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RGHS: निजी दवा दुकान संचालकों ने बंद किया दवाइयां देना, दवा छोड़ने को मजबूर पेंशनधारक

RGHS: राजस्थान गर्वमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) योजना में सरकारी कर्मचारी व पेंशन धारकों को दवाइयां दी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ माह से निजी दवा दुकान संचालकों ने दवाइयां देना बंद कर दिया है।

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Complete medicines are not available in RGHS Scheme, Government person

आरजीएचएस योजना में नहीं मिल रही पूरी दवाईयां, भटक रहे सरकारी कार्मिक

RGHS: राजस्थान गर्वमेंट हेल्थ स्कीम (आरजीएचएस) योजना में सरकारी कर्मचारी व पेंशन धारकों को दवाइयां दी जाती थी, लेकिन पिछले कुछ माह से निजी दवा दुकान संचालकों ने दवाइयां देना बंद कर दिया है। ऐसे में कई पेंशनधारक दवाइयों को छोडऩे लगे हैं। क्रॉनिक डिजीज वाले मरीज जिनको नियमित दवाई लेना जरूरी होता है, ऐसे लोगों की यदि एक सप्ताह से ज्यादा दवाई बंद रहती है तो इनमें रिबाउंड फिनोमिना काम करता है। इससे बीपी-शुगर साधारण लेवल से भी काफी ऊपर तक जा सकता है। एक्सपर्ट बताते हैं कि ऐसे मामलों में कई बार जान का खतरा भी पैदा हो सकता है।

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यह है रिबाउंड फिनोमिना
जब ब्लड प्रेशर या शुगर जैसी बीमारी स्वाभाविक रूप से बढ़ती है तो उसे दवाइयों से रोकने के लिए नियमित गोली शुरू की जाती है। डॉक्टर अपने हिसाब से प्रेस्क्राइब करता है। लेकिन जब कई दिन तक नियमित दवाई बंद रहती है तो बीपी-शुगर का लेवल दोगुना तक बढ़ जाता है। उसका कारण है कि इन बीमारियों को दवाइयों से बांध कर रखा जाता है। जब एक दम से यह आंकड़ा बढ़ता है तो उसे रिबाउंड फिनोमिना कहते हैं। कई बार इंसानी शरीर इसे झेल नहीं पाता और मृत्यु की स्थिति भी हो सकती है।

कुछ पैसे से खरीदने को मजबूर
वहीं, कई बुजुर्ग रोगी ऐसे हैं जिनका दवा के बिना एक दिन भी काटना मुश्किल हो जाता है। ऐसे में मजबूरी में उन्हें अपनी जेब से पैसे खर्च कर दवाएं खरीदनी पड़ रही हैं।

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केस एक
गांधीनगर क्षेत्र में रहने वाले यह बुजुर्ग करीब 70 साल के हैं। पिछले 15 साल से शुगर व बीपी की दवाई ले रहे हैं। दवाई शहर से ही लाते थे। आरजीएचएस में बजट नहीं मिला व दवाइयां बंद हुई तो बीच में 15 दिन दवाइयां नहीं ली। अब दो दिन पहले फिर दवाइयां शुरू की गई है।

केस दो
शिक्षा विभाग से रिटायर्ड टीचर हैं। उम्र करीब 64 साल है। पिछले आठ साल से ब्लड प्रेशर की मरीज हैं। आरजीएचएच की दवाइयां नहीं मिल रही है तो अपनी रुटीन दवाई नियमित नहीं रख पाईं। एक दुकान के बाहर दवाई के लिए पूछताछ करने आई तो उन्होंने यह बात बताई।