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राजस्थान के इस जिले में मिलने वाले तरबूज और खरबूजे के दीवाने हैं जम्मू कश्मीर के लोग

चंबल के मीठे पानी में पके तरबूज-खरबूज जम्मू-कश्मीर तक जा रहे है।

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चित्तौड़गढ़. चंबल के मीठे पानी में पके तरबूज-खरबूज जम्मू-कश्मीर तक जा रहे है। दरअसल, जिले में रावतभाटा राणा प्रताप सागर बांध का जल स्तर घटने के बाद जावदा क्षेत्र में बड़े पैमाने पर हर साल पेटाकाश्त खेती होती है। यहां का तरबूज और खरबूज जमू और कश्मीर तक भेजा जाता है।

गांधीसागर बांध से पानी छोडऩे पर नदी में लहलहाती फसलें जलमग्न होकर खराब हो जाती थी। पिछले कुछ वर्षों से किसानों ने फसल चक्र में बदलाव कर तरबूज-खरबूज की खेती शुरू कर दी। खेती के पेटर्न में बदलाव से किसानों की आर्थिक स्थिति में भी बदलाव आया है।

भीलवाड़ा जिले से आते हैं किसान

तरबूज-खरबूज की खेती के लिए भीलवाड़ा जिले के बदनोर इलाके से किसान जावदा आकर तीन महीने खेती करते हैं। भीलवाड़ा जिले में बनास किनारे सालों से यह खेती होती आ रही है। पेटा काश्त भूमि किसानों को कब्जाधारी किसान से सालाना रकम पर उपलब्ध होती है। इस साल करीब 800 बीघा में तरबूज-खरबूज लगाए गए हैं।

ज्वार और मूंगफली

चंबल किनारे बसे जवाहर नगर, परलाई में ज्वार और मूंगफली की फसल लहलहा रही है। हरी ज्वार हर दिन पशुओं के चारे में मध्यप्रदेश क्षेत्र में अच्छे दामों पर बिकने जा रही है। मानसून से पहले मूंगफली की फसल तैयार हो जाएगी। किसानों ने तरबूज, खरबूज एवं ककड़ी की बुवाई की है। इस फसल को संवारने के लिए किसान परिवार सहित पेटा काश्त भूमि पर टपरी बनाकर पड़ाव डाले हुए हैं।

किसान भंवर लाल, फोरूलाल, मुकेश ने बताया कि इस बार तरबूज व खरबूजे के बीज काफी महंगे खरीदे। अधिक गर्मी व लू चलने से सिंचाई की आवश्यकता रहने से महंगा डीजल जलाना पड़ा। गर्मी अच्छी पडऩे से तरबूज-खरबूज की खूब मांग है।

खरबूजे की खेती में पेटा काश्त तकनीक

आईसीएआर की ओर से जारी रिपोर्ट के अनुसार पेटा काश्त तकनीक में संरक्षित जल की सीमित उपलब्धता और उच्च मृदा उर्वरता के कारण खरबूजे की फसल में किसी भी प्रकार के उर्वरक का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। इससे खरबूजे की खुशबू और स्वाद अच्छा रहता है। इस तकनीक पर किसानों की लागत कम आती है और मुनाफे में काफी अधिक बढ़ोतरी होती है।

विदेशों में बीज की मांग

खरबूजे से निकलने वाले बीज को मगज के नाम से जाना जाता है। इसकी मांग विदेश तक है। मगज का उपयोग मिठाई को आकर्षक दिखाने के लिए किया जाता है। मिठाई बनाने वाले संस्थान मिठाई तैयार कर उसे आकर्षक व सुंदर बनाने के लिए उस पर खरबूजे के बीज का छिड़काव करते है। वर्तमान में बीज डेढ़ हजार रुपए किलो बिक रहा है। इसके अलावा गर्मी के दिनों में इसका उपयोग ठण्डाई में भी होता है।

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