
- जौहर श्रद्धांजलि समारोह में दिया संस्कृति एवं शिक्षा पर जोर
चित्तौडग़ढ़. केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने कहा है कि चित्तौडग़ढ़ करामाती जगह है और यहां पर त्याग, बलिदान, भक्ति एवं दान का अनूठा संगम है।
शेखावत शनिवार को यहां दुर्ग स्थित फतेहप्रकाश महल में आयोजित जौहर श्रद्धांजलि समारोह को सम्बोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा कि हमें देश के विकास में योगदान देना चाहिए ताकि आने वाली पीढ़ी को भी इतिहास हमारे योगदान की जानकारी मिल सके।
हमारा इतिहास हमको जीना सीखाता है- खाचरियावास
समारोह को सम्बोधित करते हुए प्रभारी मंत्री प्रतापसिंह खाचरियावास ने कहा कि हमारा इतिहास हमको जीना सीखाता है। इसलिए हमें हमारे इतिहास से प्रेरणा लेनी चाहिए।
उन्होंने कहा कि हमारी धर्म एवं संस्कृति को बचाने के लिए हम सब को एक होने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि हमें समझदारी से काम लेने की जरूरत है। हमे हमारा व्यवहार, मर्यादा सब हमारे पूर्वजों के बलिदान को ध्यान में रखकर करना चाहिए। उन्होंने समाज के युवाओं से शिक्षित हो आगे बढऩे का आह्वान किया। मारवाड़ जक्शन विधायक खुशवीर सिंह ने सम्बोधित करते हुए राज्य की तर्ज पर ही केन्द्रीय भर्तियों में भी दस प्रतिशत का ईडब्ल्यू एस का आरक्षण देने की मांग उठाई।
समारोह को मेवाड़ राज परिवार के युवराज व्रिवराज सिंह एवं महिमा सिंह ने भी सम्बोधित करते हुए राजपूत समाज को अपने इतिहास के अनुकुल चलने का आह्वान किया। इस मौके पर मेवाड़ राजघराने की महारानी निरूपपा देवी, पंजाब के पूर्व राज्यपाल वी.पी. सिंह, सांसद सी.पी.जोशी, विधायक नरपत सिंह राजवी, श्रीचंद कृपलानी, चन्द्रीाान सिंह, रणधीर सिंह, आदि भी मौजूद थे। सभी अतिथियों का जौहर स्मृति संस्थान के अध्यक्ष राव नरेन्द्र सिंह, उपाध्यक्ष शक्ति सिंह, निर्मला कंवर राठौड़ आदि ने किया। इस मौके पर राजपूत एवं अन्य समाज के बड़ी संख्या में लोग मौजूद थे।
भारत का इतिहास मेवाड़ बिना अधूरा
तारागढ़ बाड़मेर धाम के महंत प्रतापपुरी महाराज ने कहा कि भारत का इतिहास मेवाड़ के इतिहास के बिना अधूरा हे। यहां का इतिहास सेवा, समर्पण, त्शग, बलिदान एवं भक्ति का इतिहास है। उन्होंने कहा कि जो कर्तव्य का बोध एवं पालना करेगी वहीं पथ प्रदर्शक एवं प्रेरणाप्रद बनेगा।
समारोह को सम्बोधित करते हुए कुशालगिरी महाराज ने कहा कि जिस तरह से देश में बलियां बंद हुई है उसी तरह से जीव हत्या पर भी रोक लगनी चाहिए। एक देश में दो कानून नहीं होने चाहिए। देश में आज भी अंग्रेजों के जमाने का कानून है। समारोह को साहित्यकार ओमेन्द्र सिंह रत्नू ने सम्बोधित किया।
Published on:
18 Mar 2023 11:11 pm
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