
राजस्थान में मौसम का जिक्र होता है तो सबसे पहले जेहन में चूरू का नाम आता है। इसकी वजह ये है कि चूरू प्रदेश का सबसे ठण्डा और सबसे गर्म इलाका है। चूरू के मौसम की केमिस्ट्री यहां के भूगोल में छिपी हुई है। कहते हैं चूरू के धोरों की मिट्टी की विशेषता है कि ये जल्द ही ठण्डी और जल्द ही गर्म हो जाती है। प्रदेशभर में खास स्थान रखने वाले चूरू के जिला मुख्यालय की पहली बार ड्रोन से तस्वीरें ली गई हैं। -सभी फोटो-शैलेन्द्र सोनी

राजस्थान पत्रिका डॉट कॉम अपने पाठकों को आज चूरू शहर की ऐसी तस्वीर दिखा रहा है जो इससे पहले कभी नहीं देखी होगी।

-इस एक ही तस्वीर में चूरू का सफेद घंटाघर, कोतवाली, नगरश्री, गोपाल मंदिर, सिटी डिस्पेंसरी, गढ़ आदि एक साथ दिखाई दे रहे हैं।

-पुराने चूरू शहर व शहर के विस्तार को एक साथ एक ही तस्वीर में दिखाने के लिए ड्रोन कैमरे के माध्यम से 360 फीट ऊंचाई से तस्वीरें ली गईं।

-चूरू जिला मुख्यालय पर दिल के झरोखे सी कई हवेलियां भी हैं। सुराणा हवेली 1111 खिड़कियां और दरवाजों के लिए फेमस है।

-विश्व प्रसिद्ध सिद्धपीठ बालाजी धाम सालासर भी चूरू जिले में है। शरद पूर्णिमा के मौके पर यहां लक्खी मेला भरता है।

-काले हरिणों के लिए विख्यात ताल छापर कृष्ण अभ्यारण्य चूरू जिले के सुजानगढ़ के छापर कस्बे में स्थित है। यहां करीब ढाई हजार हरिण हैं।

चूरू का गढ़ राजस्थान में एकमात्र ऐसा गढ़ है, जिसमें दुश्मनों पर चांदी के गोले दागे गए थे।

सफेद घंटाघर का निर्माण राजा बलदेवदास व छोगी देवी के पुत्रों ने चूरू निवासी अपने नाना सेठ लालजी सिंघी की स्मृति में करवाया था।

चूरू को राजस्थान के थार मरुस्थल का प्रवेश द्वार भी कहा जाता है। चूरू के बाद बीकानेर, जैसलमेर व बाड़मेर आदि में मरुस्थल है।