
सांवलियाजी मंदिर के पुजारी को क्यो मिला नोटिस, मंदिर से बाहर क्यों नहीं जा पाएगा बाल स्वरूप
चित्तौडग़ढ़/भदेसर. मेवाड़ के प्रख्यात कृष्ण धाम सांवलियाजी मंदिर में विराजित भगवान सांवलिया सेठ के बालस्वरूप का देवउठनी एकादशी पर इंदौर में एक भक्त द्वारा राधा की प्रतिमा के साथ अनूठे विवाह आयोजन को लेकर मंदिर मंडल के मुख्य कार्यकारी अधिकारी मुकेश कलाल ने एक पुजारी कमलेशदास पुत्र द्वारकादास को नोटिस देकर तीन दिन में स्पष्टीकरण मांगा है। मंदिर के शेष सभी पुजारियों को भी भगवान के बाल स्वरूप को बिना स्वीकृति के बाहर किसी कार्यक्रम में नहीं ले जाने के निर्देश जारी किए है। पुजारी कमलेशदास को दिए गए नोटिस में कहा गया कि इंदौर में सांवलिया सेठ का राधा की प्रतिमा संग विवाह के कार्यक्रम के समाचार मीडिया व सोशल मीडिया में आए है। इस कार्यक्रम को मंदिर परम्परा के विरूद्ध बिना मंदिर मण्डल की स्वीकृति के निर्धारित किया गया। इस कृत्य से मंदिर की छवि धुमिल हुई है। इंदौर में आयोजित होने वाले भगवान सांवलिया सेठ के विवाह समारोह की मंदिर प्रशासन ने स्वीकृति नहीं दी है।
मंदिर मण्डल सीईओ के अनुसार भगवान सांवलिया सेठ की मुर्ति, शालीग्राम व लड्डु गोपाल आदि को निज मंदिर से बाहर के प्रान्तो व शहरों में ले जाकर वहां से प्राप्त भेंट, दान व चढावा राशि लेकर मंदिर कोष को नुकसान पहुंचाने के साथ श्रद्धालुओं की आस्था से भी खिलवाड किया जा रहा है। उन्होंने इस पर तत्काल रोक लगाते हुए बिना सक्षम स्वीकृति से भगवान के बाल स्वरूप लड्डु गोपाल, शालीग्राम आदि को बाहर नहीं निकालने के निर्देश दिए है। ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई व सेवा पुजन से निष्कासन की कार्रवाई की चेतावनी भ्ी दी गई है।
नहीं मिली तुलसी विवाह के लिए भी स्वीकृति
इंदौर में सांवलियाजी के बाल स्वरूप के विवाह आयोजन के लिए मंदिर प्रशासन की स्वीकृति नहीं मिल पाई हैं, जबकि भक्तों ने इसके लिए प्रार्थना पत्र मंदिर मंडल को दिया था। इसमें बताया गया कि भगवान सांवलिया सेठ का इंदौर में तुलसी के संग विवाह समारोह आयोजित होना था। इंदौर निवासी आयोजक नकुल दगदी पुत्र जगदीश चंद्र दगदी ने बताया कि वह हर वर्ष तुलसी विवाह कराने का आयोजन करता है लेकिन राधा के संग सांवलिया सेठ का विवाह कराने की कोई योजना नहीं है । शपथ पत्र में तुलसी विवाह आयोजन की स्वीकृति की मांग की मंदिर के प्रशासनिक अधिकारी कैलाश चंद्र दाधीच ने बताया कि मंदिर प्रशासन ने इस तरह की कोई स्वीकृति नहीं जारी की है। मंदिर के ओसरा पूजारी ने पहले ही इस कार्यक्रम मे जाने से मना कर दिया, वंही प्रशासन ने भी इसकी अनुमति नहीं दी है, ऐसी स्थिति में ओसरा के बाहर वाले पूजारी इस कार्यक्रम मे जाते हैं तो मुख्य मंदिर के बालगोपाल नहीं ले जा सकते हैं।
मंदिर की परम्पराओं व मर्यादाओं को कायम रखा जाएगा
सांवलियाजी मंदिर की परम्पराओं व मर्यादाओं को कायम रखा जाएगा। भगवान के बाल स्वरूप को पुजारी बिना अनुमति विवाह समारोह या कहीं भी नहीं ले जा सकते है। कोई भी पुजारी ऐसा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी।
मुकेश कलाल, मुख्य कार्यकारी अधिकारी, सांवलियाजी मंदिर मंडल
Published on:
07 Nov 2019 11:25 pm
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