
राजस्थान सरकार की ‘पन्नाधाय बाल गोपाल योजना’ बजट की कमी के चलते डिब्बाबंद हो गई है। दक्षिणी राजस्थान के कई जिलों के हजारों स्कूली बच्चों को इस साल फरवरी के बाद से दूध मिलना बंद हो गया। स्थिति यह है कि कई शिक्षकों को योजना का खर्च अपनी जेब से उठाना पड़ा, लेकिन अब वे भी थक चुके हैं।
योजना की शुरुआत पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार ने मुख्यमंत्री बाल गोपाल योजना के नाम से 29 नवंबर, 2022 को की थी। वर्तमान सरकार ने इसका नाम बदलकर पन्नाधाय बाल गोपाल योजना किया। योजना का मकसद था कि कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को दूध पिलाकर उनके पोषण स्तर में सुधार और स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाई जा सके। सप्ताह में 6 दिन कक्षा 1-5 के बच्चों को 150 मिलीलीटर और 6-8 के बच्चों को 200 मिलीलीटर दूध देना था। दूध पाउडर की आपूर्ति आरसीडीएफ (राज्य सहकारी डेयरी फेडरेशन) की ओर से करनी तय थी।
शिक्षकों का कहना है कि शुरू में उन्होंने अपने स्तर पर चीनी, गैस आदि का प्रबंध कर बच्चों को दूध उपलब्ध कराने की कोशिश की, लेकिन फंड नहीं मिलने से अब वे असहाय हैं। बच्चों को कई बार खाली हाथ लौटना पड़ता है। खासकर, दक्षिण राजस्थान के पिछड़े इलाकों में यह योजना कारगर साबित हो सकती थी।
बामनपाड़ा उच्च माध्यमिक विद्यालय में कक्षा 1 से 8 तक 185 छात्र हैं। मार्च 2025 के बाद एक बार भी दूध नहीं मिला। ढारमा उच्च प्राथमिक विद्यालय में 97 छात्र-छात्राएं हैं। यहां 20 जनवरी के बाद से दूध नहीं आया।
रामनगर गांधी बस्ती घाटोल के स्कूल में 10 मार्च 2025 से दूध पूरी तरह बंद है। नए सत्र में भी आपूर्ति नहीं हुई।
Published on:
16 Aug 2025 08:59 am
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