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आसमान से बरसीं अन्नदाता पर आफत

अन्नदाता को कभी फसल में रोगों की मार तो कभी मौसम का दगा झेलना पड़ रहा है। अब आसमान से आफत बनकर बरसीं बारिश ने खेतों पर कटी पड़ी सोयाबीन की फसल को बर्बाद कर दिया है। खरीफ की अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है। अचानक हुए इस नुकसान से किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीरें खिंच गई है। सहकारिता मंत्री ने जिला कलक्टर को फसल खराबे का सर्वे करवाने के निर्देश दिए हैं।

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आसमान से बरसीं अन्नदाता पर आफत

आसमान से बरसीं अन्नदाता पर आफत

चित्तौडग़ढ़
अन्नदाता को कभी फसल में रोगों की मार तो कभी मौसम का दगा झेलना पड़ रहा है। अब आसमान से आफत बनकर बरसीं बारिश ने खेतों पर कटी पड़ी सोयाबीन की फसल को बर्बाद कर दिया है। खरीफ की अन्य फसलों को भी नुकसान हुआ है। अचानक हुए इस नुकसान से किसानों के माथे पर चिन्ता की लकीरें खिंच गई है। सहकारिता मंत्री ने जिला कलक्टर को फसल खराबे का सर्वे करवाने के निर्देश दिए हैं।
जिले के अधिकांश इलाकों में किसानों ने सोयाबीन की फसल काट ली है। कटी हुई फसल अभी खेतों पर ही पड़ी है। पिछले दो दिन में जिले भर में हुई बारिश ने खेतों पर पड़ी सोयाबीन की कटी फसल को तबाह कर दिया है। इससे किसानों को भारी नुकसान हुआ है। हालत यह है कि कई जगहों पर तो खेत जलमग्न हो गए हैं। जिले में बेगूं, घोसुण्डा, गंगरार, भैंसरोडग़ढ़, निम्बाहेड़ा, कपासन आदि इलाकों में हल्की और तेज बारिश से मक्का, उड़द व मंूग की फसल को भी नुकसान हुआ है। पानी से फसलों की गुणवत्ता प्रभावित होगी। गंगरार क्षेत्र के तुम्बडिय़ा गांव में किसान रमेश पुत्र भैरू धाकड़, गंगाराम पुत्र कालू, रतन पुत्र भोना धाकड़ के खेत जल मग्न हो गए हैं। वहां सोयाबीन की कटी हुई फसल भी जलमग्न हो गई है। इधर बारिश को लेकर फसलों को हुए नुकसान को लेकर सरकारी स्तर पर जानकारी जुटाने का काम शुरू हो गया है। फसलों को कितना नुकसान हुआ है, यह आंकड़ा सरकारी स्तर पर तैयार नहीं हुआ है, लेकिन किसान साठ से सत्तर प्रतिशत तक का नुकसान होने की बात कह रहे हैं।

९६ हजार ७०० हैक्टेयर में तबाह हुई फसलें
जिले में शुक्रवार व शनिवार को हुई बारिश से सर्वाधिक नुकसान भदेसर व बेगूं क्षेत्र में हुआ है। यहां १४ हजार ८०० हैक्टेयर में मक्का की बुवाई हुई थी, इसमें से ६ हजार ५०० हैक्टेर क्षेत्र में फसल को २२ से २८ प्रतिशत नुकसान बताया जा रहा है। जबकि मंूगफली में ५ हजार ५०० हैक्टेयर क्षेत्र में पच्चीस से तीस प्रतिशत, सोयाबीन में २२५० हैक्टेयर में तीस से पैंतीस प्रतिशत नुकसान का आकलन कृषि विभाग ने किया है। चित्तौडग़ढ़ में ५१९० हैक्टेयर, बस्सी में ३७७५ हैक्टेयर, निम्बाहेड़ा में ९ हजार ७३५, भदेसर में १६ हजार ४१५ हैक्टेयर, बड़ीसादड़ी में ११ हजार २५ हैक्टेयर, डूंगला में ९ हजार ७८५ हैक्टेयर, कपासन में ६ हजार ४००, भोपालसागर में ३ हजार ८५, राशमी में ५५७०, गंगरार में २८२५ व रावतभाटा में ८ हजार ५५० हैक्टेयर क्षेत्र में ज्वार, मक्का, उड़द, मूंगफली, सोयाबीन व कपास की फसल में नुकसान हुआ है। सर्वाधिक नुकसान सोयाबीन की फसल में हुआ है। जिले में इस बार कुल ३ लाख ३४ हजार २१० हैक्टेयर क्षेत्र में खरीफ फसलों की बुवाई की गई है। इसमें से दो दिन हुई बारिश से अब तक ९६ हजार ७०० हैक्टेयर क्षेत्र में फसलों को नुकसान हुआ है। कृषि विभाग की ओर से जुटाए गए आंकड़ों के अनुसार अधिकतम पैंतीस प्रतिशत नुकसान हुआ है।

संकट की घड़ी में किसानों के साथ सरकार, करेंगे मदद
इधर सहकारिता मंत्री उदयलाल आंजना ने बारिश से हुए फसलों में खराबे को लेकर कहा कि बारिश होने से किसानों के हाथ में आया निवाला छिन गया है। बाड़ी मानसरोवर व गंभीरी बांध के गेट भी खोलने पड़ गए। आंजना ने कहा कि मुश्किल की इस घड़ी में सरकार किसानों के साथ है। किसानों की हर संभव मदद की जाएगी। उन्होंने किसानों को सलाह दी है कि वह ई-मित्र पोर्टल या बीमा कंपनी को नुकसान की सूचना दर्ज करवाएं। जिन किसानों ने प्राइवेट बैंक से केसीसी या सहकारी बैंक से ऋण ले रखा है, वे किसान ई-मित्र पोर्टल पर या बीमा कम्पनी के टोल फ्री नंबर 18002005142 चित्तौडग़ढ़, 18001024088 प्रतापगढ़ पर कॉल करके नुकसान की सूचना दर्ज करवाएं।

खराबे को लेकर सर्वे के निर्देश
सहकारिता मंत्री ने कहा कि चित्तौडग़ढ़ व प्रतापगढ़ के जिला कलक्टर को फसल खराबे को लेकर सर्वे करवाने के निर्देश दिए हैं।

फसलों को हुआ है नुकसान
जिले में दो दिन हुई बारिश से ९६ हजार ७०० हैक्टेयर क्षेत्र में फसलों को नुकसान हुआ है। सर्वाधिक सोयाबीन की फसलें प्रभावित हुई है। हालाकि सर्वे का कार्य राजस्व विभाग करता है।
डॉ. शंकरलाल जाट, उप निदेशक कृषि विस्तार चित्तौडग़ढ़


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