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अंकल, ढाई हजार का सामान लाए, चार हजार कमा लिए

अंकल, पानी बतासे बनाने के लिए कुल ढाई हजार रूपए का सामान हम तीन सहेलियां मिलकर लाई थी। यहां स्टॉल लगाकर करीब चार हजार रूपए कमा लिए।

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अंकल, ढाई हजार का सामान लाए, चार हजार कमा लिए

अंकल, ढाई हजार का सामान लाए, चार हजार कमा लिए

चित्तौडग़ढ़
अंकल, पानी बतासे बनाने के लिए कुल ढाई हजार रूपए का सामान हम तीन सहेलियां मिलकर लाई थी। यहां स्टॉल लगाकर करीब चार हजार रूपए कमा लिए।
नगर परिषद की ओर से नवाचार के तहत पहली बार बड़े स्तर पर आयोजित बाल मेले में नि:शुल्क उपलब्ध कराई गई स्टॉल्स पर पानी बतासे बेच रही छात्राएं साक्षी कुमावत, नंदिनी कुशवाह, पलक, मनीषा प्रजापत और चेस्टा ने बताया कि शिक्षक सुषमा पुरोहित और मधु चेचाणी के मार्गदर्शन में हमनें एक दिन पहले ही बतासे तैयार कर लिए। सामग्री लाने में कुल ढाई हजार रूपए खर्च हुए। मेले में आए छात्र-छात्राओं को स्वाद ऐसा रास आया कि चार हजार रूपए अब तक कमा लिए हैं। यह सभी छठी से आठवीं तक की छात्राएं थी, जिन्होंने दिखा दिया कि उम्र में भले ही कम हो पर छोटा-मोटा रोजगार कमाना उन्हें भी आता है।

बदल रहा बच्चों का खानपान
एक जमाना था, जब बच्चे गजक, पिण्ड खजूर, गुड़ से बनी चक्की आदि पसंद करते थे। जमाना बदला तो मुंह का स्वाद भी बदल गया। बाल मेले में संगम रोड स्थित एक स्कूल की आठवीं व नवीं कक्षा की छात्राएं सृष्टि माली, पूनम सोनी और सोनिया धोबी एक स्टॉल पर ब्रेड और चीज, मक्खन आदि से टोस्ट बनाती नजर आई। बच्चे भी टोस्ट ज्यादा पसंद कर रहे थे, ऐसे में वहां कतार लगी दिखाई दी। इन छात्राओं का कहना था कि समन्वयक सोनाली सिसोदिया के मार्गदर्शन में उन्होंने तैयारी की। सामग्री पर कुल तीन हजार रूपए खर्च किए। इससे कमाई भी अच्छी हुई।

किसी ने बेचे खिलौने, तो किसी ने पिलाई राब
मेले में नगर परिषद की ओर से करीब साठ स्टॉल्स तैयार करवाकर विभिन्न विद्यालयों को नि:शुल्क उपलब्ध करवाई। इन स्टॉल्स पर कोई छात्र-छात्राएं खिलौने बेचते नजर आए तो कोई राब पिलाते दिखाई दिए। कुल मिलाकर बाल मेला यह संदेश दे गया कि बच्चों को समय रहते व्यावायिक शिक्षा मिले तो वह अपना रोजगार खुद तलाश सकते हैं।