
किसानों की आय बढ़ाने में सहायक है अरड़ू का पेड़
सरदारशहर. कहते हैं कुछ करने का जुनून हो तो सब राहें आसान हो जाती है। ऐसा ही काम कर दिखाया है जीवणदेसर निवासी किसान राजेन्द्रसिंह राठौड़ ने। उसने अपने खेत में अरड़ू के पेड़ लगाकर ऐसी हरियाली तैयार की है कि लोग उसे दखने को भी आते हैं। राठौड़ अपने साथियों के साथ गांव की गुवाड़ में बैठे थे। इस दौरान पेड़ों की चर्चा चली। किसी ने कहा कि गांव के पानी से पेड़ लगाना मुश्किल है। यह बात राठौड़ के दिमाग में अखरी। वह ट्रक लेकर सीकर गए। सीकर में हरियाली देखकर उनसे रहा नहीं गया। वे एक खेत में गए। वहां एक खेत में अरड़ू के पौधे लगे देखे तो प्रण कर लिया कि अपने खेत में भी अरड़ू के पौधे लगाएंगे। वही से ही ट्रक को वापस मोड़कर अपने गांव जीवणदेसर आ गए तथा अपने पिता बजरंगसिंह से पेड़ लगाने की कही। बजरंगसिंह ने मना कर दिया कि यहां पर पेड़ लगाना मुश्किल है। इसके बावजूद राठौड़ ने सरदारशहर की नर्सरी से ढाई हजार अरडू के पौधे लाकर जबरदस्ती खेत में लगा दिए।
दिन-रात जुटे परवरिश में
राजेन्द्र सिंह ने बताया कि इन पेड़ों को देखकर अब पिता बजरंगसिंह व भाई जितेन्द्रसिंह भी खुश है और दिन रात पेड़ों की परवरिश में जुटे रहते है। उन्होंने बताया कि पेड़ों से बहुत फायदे है। किसानों को आय दुगुनी करने के लिए खेत के चारों तरफ पेड़ लगाए। सिर्फ पारम्परिक खेती से आय दुगुनी नहीं होगी। कृषि विज्ञान केन्द्र के प्रभारी डॉ.वीके सैनी ने बताया कि पेड़ जीवन का आधार है। हरियाली से लहलहाते इन पेड़ों से न केवल पर्यावरण में सुधार होगा। वहीं किसानों को पर्याप्त मात्रा में चारा व ईंधन मिलेगा। अरड़ू के पेड़ तैयार होने पर किसानों की आय में बढ़ोत्तरी होगी। सभी को अधिक से अधिक पेड़ लगाना चाहिए।
खेत को बना दिया हरा-भरा
राजेन्द्रसिंह पारम्परिक खेती के साथ अरड़ू आदि के पौधे लगाकर खेत को हरा भरा बगीचा बना दिया है। राजेन्द्रसिंह ने बताया कि परिजनों के विरोध के बावजूद उसने अरड़ू के पौधे लगा दिए। लगातार परवरिश से खेत में लगाए गए पौधे आज पेड़ बन गए हैं। उन्होंने बताया कि अरड़ू के पत्ते को बकरियां व ऊंट चाव से खाते हंै। वहीं झडऩे वाले पत्तों से शानदार खाद बन रही है। 18 फीट की दूरी में पेड़ लगाने के कारण ट्रेक्टर से अन्य फसलों की बुवाई की जाती है। उन्होंने बताया कि मिलिया दुबिया के 500 पौधे लगाए गए।
2015 में लगाए थे पौधे, आज बन गए पेड़
परिजन ने बहुत विरोध किया लेकिन राजेन्द्रसिंह अपने लक्ष्य को प्राप्त करने में जुट गए। 2015 में लगाए पेड़ आज हरियाली से लहलहाते नजर आ रहे हैं। इन पेड़ों से न केवल पर्यावरण सुधरा बल्की किसान को इन पेड़ों से पर्याप्त मात्रा में चारा व ईंधन मिल रहा है। अरडू के पेड़ तैयार होने पर इनकी ब्रिकी से किसान को लाखों की आय की उम्मीद हैं। लगातार परवरिश से खेत में लगाए ये पौधे आज पेड़ बन चुके हैं। राठौड़ के खेत में सात सौ खेजड़ी, 100 झाड़ी, 100 शीशम के पेड़ लगे है। राजेन्द्रसिंह ने चौधरी हर्बल कंपनी से संपर्क कर बुधवार को 500 पौधे मिलिया दुबिया के लगाए जो 6 वर्ष में 70-80 फीट लंबाई हो जाएगी। ये पौधे महाराष्ट्र, गुजरात, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों में बड़ी संख्या में लगाए जा चुके ।
Published on:
24 Sept 2020 10:20 am
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