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शीत ऋतु की दस्तक के साथ प्रवासी परिंन्दो की अठखेलियों व कलरव से गुंजयमान होने लगे जलाशय

चित्तौडग़ढ़. राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित चित्तौडग़ढ़ जिले के तालाबों और जलाशयों में सुदूर देशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगी है। इस बार समय से पहले ही प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष शीतकाल की अवधि लंबी हो सकती है

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शीत ऋतु की दस्तक के साथ प्रवासी परिंन्दो की अठखेलियों व कलरव से गुंजयमान होने लगे जलाशय

शीत ऋतु की दस्तक के साथ प्रवासी परिंन्दो की अठखेलियों व कलरव से गुंजयमान होने लगे जलाशय

चित्तौडग़ढ़. राजस्थान के दक्षिणी भाग में स्थित चित्तौडग़ढ़ जिले के तालाबों और जलाशयों में सुदूर देशों से आने वाले प्रवासी पक्षियों का कलरव सुनाई देने लगी है। इस बार समय से पहले ही प्रवासी पक्षियों की उपस्थिति से यह अनुमान लगाया जा रहा है कि इस वर्ष शीतकाल की अवधि लंबी हो सकती है तथा सर्दी भी कड़ाके की हो सकती । पक्षी मौसम की पहचान सूर्य से आने वाली प्रकाश की मात्रा व दैनिक प्रकाश, पृथ्वी के गुरूत्वार्कषण सूर्य, तारे, चंद्रमा के आधार पर सही समय आने पर अपनी प्रवास यात्रा प्रारंभ कर देते हैं ।
संयुक्त राष्ट्र संघ की आनुशांशिक इकाई आई यू सी एन व एस. एस.जी के सदस्य व पर्यावरण विद डॉ. मोहम्मद यासीन ने बताया कि जिले मे पिछले वर्ष की तरह इस वर्ष भी इन प्रवासी पक्षियों का आगमन सामान्य समय से पूर्व हुआ है । इस समय तक पिछले वर्ष की तुलना मे इस वर्ष भी प्रवासी पक्षियों की ज्यादा प्रजातियां व संख्या देखी गई हैं जो शोध व तुलनात्मक अध्धयन का विषय है। इस पर डॉ. मोहम्मद यासीन व दल समूह लगातार इस पर निगरानी रखे हुए हैं।

जिले में प्रमुख शीतकालीन प्रवासी पक्षी प्रजातियाँ
ग्रेटर फ्लेमिगो,ब्लेक विंग स्टील्ट, सेन्ड पाइपर्स प्रजातियाँ, रेड शेंक, करल्यू, पोचार्ड, नार्दन पिनटेल, शोवलर, मालार्ड, गढ़वाल, रूडी शेलडक, बिटर्न, ग्रीन शेन्क, येलो वेकटेल, स्टार्क, यूरेशियन कॉमन क्रेन, कदम हंस इत्यादि । यह पक्षी प्रजातियां यूरोप, रूस, चीन, बर्मा, अफगानिस्तान इत्यादि प्रदेशों से कई हजार मील से यात्रा कर यहां पहुंचती हैं।

यह है विशेषता
इनमे सबसे अधिक ऊंचाई 23 हजार फीट पार कर आने वाला पक्षी बार हेडेड गूज, कदम हंस भी हैं। जहां हेलिकॉप्टर तक नहीं पहुंच सकते, वहां ये आसानी से उड़ती हैं क्योंकि सामान्यतया हेलिकॉप्टर अधिकतम 25 हजार फ़ीट तक ही उड़ान भर पाते हैं। इनके खून के हीमोग्लोबिन में विशेष अमीनो एसिड होता है। यह इनको काफी ठंडे स्थानों पर रहने में मदद करता है तथा इसी वजह से ये ऊंचाई में भी आराम से सांस ले सकते हैं। एक दिन में 1600 किमी तक उड़ान भरने की क्षमता होती है । यह पक्षी प्रजातियां यूरोप, रूस, चीन, बनमा, अफगानिस्तान इत्यादि प्रदेशों से 10 हजार मील से भी अधिक यात्रा कर यहां पहुंचती हैं।

शोध का विषय
इस बार इनका प्रस्थान पिछले कई वर्षों में पहली बार काफी विलंब से हुआ था परन्तु इनका आगमन समय से पूर्व हुआ है तो ऐसा कयास लग रहा है कि क्या प्रवासन के तरीके व समय में भी उद्धभवन हो रहा हैं ।
लंबे समय के लिए इन पक्षियों ठहराव का कहीं जलवायु परिवर्तन का कोई बड़ा संकेत नहीं है ।

प्रवासन का प्रमुख कारण
सर्दियो में पूर्वी यूरोप तथा यूरेशीया के देशो मे भयकर सर्दी पड़ती हैं। तथा बर्फीले क्षेत्रों के कारण भोजन की उपलब्धता भी कम हो जाती हैं। इस कारण कई पक्षी प्रजातियां कम ठंडे प्रदेशों की और प्रवासन करती है। डॉ. मोहम्मद यासीन ने बताया की जिले मे 63 पक्षी प्रजातियों की उपस्थिति शीतकालीन प्रवास के लिए हमारे जिले के जलाशयों देखी गई है यह इस बात को चिह्नित करता हैं कि जिले की भौगोलिक स्थिति, जलाशयों की उपस्थिति, भोजन की उपलब्धता व कम मानवीय हस्तक्षेप इन प्रजातियों का अपनी और आकर्षित कर रहा हैं।
यहां यह उल्लेखनीय है कि भारत देश से कोई भी पक्षी प्रजाति प्रवासन के लिए अन्य देशो मे नही जाती हानिकारक रासायनिक किटनाशकों कृषि मे अत्यधिक रासायनिक उर्वरक को जलीय प्रदूषण मानवीय हस्तक्षेप व जलाशयों का दोहन यदि कम कर दिया जाए तो हम इन प्रजातियो के अस्त्तिव को बचाने में अपना योगदान दे पॉएंगे।

दल सदस्य
इस कार्य में डॉ.मोहम्म्द यासीन के साथ डॉ. सुनिल दुबे, मोहम्म्द समीअ, अश्लेष दशोरा, नेहा दशोरा, यामिनी दशोरा, अभिषेक सनाढय, हिमानी जैन, मुकेश पारीक सम्मिलित हैं।