
गरदुल्लों की रगों में नशे की सुई, कालाबाजारी उठा रही जिम्मेदारों पर सवाल
चित्तौडग़ढ़
चित्तौडग़ढ़ शहर के करीब दो सौ से ज्यादा युवा और प्रौढ़ ड्रग्स माफियाओं के चंगुल में इस कदर फंस चुके हैं कि स्मैक का नशा परवान चढ़ाने के लिए पन्नी के धुएं के साथ नशीला इंजेक्शन लगाए बिना उनकी बेचैनी दूर नहीं होती। शहर में पिछले दो दशक से भी ज्यादा समय से हो रहे नशे के इस खुले धंधे के दुष्परिणाम न तो पुलिस को नजर आ रहे है और न ही कभी औषधि नियंत्रण विभाग की इस पर नजर पड़ी।
समय रहते नकेल नहीं कसने का ही नतीजा है कि अब शहर में स्मैक के साथ ही नशीली ड्रग्स भी बेरोक-टोक मिल रही हैं। नशेबाजों को ड्रग्स के ये इंजेक्शन ब्लेक में बेचे जा रहे हैं। एक गरदुल्ले ने बताया कि वह पिछले करीब बारह साल से स्मैक का नशा करता है। शरीर में अब नशा इस कदर घर कर चुका है कि एक पुडिय़ा स्मैक पीने से भी नशा नहीं आता। इस नशे को बढ़ाने के लिए वह 'पेंटाजोसिनÓ साल्ट का इंजेक्शन खुद ही लगाता है। सुबह और शाम स्मैक पीने के तुरंत बाद वह यह इंजेक्शन खुद ही लगा लेता है, ताकि नशे का वॉल्यूम बढ़ सके। इसके अलावाा गरदुल्ले 'नाइट्राजिपामÓ साल्ट के भी इंजेक्शन लगाकर भी नशा लेते हैं।
असाध्य रोग में होता है उपयोग
'पेंटाजोसिनÓ व 'नाइट्राजिपामÓ साल्ट के इंजेक्शन अमूमन हार्ट के दर्द से राहत दिलाने व कैंसर जैसे असाध्य रोग में दर्द से कुुछ राहत दिलाने के लिए रोगी को लगाए जाते हैं। यह इंजेक्शन शिड्यूल 'एचÓ में आते हैं, इसलिए चिकित्सक की पर्ची के बिना कोई भी दुकानदार इन्हें नहीं बेच सकता और जिन्हें भी बेचता है, उन्हें बिल बनाकर देने की अनिवार्यता है। यदि कोई चिकित्सक की पर्ची के बिना ऐसे इंजेक्शन बेचता है तो यह जुर्म की श्रेणी में आता है। इन दिनों गरदुल्ले नशे के अन्य इंजेक्शनों के साथ ही निर्धारित से अधिक मात्रा में 'एविलÓ इंजेक्शन भी लगा रहे हैं। अधिक मात्रा शरीर में जाने से भी नशे का आभास होता है।
देखते ही दे देते नशीला इंजेक्शन
हालत यह है कि शहर के कई इलाकों में गरदुल्ले को देखते ही नशीला इंजेक्शन दे दिया जाता है। 'पेंटाजोसिनÓ साल्ट के जेनरिक इंजेक्शन पर अंकित मूल्य दस रूपए से भी कम है, लेकिन इसके चालीस से पचास रूपए वसूल किए जाते हैं। गरदुल्लों को भी मजबूरी में इंजेक्शन के मुंह मांगे दाम देने पड़ते हैं।
एचआईवी का भी खतरा
गरदुल्ले जिन निर्जन स्थानों पर स्मैक पीते हैं, वहीं पर खुद को इंजेक्शन लगाकर सीरिंज फेंक देते हैं और अगले दिन उसी सीरिंज का उपयोग कर लेते हैं। ऐसा तब तक चलता है, जब तक कि सीरिंज खराब न हो जाए। इस प्रक्रिया के चलते उन्हें एचआईवी और हेपेटाइटिस के साथ ही सेप्टीसीमिया होने का भी खतरा बढ़ रहा है।
औषधि नियंत्रण विभाग पर सवाल
शहर में ब्लेक में, लेकिन असानी से उपलब्ध हो रहे नशीले इंजेक्शन की बिक्री नियमों से परे जाकर होने के कारण औषधि नियंत्रण विभाग की कार्य प्रणाली पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं। नियंत्रण नहीं होने के कारण ही शहर में चिकित्सक की पर्ची के बिना नशीले इंजेक्शन बेचे जा रहे हैं।
क्या कहते है चिकित्सक
वरिष्ठ फिजीशियन डॉ. मधुप बक्षी ने बताया कि 'पेंटाजोसिनÓ व 'नाइट्राजिपामÓ साल्ट के इंजेक्शन चिकित्सक भी मरीज की बहुत नाजुक स्थिति में ही लिखते हैं। डॉ. बक्षी ने बताया कि स्मैक और अन्य ड्रग्स का शारीरिक और मानसिक प्रभाव होता है। दिमाग की नसों पर इसका प्रभाव पड़ता है। शुरुआत में तो बदन में ताजगी महसूस होती है, लेकिन धीरे-धीरे ये नशा आदमी को अपना गुलाम बना लेता है। बाद में नशा नहीं मिलने पर पसीना, घबराहट, धड़कन बढऩे और नीन्द नहीं आने जैसी शिकायतें होती हैं। मांसपेशियों में असहनीय दर्द होता है। रोग प्रतिरोधक क्षमता कम हो जाती है, इससे कई दूसरी बीमारियां शरीर में घर कर लेती हैं।ं
Published on:
24 Jan 2022 10:50 pm
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