
Somvati Amavasya : चैत्र मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या तिथि पर इस बार सोमवती का योग बन रहा है। गणना अनुसार देखें तो इस बार सोमवार आठ अप्रेल को मीन राशि के चंद्रमा, उत्तरा भाद्रपद नक्षत्र, ऐंद्र योग, चतुष्पद करण की साक्षी में सोमवती चैत्री अमावस्या का योग बन रहा है।
यह अमावस्या विशेष है क्योंकि, उदय काल से ही इसका प्रभाव सूर्य सिद्धांत की गणना से आरंभ होगा। इसलिए यह अमावस्या विशेष मानी गई है। पण्डित किशन शर्मा के अनुसार तीन प्रकार की अमावस्या का उल्लेख हमें मिलता है। इनमें सिनीवाली अमावस्या, कुहू अमावस्या और दर्श अमावस्या। इन तीनों का क्रम देखें तो सिनीवाली को प्रमुखता का दर्जा प्राप्त है। इसलिए यह अमावस्या विशेष है। भारतीय ज्योतिष शास्त्र में ग्रह गोचर की गणना का गणित अलग-अलग प्रकार का माना जाता है। कभी सूर्य सिद्धांत की गणना, कभी चंद्र सिद्धांत की गणना या फिर कभी ग्रह विशेष की गणना से व्रत- त्योहार पर्व काल में अलग-अलग प्रकार के योग-संयोग का निर्माण होता है। जिसके कारण उनकी संज्ञा विशिष्ट हो जाती है।
यह चैत्र मास की सबसे बड़ी अमावस्या है यानी 12 माह में चैत्र मास का कृष्ण पक्ष यदि सोमवती तथा ग्रह विशेष की योग के साथ संयुक्त हो तो पितरों के मोक्ष के लिए विशेष दिन माना जाता है। यह संज्ञा विशिष्ट होने के कारण दोष निवृत्ति के लिए ऐसे योग विशेष प्रभावशाली होते हैं। अमावस्या तिथि पर दरिद्रता के निवारण के लिए पितरों की पूजा और रात्रि में भगवती की साधना विशेष मानी गई है। इस दृष्टि से जब गणना अनुक्रम में तीन दशक में एक बार इस प्रकार के योग बनते हों तो वह विशेष लाभ प्रदान करके जाती है।
पण्डित किशन शर्मा ने बताया कि ग्रह गोचर में एक योग और भी है कि इस दिन चार ग्रह एक राशि में रहेंगे। मीन राशि में सूर्य, चंद्रमा, राहु व शुक्र ग्रह रहेंगे। ये चारों ग्रह अलग ही प्रकार के केंद्र व त्रिकोण योग का निर्माण कर रहे हैं। ऐसी स्थिति में यह पितृ दोष की निवृत्ति के लिए विशेष योग माना जाता है। क्योंकि सूर्य व राहु दोनों को पितरों का कारक समकारक ग्रह बताया गया है।
Published on:
08 Apr 2024 11:31 am
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