30 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

पितृ पक्ष विशेष “दशरथ घाट” जहां राम ने किया था पिता का श्राद्ध आज भी मौजूद हैं…..

भगवान राम की तपोभूमि में कई ऐसे स्थान हैं जहां राम के वनवासकाल के प्रमाण आज भी मौजूद हैं.

2 min read
Google source verification
पितृ पक्ष विशेष

पितृ पक्ष विशेष

चित्रकूट: भगवान राम की तपोभूमि में कई ऐसे स्थान हैं जहां राम के वनवासकाल के प्रमाण आज भी मौजूद हैं. कहा जाता है कि राम सीता व लक्ष्मण के पांव के नीचे आए हुए पत्थर भी पिघल जाते थे उनमें उनके चरण चिन्ह बन जाते थे. कुछ ऐसा ही दिखता है आज भी उन इलाकों के पत्थरों में जहां मान्यता है कि वनवासकाल के दौरान राम ने उक्त स्थानों पर कुछ समय के लिए प्रवास किया था. ऐसा ही एक स्थान है "दशरथ घाट" जहां राम ने अपने पिता राजा दशरथ का श्राद्ध किया था. तभी से इस स्थान का नाम दशरथ घाट पड़ा. आज भी यहां के पत्थरों पर एक विशेष प्रकार के चरणचिन्ह दिखाई पड़ते हैं. हालांकि मार्ग सुगम न होने और पहचान के अभाव में ऐसे महत्वपूर्ण स्थल देश दुनिया के मानचित्र के पटल से आज भी लुप्त हैं.

पिता दशरथ द्वारा 14 वर्ष के वनवास की आज्ञा का पालन करने हेतु जब राम सीता व लक्ष्मण ने अयोध्या से प्रस्थान किया और प्रयागराज पहुंचे. जहां भरद्वाज मुनि की आज्ञा से वे चित्रकूट की ओर चले. कहा जाता है कि चित्रकूट पहुंचने से पहले विन्ध्य पर्वत श्रृंखला के बीच स्थित करका पहाड़ की प्राकृतिक गुफाओं, कल कल बहती जल धाराओं ने राम के कदम रोक लिए। राम को यह स्थान इतना भाया कि वह सीता और लखन के साथ यहीं ठहर गए। करका की इस पहाड़ी में आज भी वह गुफा देखी जा सकती है जिसमें राम और सीता ने कुछ दिन निवास किया था. वर्तमान में यह स्थान जनपद मुख्यालय से लगभग 60 किलोमीटर दूर स्थित है.


धर्मिक पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इसी दौरान राम को उनके पिता अयोध्या नरेश दशरथ की मृत्यु का समाचार मिला था. जिसके बाद उन्होंने इसी स्थान पर विंध्य पर्वत से निकलने वाले झरने से पिता को श्रद्धांजलि अर्पित की और श्राद्ध किया. तभी से यह स्थान दशरथ घाट के नाम से जाना जाता है। कहते हैं इस स्थान में श्राद्ध करने वाले के पितरों को मुक्ति मिल जाती है और उसके मातृ और पितृ पक्ष के मृतकों की किसी कारण वश भटक रही आत्माएं भी मुक्त हो स्वर्ग में स्थान पा जाती हैं.