
चूरू. धोरों की धरती कभी समृद्ध रही होगी। मगर, आज राजस्थान के सर्वाधिक पिछड़े जिलों की पंक्ति में अग्रणी चूरू से मानो समृद्धि रूठ गई हो। यह कहना है एडवोकेट्स का जो मंगलवार को पत्रिका के टॉक शो में राजस्थान विधानसभा चुनाव के मुद्दों पर चर्चा कर रहे थे। मुद्दा था विकास का। लेकिन विकास किसका पर अभिभाषक कहते है कि चूरू में न उद्योग है न कृषि, जमीन है पर जंगल नहीं, जंगल तो पानी नहीं, खेत है फसल नहीं, क्योंकि सिंचाई के लिए पानी नहीं है। चर्चा में कहा जा रहा था कि किसी भी क्षेत्र का विकास वहां की कृषि और उद्योग में निहित है। इसलिए पिछड़ेपन का दंश झेल रहे चूरू को चाहिए औद्योगिक और कृषि क्रांति। क्योंकि इस क्रांति के बिना को विकास संभव ही नहीं है।
भारी वाहनों के लिए खोलें ओवरब्रिज
टॉक शो में चर्चा कर रहे एडवोकेट राजेन्द्र राजपुरोहित, शिवसिंह राठौड़, याकुब खान, सुरेन्द्र राहड़ व कन्हैयालाल गुर्जर आदि कहते हैं कि विडम्बना है इस क्षेत्र की कि या तो विकास होता ही नहीं और यदि होता है तो उसमें गुणवता या पूर्णता नहीं होती है। वे उदाहरण देते हैं कि चूरू-जयपुर रोड़ पर एक दशक पूर्व बना ओवर ब्रिज की हालत देखो कि पुलिया होते हुए भी नहीं है। एक दशक भी नहीं बीता की पुल भारी वाहनों के लिए बंद कर दिया गया। क्योंकि यह कमजोर है, पुल कमजोर बन गया और नौकरशाहों की ओर से प्रस्तुत आंकड़ाें के आधार पर सरकार ने उद्घाटन कर दिया और अब यह मुद्दा बन गया कि इसे ठीक करवाकर भारी वाहनों के लिए खोला जाए।
हर हाथ को काम, हर खेत को मिले पानी
ग्रामीण पृष्ठभूमि से जुड़े अभिभाषक कहते हैं कि गांवों में आज भी पीने का पानी खारा हैं, आपणी योजना से जुड़े गांवों की भी हालत यह है कि नियमित जलापूर्ति नहीं होने से ग्रामीणों को पीने का खारा पानी उपयोग में लेना पड़ रहा है। खारा पानी पीने से पशु रोगग्रस्त हो जाते हैं, चुनाव में मुद्दा है लेकिन जनप्रतिनिधि कितना क्या कर पाएंगे यह देखना हैं। चर्चा में विकास पर चर्चा करते करते यहां भी एक ही मुद्दा ज्यादा छाया रहा हर हाथ को काम हर खेत को पानी।
नहरों का पानी मिले सिंचाई के लिए
एडवोकेट्स का कहना था कि चूरू जिला वैसे भी टूटता जा रहा है। पहले डूंगरगढ़ तहसील गई और अब सुजानगढ़ के जाने की तैयारी है। ये तहसीलें राजस्व देने में अग्रणी रही है। आज डूंगरगढ़ मूंगफली की खेती का हब बनता जा रहा है, लेकिन चूरू वहीं का वहीं है। कृषि विकास के लिए जिला शीघ्र नहर से जुड़े। वकीलों का कहना था कि अटलजी की नदियों से राजस्थान को जोड़ने की योजना और चूरू को शारदा, यमुना, साबरमती लिंक प्रोजेक्ट का पानी जिले को सिंचाई के लिए मिले यह वर्तमान की आवश्यकता है। यहां चुने जाने वाले प्रतिनिधियों को चाहिए कि वे हरित क्रांति के लिए विजन बनाकर मरुस्थल के रीजन की दशा व दिशा सुधारने की सकारात्मक पहल करें।
धरातल पर उतारें योजनाएं
चर्चा में भाग ले रहे वकीलों का कहना था कि रेतीले धारों की खेती को यदि सिंचाई के लिए पानी मिलेगा तो यहा उद्योग भी विकसित होंगे। इसके लिए जनप्रतिनिधियों को चाहिए कि वे धरातल की राजनीति करें और आनेवाली युवा संतति के लिए भविष्य का निर्माण करें। उद्योग के लिए वर्षों किए जा रहे अधकचरे प्रयास से कोई पार नहीं पड़ने वाली है। इसके लिए विधानसभा में जानेवाले प्रतिनिधि मैदान में जाकर औद्योगिक विकास का मैप बनाए और जमीन पर उतारे यह जरूरी है।
Published on:
15 Nov 2023 11:10 am
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