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चित्तौड़गढ़ के ऐतिहासिक विजय स्तंभ को लेकर बड़ी खबर, कई जगह आई दरारें, पर्यटक मायूस

Vijay Stambh Big News : राजस्थान के विश्व विरासत में शुमार मेवाड़ के चित्तौड़गढ़ दुर्ग में स्थित ऐतिहासिक विजय स्तंभ को लेकर बड़ी खबर। विजय स्तंभ में कई जगह दरारें आईं। देसी विदेशी पर्यटक मायूस हैं। जानें अब क्या होगा।

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Rajasthan Chittorgarh Historic Vijay Stambh Big News Many Places Appear Cracks Tourists Disappointed

Vijay Stambh Big News : विश्व विरासत में शुमार मेवाड़ के चित्तौड़गढ़ दुर्ग का पिछले 576 बरस से इतिहास बयां कर रहे विजय स्तंभ पर अनगिनत दरारें आ गई हैं। विरासत का अस्तित्व खतरे में हैं। इसका अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि 16 मार्च 2020 से इसमें पर्यटकों का प्रवेश बंद कर दिया है। मेवाड़ ही नहीं बल्कि यह देश की सांस्कृतिक धरोहर है। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग की देखरेख में यहां वैज्ञानिकों की टीमें आई। विजय स्तंभ को सहेजने के लिए कई बार केमिकल वॉश समेत कई इंतजाम भी कराए गए। तमाम कोशिशों के बाद भी इसमें आ रही दरारों को रोक पाने में पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग को कामयाबी नहीं मिली है।

15वीं शताब्दी में करवाया था निर्माण

विजय स्तंभ को शौर्य का प्रतीक माना जाता है। इसका निर्माण पन्द्रहवीं शताब्दी में कराया गया था। वर्ष 1440 में मालवा के सुल्तान पर विजय की स्मृति में राणा कुंभा ने 37.19 मीटर (122 फीट 9 इंच) ऊंचे विजय स्तंभ का निर्माण कराया। इसका निर्माण कार्य 1442 में शुरू हुआ और 1448 में पूरा हुआ। तब इसके निर्माण पर करीब 90 लाख खर्च हुए थे। भगवान विष्णु को समर्पित विजय स्तंभ के ऊपरी तल तक जाने के लिए अंदर से सौपान बने हुए हैं। सबसे ऊपरी तल पर स्थित शिलालेखों में चित्तौड़ के शासक हमीर से राणा कुंभा तक वंशावली उत्कीर्ण है।

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पुलिस की भी पहचान बना विजय स्तंभ

राजस्थान पुलिस की वर्दी पर वर्ष 1952 से विजय स्तंभ को प्रतीक चिन्ह के रूप में लगाया जा रहा है। इसका उद्देश्य राजस्थान की सांस्कृतिक धरोहर को बढ़ावा देना, पुलिस कर्मियों में गर्व और पहचान की भावना जागृत करना है। मेवाड़ के राजाओं और उनकी सेना का शौर्य बयां कर रहा विजय स्तंभ अपने आप में कई खूबियां समेटे हैं।

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बचाव के लिए टिल टेल क्रेक्स लगाए

चित्तौड़ दुर्ग पर विजय स्तंभ सहित कई स्मारकों पर टिल टेल क्रेक्स (मसाले के साथ कांच की पट्टियां) लगवाई हैं। ताकि स्मारक पर कोई क्रेक्स आए तो पता चल सके। हर माह रिपोर्टिंग की जाती है। बंदरों से सुरक्षा के लिए रबड़ के कांटे लगाए हुए है। स्मारकों की सुरक्षा को लेकर पूरे प्रयास कर रहे हैं।

गोविन्दसिंह मीणा, सहायक अधीक्षण पुरातत्वविद् जोधपुर

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नौ मंजिला, ऊंचाई 122 फीट 9 इंच

1- लाल और सफेद पत्थर से इसका निर्माण कराया गया था। इसको बनाने में पत्थरों को जोड़ने के लिए किसी भी मसाले का उपयोग नहीं किया गया।
2- विजय स्तंभ में कई तरह की सजावटी डिजाइन हैं और इस पर कई हिन्दू देवी-देवताओं की मूर्तियां बनी हुई हैं।
3- स्तंभ में नौ मंजिल तक जाने के लिए संकरी व गोलाकार 157 सीढ़ियां हैं और सबसे ऊपरी मंजिल से दुर्ग दिखाई देता है।

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