18 दिसंबर 2025,

गुरुवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

शिलान्यास व उद्घाटन पर जोर, काम पर नहीं ध्यान

मरूधरा के लिए जीवन रेखा मानी जाने वाली सिधमुख नहर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। हालात तो ऐसे हैं कि इसके खाळे और वितरिकाएं भी धीरे-धीरे जर्जर होने के कगार पर है।

2 min read
Google source verification
शिलान्यास व उद्घाटन पर जोर, काम पर नहीं ध्यान

शिलान्यास व उद्घाटन पर जोर, काम पर नहीं ध्यान

हमे चाहिए हक का पानी
चूरू. मरूधरा के लिए जीवन रेखा मानी जाने वाली सिधमुख नहर अपनी बदहाली पर आंसू बहा रही है। हालात तो ऐसे हैं कि इसके खाळे और वितरिकाएं भी धीरे-धीरे जर्जर होने के कगार पर है। वर्षो से राजनीति का शिकार रही इस नहर को लेकर जनप्रतिनिधियों ने बड़े दावे और वादे किए, लेकिन ये सब हकीकत से कोसों दूर है। सिधमुख क्षेत्र के किसानों के पास आंदोलन के अलावा दूसरा कोई रास्ता नहीं बचा है। इसको लेकर पहले भी किसानों ने जंग छेड़ी लेकिन आश्वासन के छींटे देकर उन्हे शांत कर दिया। लेकिन नहर के विकास को लेकर कोई आगे नहीं आया। हां इस नहर को लेकर एक बात जरूर ये सामने आई कि बड़ेेेे-बड़े जनप्रतिनिध शिलान्यास व उद्घाटन करने में सबसे आगे रहे। अपने नाम के पत्थर लगाए और इस नहर को भूल गए। ये भी भूल गए कि ये नहर किसानों की जीवनदायनी है। वर्षों से सिंचाई का पानी मिलने की आस लगाए बैठे इन किसानों के सपने चकनाचूर हो गए हैं। जानकारी के अनुसार सिधमुख नहर परियोजना की स्वीकृति 31 मार्च 1958 में जारी हुई। उस समय नहर में 800 क्यूसेक तथा 103 करोड़ का बजट अनुमानित किया गया था। 1962 में पुन: नहर का सर्वे किया गया और दो फीडर बनाए गए। 23 लाख हेक्टेयर भूमि को सिंचित करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया। उस समय राजगढ़ तहसील के 38 गांव नहर से जुड़े थे। एक नवम्बर 1987 में पहली बार तत्कालीन सिंचाई मंत्री लालचन्द डूडी ने हरियाणा राज्य में सिधमुख कैनाल के नाम से इस नहर का शिलान्यास किया। इसके बाद 17 सितम्बर 1989 को तत्कालीन प्रधानमत्री राजीव गांधी ने भादरा तहसील के भिराणी हैड पर दुबारा नहर का शिलान्यास किया और काम शुरू हो गया। इसके बाद 1992 मे पुन: सर्वे हुआ जिसमें राजगढ़ तहसील के 14 गांवों को ही इसमें शामिल किया गया। उस समय भिराणी हैड से नहर की लम्बाई 35 किलोमीटर निश्चित की गई। वर्ष 2000 में नहर का निर्माण कार्य शुरू हुआ जो 25 किमी पर चूरू जिले सीमा में प्रवेश करने से पहले ही काम बंद हो गया। तब सिधमुख नहर में 111 क्यूसेक पानी निर्धारित किया गया था। वितरिका से जुड़े माइनरों का निर्माण तो कर दिया लेकिन क्षतिग्रस्त होने के बाद किसी ने ध्यान नहीं दिया। 12 जुलाई 2002 को कांगे्रस की राष्ट्रीय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने इसका उद्घाटन किया। उस समय भिराणी हैड से सिधमुख होते हुए भादरा तहसील के गांव सड़ी से आगे कासी बणी में 35 किमी पर टेल बननी थी लेकिन गांव भीमसाणा में प्रवेश होने से पहले ही 21 किमी पर टेल बना दी गई। इसके आगे सिधमुख माइनर के नाम से 9.5 किमी माइनर का निर्माण कर दिया गया। किसानों के मुताबिक शिलान्यास के समय स्वीकृत सिधमुख वितरिका की कुल लम्बाई 35 में से अभी भी 14 कि.मी. का निर्माण होना बाकी है।

सिधमुख माइनर
9.05किमी. लम्बाई
1675हे. सिंचित रकबा
13.0क्यूसेक पानी की मात्रा
0.38क्यूसेक पानी की छति

10 फीसदी हिस्सा भी चुकाने को तैयार
सिधमुख वितरिका से जुड़े खालों का निर्माण कार्य किया जाना बाकी है। वहीं जगह-जगह टूटे व साफ-सफाई के अभाव में माइनरों में जाने वाला पानी भी व्यर्थ बह जाता है। यहां के किसान खालों के निर्माण पर होने वाले खर्च का 10 फीसदी हिस्सा चुकाने के सिए तैयार हैं फिर भी विभाग खालों के निर्माण के लिए आगे नहीं आ रहा है। इससे साफ जाहिर होता है कि सरकार इस क्षेत्र के किसानों के लिए ध्यान नहीं दे रही है। किसानों के संघर्ष पर अधिकारी आश्वासन देकर इतिश्री कर लेते हैं। इसका खामियाजा प्रशासन को कभी कोई बड़े आंदोलन का सामना करना पड़ सकता है।