
चित्तौड़गढ़।डीसीपीओ जयमल राठौड़, लोक सेवा आयोग के सदस्य बाबूलाल कटारा, कांस्टेबल सुमित कुमार जैसे....। इस फेरिस्त में एक दर्जन से ज्यादा ऐसे अधिकारी है जिन्होंने बरसों तक उदयपुर सहित मेवाड़ के विभिन्न जिलों में सरकारी नौकरी करते हुए खूब अवैध धन बटोरा।
भ्रष्टाचार का मकड़जाल बुनते हुए इन अधिकारियों ने सरकारी सिस्टम में रहकर पद का खूब दुरुपयोग किया। ऊपरी कमाई से करोड़ों की परिसंपत्तियां अपने व परिजनों के नाम अर्जित की। महंगे शौक के चलते इनके पास लग्जरी गाड़ियां, रिसोर्ट, सोना-चांदी, लाखों का केश, जमीन, फॉर्म हाउस से लेकर वे सभी चीजें मिली जो एक सामान्य सरकारी अधिकारी पूरी नौकरी करने के बाद भी हासिल नहीं कर पाता।
एसीबी के हत्थे ऐसे कई अधिकारी चढ़े हैं जो सरकारी सिस्टम में रहकर करोड़पतियों की सूची में शामिल हो गए। सिस्टम में कमी के कारण इन लोगों ने सरकारी कामों को पूरा करवाने के लिए रिश्वत के साथ करोड़ों की सम्पत्तियां बना ली।
एसीबी के पिछले दो साल के रिकॉर्ड की बात करे तो छह सरकारी अधिकारी तो करोड़पति निकले। इन सब अधिकारियों पर एक कांस्टेबल तो इतना भारी पड़ा कि उदयपुर में नौकरी करते हुए 11.50 करोड़ का आसामी बन गया। यह अभी फरार है, दूसरों के विरुद्ध अभी जांच जारी है।
आय से अधिक सम्पत्तियों के इन मामलों में बरसों तक जांच लम्बित रहती है। इसके चलते कई जांच अधिकारी बदल जाते हैं तो कई आरोपी नौकरी पूरी कर रिटायर्ड हो जाते हैं, तो कोई दुनिया से चला जाता है। आय से अधिक सम्पत्तियों के आंकड़ों पर नजर डाली तो अब तक इन मामलों में बड़ी कार्रवाइयों के साथ जांच हुई, लेकिन सम्पत्तियां अटैच नहीं हुई और न हीं किसी सजा हुई।
Published on:
07 Nov 2024 03:04 pm
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