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राष्ट्रीय रक्षा और सुरक्षा के लिए समर्पित भारतीय सेना, आर्मी में हवलदार चूरू के सिरसली गांव के जयपाल यादव की दिल्ली केंट में हुए सड़क हादसे में मृत्यु हो गई। आर्मी के जवान जयपाल यादव का पार्थिव शरीर उनके पैतृक गांव सिरसली लाया गया।
दूधवाखारा से तिरंगा यात्रा के साथ पार्थिव देह सिरसली गांव में उनके घर पहुंची तो परिजन सिसक उठे। अपने लाल को देख परिजन सहम उठे। पत्नी कैलाश बेसुध हो गई और उनके बच्चे बिलख उठे। तिरंगे में लिपटे चिर निद्रा में सोए जयपाल यादव को जनप्रतिनिधियों ने पुष्प अर्पित किए तथा सेना के जवानों में गार्ड ऑफ ऑनर देकर सैनिक सम्मान के साथ अंतिम विदाई दी।
गांव सिरसला से उनके घर से शुरू हुई अंतिम यात्रा में शामिल युवाओं और ग्रामीण जवान जयपाल और भारत माता का जयघोष करते हुए मुक्तिधाम की ओर बढ़े। मुक्ति धाम में सेना के जवानों की टुकड़ी ने अपने साथी को अंतिम सलामी देकर उन्हें विदा किया।
सांसद राहुल कस्वां, विधायक हरलाल सहारण, प्रधान दीपचंद राहड़, उप जिला प्रमुख महेन्द्र न्यौल पूर्व सभापति विजय शर्मा, अमरसिंह बुडानिया, रणवीर कस्वां, पदमसिंह राठौड़, सुमेर सिंह भाकर,चेतराम सहारण, अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक लोकेन्द्र दादरवाल, दूधवाखारा थानाअधिकारी रतनलाल सहित अनेक प्रतिनिधियों ने उन्हें पुष्प अर्पित किए।
सिरसला में पिता रामेश्वरलाल व माता सदा कंवर के घर जन्में जयपाल यादव सेना में भर्ती हुए। आर्मी में हवलदार पद पर उनकी पोस्टिंग 2003 में हुई। उनकी ट्रेनिंग बेंगलुरु में हुई। वे बीकानेर भी रहे और बाद में वे दिल्ली केंट में आ गए। 2004 में उनका विवाह कैलाश से हुआ। उनके एक भाई और तीन बहनें हैं। सभी शादीशुदा है। उनके शादी के 12 साल बाद एक बेटा हुआ।
जयपाल यादव के भांजे रामचंद्र यादव ने बताया कि मामा 3 दिसंबर 2002 को सेना में भर्ती हुए थे। वे आर्मी में हवलदार थे। इनकी शादी 2004 में हिसार के दहमनन गांव की कैलाश के साथ हुई थी। इनके एक साल का बेटा ओजस है। कैलाश बच्चें को लेकर गांव सिरसली में ही रहती है। उनकी मामा से एक महीने पहले ही बात हुई थी। उन्होंने कहा था कि ओजस का जन्मदिन 25 दिसंबर को है। धूमधाम से मनाएंगे।
रामचन्द्र यादव ने बताया कि जयपाल यादव दो भाईयों में छोटे थे। इनके बड़े भाई ओमप्रकाश खेतीबाड़ी करते है। इनके पिता रामेश्वर यादव व माता सदा कवंर का पहले ही निधन हो चुका है।
आर्मी के जवान जयपुल का अंतिम यात्रा गांव सिरसली के मुक्तिधाम पहुंची। जहां सेना के जवानों ने उनके भाई ओमप्रकाश को तिरंगा सौंपा। अंतिम यात्रा में आए लोगों की आंखें तब सजल हो उठी जब एक साल के बेटे ओजस ने अपने पिता को मुखाग्नि दी। परिजन की गोद में ओजस देख रहा था उसे तो किसी की समझ ही नहीं थी ऐसा दृश्य देखकर लोग भावुक हो गए।
Updated on:
23 Dec 2024 01:13 pm
Published on:
23 Dec 2024 01:10 pm
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