
चूरू. जिले के सादुलपुर उपखंड में मानवीय सेवा की अनूठी नजीर है विमला देवी सेवा समिति आश्रम। सामाजिक सरोकार और मानव जीवन की रक्षार्थ के साथ बेसहारों का सहारा बनें इस आश्रम ने गत वर्षो में परिवार से पिछड़ें निराश्रित, लाचार, मंदबुद्धि व बीमार व्यक्तियों को उनके परिवार के पास पहुंचाया है। अपने खोए परिवार के लोगों से मिलने के बाद उनकी बरसों से पथराई आंखे चमकने लगी। यह आश्रम केवल बिछुड़ों के परिवारों से मिलन ही नहीं, बल्कि बेसहारा लोगों को दो वक्त का भोजन व दवा आदि की व्यवस्था कर रहा है। आश्रम संचालक मनीष शर्मा की मेहनत और लगन से प्रभावित होकर शहर के अनेक परिवार के लोग अपने बुजुर्गों की प्रेरणा से पीडि़तों के लिए भोजन आदि की नियमित व्यवस्था कर रहे हैं। आश्रम के इस सेवा कार्य से जुडंकर दानदाता भामाशाह भी सहयोग कर रहे हैं। मनीष शर्मा ने परिवार से बिछड़े सैकड़ों लोगों को अब तक उनके घर पहुंचाकर एक सकारात्मक सेवा का उदाहरण प्रस्तुत किया है। शर्मा का कहना है कि उन्होंने इस काम को अपने जीवन में उतार लिया है। ऐसे लोगों को उनके परिवारों से मिलवाकर जो आनंद मिलता है। उससे बड़ा कोई पुण्य कार्य नहीं है।
छह साल से परिवार से जुदा मिला गुमशुदा
मनीष ने बताया कि दमोल चतरा झारखंड निवासी राजू विश्वकर्मा का लापता पुत्र रंजीत पांच रोज पहले चूरू के जिला कलक्टर कार्यालय के सामने लावारिस अवस्था में घूमता हुआ मिला। जिसे आश्रम में लाकर स्नान करवाया, मेडिकल जांच करवाई तथा नए कपड़े पहनाकर पूछताछ की। रंजीत ने संतोषजनक जवाब नहीं दिया तो उसका वीडियों बनाकर सोशल मीडिया पर डाला। जिस पर पता चला कि रंजीत झारखंड के राजू विश्वकर्मा का पुत्र है। जो कोरोना काल से पहले मानसिक हालत खराब होने के कारण अपने घर से गायब हो गया था। शर्मा ने बताया कि राजू विश्वकर्मा व माता मालतीदेवी व भाई झारखंड से सादुलपुर आए और अपने पुत्र को साथ में ले गए।
30 बेसहारा आज भी है आश्रम में
आश्रम में आज भी कुल 30 बेसहारा लोग मौजूद हैं। अब तक हरियाणा, यूपी बिहार, कर्नाटक, पंजाब, असम, आंध्र प्रदेश तमिलनाडु राजस्थान आदि क्षेत्रों के लापता हुए लोगों को उनके परिवारजन तक पहुंचाया गया है। पहले सोशल मीडिया के सहारे लापता युवकों को उनके घर तक पहुंचाने का काम किया गया था। बाद में अप्रैल 2022 को आश्रम की स्थापना की गई। जनसेवा के कार्य को देखते हुए लोगों ने भी सहयोग देना शुरू कर दिया।
45 साल से गुम बुजुर्ग मिले परिवार से
आश्रम संचालक ने बताया कि गत दिनों 45 वर्ष से लापता यूपी निवासी बैजनाथ को उनके परिवार से मिलवाया। उन्होंने बताया कि कई सालों पहले बैजनाथ घर से लापता हो गए थे तथा पंजाब में किसी व्यक्ति के पास मजदूर बनकर रहने लगे। वहां से लापता होने के बाद सादुलपुर में उनको मिल गए तथा सोशल मीडिया के सहारे बैजनाथ को भी 45 वर्ष बाद उनके परिवार जनों को मिला दिया गया।
मिलती है अनुभूति
शर्मा ने बताया कि जब लापता व्यक्तियों को आश्रम में उनके परिवारजन लेने आते हैं तो अनोखी अनुभूति का एहसास होता है सालों बाद मिलने वाले परिवारजन कभी अपने लापता पुत्र, पति, बेटे को नम आंखों से लाड़ दुलार करते है तो कभी उनको भी उनका प्यार मिलता है। शर्मा ने बताया कि वो क्षण मुश्किल भरा होता है जब महीनों तक सेवा के बाद लापता व्यक्ति को उसके परिवारजन आश्रम से लेकर जाते हैं तो आश्रम में रहने वाले अन्य लोगों की भी आंखें नम हो जाती है।
आश्रम नहीं परिवार है
मंदबुद्धि बीमार लाचार तथा असहाय व्यक्ति आश्रम में रहते जरूर है। लेकिन उनकी भी दुनिया अलग है। उनमें भी प्यार और स्नेह की भावना है। साथ में रहते रहते एक भाई की तरह व्यवहार करने लग जाते हैं। ऐसा लगता है कि यह भी एक परिवार है। जो अपने परिवारजन ओर दुनिया से अलग है। शर्मा कहते हैं कि शासन और प्रशासन से सहयोग मिले और आश्रम के लिए जमीन उपलब्ध करवा दी जाएं तो स्थाई आश्रम बनाने की योजना है।
Published on:
19 Nov 2023 11:25 am
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