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गुरू का मिला आशीर्वाद तो कैसे मिली जीवन में सफलता

  अधिकारियों व जनप्रतिनिधियों के जीवन में गुरू की भूमिकागुरू के बिना जीवन में नहीं कर सकते प्रगतिमाता-पिता जीवन में प्रथम गुरू

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गुरू का मिला आशीर्वाद तो कैसे मिली जीवन में सफलता

चित्तौडग़ढ़. जीवन में ज्ञान अर्जित करने के लिए गुरू का होना जरूरी है। उनके बिना जीवन में सफलता की कामना नहीं की जा सकती। भारतीय संस्कृति में वैदिेक काल से गुरूओं का स्थान भगवान (गोविन्द) से भी ऊंचा माना गया है। कहा भी गया है कि गुरू बिना ज्ञान कहां से आए। गुरू ही हमेशा मार्गदर्शक की भूमिका निभाते है। चित्तौडगढ़़ के राजनीतिक व प्रशासनिक क्षेत्र के प्रभावशाली व्यक्तियों के जीवन में गुरूओं की क्या भूमिका है और उनकी सफलता में क्या योगदान रहा ये जानने का प्रयास किया गया। किसी के लिए उनके माता-पिता ही सबसे बड़े गुरू रहे तो किसी की नजर में पेशेवर क्षेत्र में आगे बढ़ाने वाले व्यक्ति गुरू रहे

माता-पिता ही सबसे बड़े गुरू
जीवन में गुरू का महत्व सर्वाधिक है। मेरी माता सुजाता व पिता आरजी स्वर्णकार ही मेरे सबसे बड़े गुरू है जो बचपन से लेकर अब तक हर कदम पर मार्गदर्शन करते आए है। आज जिस जगह मैं हूं उसमें भी माता-पिता के मार्गदर्शन का ही सबसे बड़़ा योगदान है। गुरू ही जीवन में आगे बढऩे की प्रेरणा देते है। वैसे जीवन में कोर्ई एक गुरू नहीं रहा समय के साथ हमेशा ये बदलते रहे। सभी का जीवन की सफलता में योगदान रहा है।
शिवांगी स्वर्णकार, जिला कलक्टर, चित्तौैडग़ढ़

गुरू से मिली सीख को किया आत्मसात
जीवन में गुरू का महत्व सर्वाधिक है। जीवन के हर क्षेत्र में उनसे सीखने को मिला और आगे बढऩे के लिए मार्गदर्शन मिला। गुरू ने जो सिखाया उसे पूरी विनम्रता से स्वीकार किया और जीवन में आत्मसात करने का प्रयास किया। गुरू पूर्णिमा मनाने की सार्थकता इसी में है कि गुरूओं के प्रति हम सम्मान रखे और उनसे जो सीखा उसे जीवन में उतारे।
अनिल कयाल, पुलिस अधीक्षक, चित्तौैडग़ढ़

नहीं भूल सकता आध्यात्मिक गुरूओं को
मुझे जीवन में अध्यात्म क्षेत्र की तरफ अग्रसर करने में दो गुरूओं का सर्वाधिक योगदान रहा जिन्हें कभी नहीं भूला सकता। पार्थसारथी राजगोपालचार्य व उसके बाद कमलेश पटेल (दाजी) मेरे अध्यात्मिक गुरू रहे। गुरू हमारे जीवन को नई दिशा देते है एवं हमे अपने लक्ष्य तक पहुंचने के लिए प्रेरित करते है। गुरू के बिना जीवन में सफलता नहीं मिल सकती।
मुकेश कुमार कलाल, अतिरिक्त जिला कलक्टर (प्रशासन), चित्तौैडग़ढ़

गुरू के बिना सफलता कहा
गुरू के बिना जीवन में आगे बढऩे की कल्पना भी नहीं हो सकती। गुरू ही हमेशा मार्गदर्शन करते है ओर संकट के समय सहायक बनकर आते है। बचपन से लेकर अब तक गुरूओं ने हमेशा आगे बढऩे के लिए प्रोत्साहित किया। समय के साथ गुरू बदलते रहे लेकिन जीवन में किसी का भी महत्व कम नहीं रहा।
चन्द्रभान सिंह आक्या, विधायक, चित्तौैडग़ढ़

गुरू ही देते हौंसला व मार्गदर्शन
जीवन में सफलता बिना गुरू हासिल नहीं हो सकती। घर में माता-पिता प्रथम गुरू होते है तो स्कूल में शिक्षक गुरू के रूप में मार्गदर्शन देते है। बाद में हम जिस भी क्षेत्र में जाते है वहां भी किसी को मन से गुरू मान उससे प्रेरणा प्राप्त करते है तो सफलता मिलना आसान हो जाता है। मेरे जीवन में गुरूओं का योगदान कभी नहीं भूल सकता और उनका आशीर्वाद मुझे हमेशा सेवा के लिए प्रेरित करता है।
सीपी जोशी, सांसद, चित्तौैडग़ढ़