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त्रिवेणी संगम पर बना है प्राचीन रुण्डेश्वर महादेव मंदिर

बस्सी. ग्राम पंचायत गिलुंड में गंभीरी नदी के तट पर त्रिवेणी संगम पर बना है प्राचीन रुण्डेश्वर महादेव मंदिर। गिलुण्ड गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर गंभीरी नदी के तट पर बने प्राचीन रुण्डेश्वर महादेव मंदिर आसपास के क्षेत्र में धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र है।

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त्रिवेणी संगम पर बना है प्राचीन रुण्डेश्वर महादेव मंदिर

त्रिवेणी संगम पर बना है प्राचीन रुण्डेश्वर महादेव मंदिर

प्रतिवर्ष सावन महीने में होता है रामायण पाठ
बस्सी. ग्राम पंचायत गिलुंड में गंभीरी नदी के तट पर त्रिवेणी संगम पर बना है प्राचीन रुण्डेश्वर महादेव मंदिर। गिलुण्ड गांव से करीब 2 किलोमीटर दूर गंभीरी नदी के तट पर बने प्राचीन रुण्डेश्वर महादेव मंदिर आसपास के क्षेत्र में धार्मिक आस्था का बड़ा केंद्र है। यह मंदिर गंभीरी नदी और बरसाती नाले के त्रिवेणी संगम पर बना हुआ है, यहां पर प्रतिवर्ष सावन महीने में रामायण पाठ किया जाता है।
रुण्डेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के अध्यक्ष कल्याणसिंह सोलंकी ने बताया कि यहां पर स्थापित शिवलिंग यही गंभीरी नदी में खुदाई के दौरान उत्पन्न हुए थे, जिनको बाद में ग्रामीणों ने मंदिर का निर्माण कर विधिवत स्थापित किया गया था, गंभीरी नदी के तट पर करीब 100 वर्ष पूर्व यहां शिव भगवान के मंदिर की स्थापना की गई थी। करीब 25 वर्ष पूर्व रुण्डेश्वर महादेव मंदिर परिसर में हनुमान मंदिर एवं माताजी के मंदिर की स्थापना की गई, मंदिर परिसर में श्रद्धालुओं के बैठने के लिए सराय भी बनी हुई है मंदिर परिसर में हरे भरे पेड़ पौधों एवं कलकल बहती गंभीरी नदी के तट पर बना होने के कारण यह स्थान बहुत ही रमणीय एवं सुहावना लगता है ।
मंदिर में गिलुंड, भाटियो का खेड़ा, फाचर सौलंकी, पेमडिया का खेडा, टाई, ऊखलिया, सरथल, मायरा, शंभूपुरा, ठीकरिया, बामणिया आदि गांवों के श्रद्धालुओं द्वारा समय-समय पर सहयोग किया जाता है। दूर-दूर क्षेत्रों से श्रद्धालु यहां पर दर्शनों के लिए पहुंचते हैं।
चित्तौडग़ढ़ जिला मुख्यालय से यह स्थान करीब 21 किलोमीटर एवं शंभूपुरा से 7 किलोमीटर दूर है। गुरु पूर्णिमा एवं महाशिवरात्रि पर यहां प्रतिवर्ष बड़े आयोजन होते है, अभी सावन महीने में प्रतिदिन श्रद्धालु रुण्डेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिदिन अभिषेक और पूजा अर्चना करने के लिए पहुंच रहे हैं वर्तमान में प्रतिदिन यहां पर रामायण पाठ किया जा रहा है।
ग्राम पंचायत गिलुंड के हुक्मीचंद चोपड़ा ने बताया कि यह स्थान काफी प्राचीन है इसीलिए इसकी मान्यता आसपास के क्षेत्र में सर्वाधिक है और यहां पर लोगों के कई काम भी सिद्ध हुए हैं, जो भी भगवान शिव में आस्था लेकर यहां पर जो भी मांगता है उसकी आस जरूर पूरी होती है। ग्राम पंचायत गिलुण्ड द्वारा मंदिर में आने वाले समय में विकास कार्य करवाने पर विचार कर रही है।