
स्थापत्य कला एवं श्रद्धा का संगम है बाड़ोली का शिव मन्दिर
चित्तौडग़ढ़ बेगूं. विधानसभा में रावतभाटा से कोटा मार्ग पर बाड़ोली गांव के समीप 8वीं से 10 वीं शताब्दी में निर्मित शिव एवं अन्य मन्दिर स्थापत्य कला व श्रद्धा का संगम है।
रावतभाटा से 2 किमी कोटा मार्ग पर बाड़ोली मन्दिर पुरातन होने के साथ पत्थरों पर बारीक नक्काशी खजुराहो शैली में है। इसकी सुरक्षा पुरातत्व विभाग के अधीन है। 10 वीं शताब्दी के दौरान शेव पूजा का महत्व था। उस दौरान बाड़ोली मन्दिर शेव पूजा का प्रमुख केंद्र माना जाता था। यहां भगवान शिव के नटराज स्वरूप को प्रतिमा है। बाड़ोली मंदिर का मुख्य मंदिर घाटेश्वर महादेव मंदिर है। स्तंभों पर एक हॉल और नृत्य करते हुए शिव के साथ विष्णु और ब्रह्मा की मूर्तियां है। इसका बारीक नक्काशीदार शिखर पर्यटकों को आकर्षित करता है। इस मंदिर परिसर में कुल 9 मंदिर हैं। जिसमें भगवान शिव के चार, भगवान विष्णु के दो, गणेश, महेश मर्दिनी एवं माताजी के एक-एक मन्दिर है। इन्हें घाटेश्वर महादेव मंदिर, शिव मंदिर, वामनवतार मंदिर, गणेश मंदिर, त्रिमूर्ति मंदिर, अष्टमाता मंदिर, शेषशयन मंदिर भी कहते हैं।
शिवजी का जलमग्न अभिषेक किया
कपासन. सोमानी मोहल्ला स्थित विश्वनाथ महादेव मंदिर में भगवान शिव का जलमग्न अभिषेक किया गया। अच्छी वर्षा की कामना को लेकर महिला मंडल की ओर से 108 पत्थरों पर राम लिखकर रामसेतु सृजित किया गया। शिव आराधना के इस अनूठे अभिषेक में अलका सोमानी, रमा, दीपिका, प्रीतिख् सलोनी, सुनीता सोमानी, किरण नामघर, सीमा जागेटिया, योगिता तुलछिया, चंचल चास्टा, उमा गर्ग, नीतू टांक आदि ने सहभागिता की। इस अवसर पर सभी ने भगवान शिव का जलमग्न अभिषेक किया तथा पूजा अर्चना कर सर्वत्र अच्छी बारिश और खुशहाली की कामना की। यहां कई भक्तों ने मंदिर में पहुंच कर जलमग्न शिव की झांकी के दर्शन किए।
पुरातत्व विभाग के है अधीन
पुरातन शैली में बने सभी 9 मंदिर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के नियंत्रण में हैं। इसकी सुरक्षा पर सरकार प्रति वर्ष लाखों रुपए खर्च करती है। फिर भी यहां से 1998 में भगवान नटराज की एक मूर्ति चोरी हो गई थी। दूर दूर तक प्रसिद्ध बाड़ोली के मंदिर में सावन मास के दौरान यहां देशी विदेशी पर्यटकों के साथ साथ शिव भक्तों की भी भीड़ बनी रहती है।
Published on:
24 Jul 2022 07:47 pm
बड़ी खबरें
View Allचित्तौड़गढ़
राजस्थान न्यूज़
ट्रेंडिंग
