
churu news- स्याणन डूंगरी: काली माता ने राक्षसों से की थी पांडवों की रक्षा
रतनगढ़ रोड पर स्थित है स्याणन की डूंगरी
250 फीट से अधिक ऊंचाई, मंदिर तक पहुंचने के लिए 105 सीढियां बनवाई
चूरू. इतिहास को सही ढंग से टटोला जाए तो कई चीजे पुरानी यादों को ताजा कर देती है। ऐसा ही इतिहास स्यानण की डूंगरी का भी है। लोग बताते हैं कि यहां पर ठहरे पांडवों की रक्षा स्वयं काली माता ने राक्षसों से की थी। इसके बाद से ये तीर्थ स्थल जन-जन की आस्था का केन्द्र बन गया। कस्बे से 15 किलोमीटर दूरी पर रतनगढ रोड़ पर स्थित गांव खुड़ी के पास काली माता का मंदिर स्यानण डूंगरी माता के नाम से ख्यातनाम है। जहां पर प्रदेश के विभिन्न कौनों से श्रद्धालु मन्नत मांगने आते हैं। माता का मंदिर बडे- बड़े पत्थरों से चारों और से घिरा हुआ है। किवदंति है कि हजारों साल प्राचीन माता का मंदिर सभी भक्तों कि मनोकामना पूर्ण करने वाला है। मंदिर के चारों तरफ बड़े-बड़े पत्थर है, जिन पर प्राचीन काल कि कला के नमूने बने हुए है।
ठाकुर दुलेङ्क्षसह के अनुसार यहां पर पाण्डव यहां पर रूके हुए थे। जिन पर राक्षसों ने हमला कर दिया। इसके बाद पाण्डवों ने यहां पर काली माता कि पूजा की और माता को रिझाया जिसके बाद माता ने पाण्डवों की रक्षा की। स्यानण डूंगरी काली माता का मंदिर जमीन से 250 फीट से भी अधिक उंचाई पर स्थित है। मंदिर तक पहुंचने के लिए 105 सीढियों का निर्माण कराया गया। लेकिन श्रद्धालुओं के लिए माता के दर्शनों के आगे सीढिय़ों की चढ़ाई कोई मायने नहीं रखती है।
आस्था का है केन्द्र
बुजुर्गों ने बताया कि काली माता मंदिर बहुत प्राचीन काल का मंदिर है। माता अपने भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करती है। इसके बाद ख्याती फैलने से अब धीरे- धीरे श्रद्धालुओं की आस्था का केन्द्र बनता गया व चूरू सहित दूसरे जिलों से भी दर्शनों के लिए लोगों का आना शुरू हो गया है। ऐसे में अब माता के भक्तों का जमावड़ा लगा रहता है। धीरे-धीरे मंदिर के चारों तरफ विकास कार्य भी होने लगे। इसके चलते अब आस-पास का स्वरूप भी बदल गया है। कालिका माता सेवा समिति की देखरेख में मंदिर का सारा काम होता है।
नवरात्र में भरता है मेला
स्यानण डूंगरी स्थित काली माता मंदिर में आसोज के नवरात्रों में बड़ा मेला भरता है। जिसमें राजस्थान के अलग अलग हिस्सों से हजारों श्रद्धालु माता के दर्शन करने के लिए आते है इसके अलावा सालासर, खुड़ी, भांगीवाद, गुड़ावड़ी सहित आस पास के एक दर्जन से अधिक गांवो से श्रद्धालु पैदल पहुंचकर माता के दर्शन करते हंै।
गुफाओं के लिए प्रसिद्ध
माता मंदिर के चारों तरफ प्राचीन काल के बड़े बड़े पत्थर है। जिनमें चोर गुफा, साधु सहीत कई अनेक प्रकार की गुफाएं भी है। इसके अलावा मंदिर के चारों तरफ देवी द्वारा राक्षसों पर वार करते हुए चित्र भी देखने को मिलते हंै। जिसे देखने के लिए श्रद्धालुओं के आने का सिलसिला लगा रहता है। डूंगरी काली माता का मंदिर शिलालेख के अनुसार पुराना मण्ड संवत 924 का बना हुआ है। जोहड़ में स्थित है, जो कि करीबन
960 बीघा है।
Published on:
22 Jan 2023 01:13 pm
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