश की गई, लेकिन अधिकारियों ने हमारी बात नहीं सुनी।
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