
Dog Bite: कुत्ता काटने पर अब लगेंगे पहले के मुकाबले कम इंजेक्शन, यह हुआ बदलाव
सुजानगढ़. श्वास के काटने पर पीडि़त को दर्द सहने के अलावा इंजेक्शन का डर अलग से सताता है। पहले जहां श्वान काटने (Dog Bite) पर 14 इंजेक्शन लगवाने पड़ते थे, उसके बाद 5 और अब सिर्फ 4 इंजेक्शन ( Dog Bite Injection ) ही लगवाने पड़ेंगे। इससे अस्पताल पहुंचने वाले पीडि़तो का दर्द कुछ कम होगा। उन्हे अस्पताल के चक्कर कम लगाने पड़ेंगे। वर्ल्ड हैल्थ आर्गेनाइजेशन ( WHO ) ने डॉग बाइटिंग पर दिए जाने वाले इंजेक्शनों को लेकर नई गाइड लाइन जारी की है। इसके तहत श्वान के शिकार को पांच के स्थान पर अब सिर्फ चार ही इंजेक्शन लगाए जाऐंगे। त्वचा के मार्ग से भी इंजेक्शन लगाकर पीडि़त को रेबीज से बचाया जा सकेगा।
यह किया बदलाव
राजकीय बगडिय़ा चिकित्सालय के डा. दिलीप सोनी के अनुसार इन्ट्रामास्क्यूलर इंजेक्शन की पहले पांच डोज डॉग बाइट से पीडि़त को दी जाती थी। अस्पताल पहुंचने के दिन से चिकित्सको द्वारा बताए अनुसार ही इंजेक्शन लगवाने होते है। इसके तहत पहला इंजेक्शन काटने के बाद अस्पताल पहुंचने पर, दूसरी डोज तीसरे दिन व तीसरी डोज 7वें तथा चोथी व अंतिम डोज 14 से 28 दिवस के बीच दी जाएगी। इसके अलावा एक नया इंजेक्शन भी आया है। इसमें रोगी को तीन दिन ही अस्पताल आना पड़ेगा।
पहली डोज काटने के बाद, फिर तीसरे दिन व तीसरा इंजेक्शन 7वें दिन लगाया जाएगा। यह इंजेक्शन (इन्ट्राडर्मल) त्वचा रूट से लगेगा। चिकित्सको का मानना है कि कम दर्द देगा ओर असर भी ज्यादा करेंगे। हालांकि इसमें एक बार में दो इंजेक्शन लगाए जाएंगे।
2002 में मिली थी 14 सूइयों से मुक्ति
जानकारी के अनुसार 2002 तक न्यूरल वैक्सीन लगाए जाते थे। इन पर सर्वोच्च न्यायालय ने रोक लगा दी थी। एक तो श्वान के काटने पर हुऐ घाव का दर्द ओर दूसरा एक के बाद एक 14 इंजेक्शन लगाने से पीडि़त को काफी पीड़ा सहनी पड़ती थी। चूंकि इंजेक्शन पेट में लगाए जाते थे। पेट में इंजेक्शन लगने के नाम से ही दिल दहल जाया करता था। बच्चो के लिए यह काफी मुश्किल भी ज्यादा होते है। इन इंजेक्शनो के बंद होने के बाद सेल कल्चर आए। नए शिड्यूल के अनुसार भी यही दिए जा रहे है। तरीका व माध्यम में कुछ बदलाव आया है।
डॉग-बाइट की तीन श्रेणियां
एक अन्य चिकित्सक के अनुसार डॉग बाइट की तीन श्रेणियां होती है। पहली श्रेणी में श्वान की जीभ पर टच होने या चाटने पर। इस श्रेणी में जिस स्थान पर श्वान की जीच टच होती है, उसे 15 से 20 मिनट तक धोकर साफ कर लेना चाहिए। दूसरी स्थिति में खून नहीं निकले, लेकिन शरीर पर खरोंच आ जाए तो वेक्सीन लगवाना जरूरी है। तीसरी स्थिति में जब श्वान के काटने पर खून आ जाए तो रेबीज की रोकथाम के लिए इंजेक्शन के साथ इम्यूनोग्लोबिन भी साथ में लगवाने होते है। शहर में श्वानो का आंतक है। शहर के अस्पताल में प्रतिदन 2 से 3 पीडि़त पहुंचते है। डा. सोनी ने बताया कि प्रतिवर्ष एक हजार के करीब लोग श्वानों के कोप के शिकार हो रहे है।
Published on:
03 Feb 2020 11:57 am
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