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लापरवाही की हद : लाखों के पौधे खा गए जानवर, जानिए कहां

जिला मुख्यालय से सटे रतननगर कस्बे में नगरपालिका की लापारवही की हद सामने आई है। जहां सरकारी योजना के तहत रोपे गए लाखों कीमत के पौधे जानवर खा गए। लोग बोले हरियाली बढाने के नगरपालिका के दावे कमजोर साबित हुए हैं। इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत रोपे गए करीब पांच हजार पौधे पेड़ बनने से पहले ही सूख कर मर गए। लोगों का आरोप है कि पौधे महज दस्तावेजों और आंकड़ों में रोपे गए हैं। जिम्मेदार इसका बजट जीम गए। पौधों के लिए मंगवाया जाने वाला पानी जिम्मेदारों के कंठ की प्यास बुझा रहा है।

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चूरू. जिला मुख्यालय से सटे रतननगर कस्बे में नगरपालिका की लापारवही की हद सामने आई है। जहां सरकारी योजना के तहत रोपे गए लाखों कीमत के पौधे जानवर खा गए। लोग बोले हरियाली बढाने के नगरपालिका के दावे कमजोर साबित हुए हैं। इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत रोपे गए करीब पांच हजार पौधे पेड़ बनने से पहले ही सूख कर मर गए। लोगों का आरोप है कि पौधे महज दस्तावेजों और आंकड़ों में रोपे गए हैं। जिम्मेदार इसका बजट जीम गए। पौधों के लिए मंगवाया जाने वाला पानी जिम्मेदारों के कंठ की प्यास बुझा रहा है। लोगों ने बताया कि पांच हजार पौधों में से मुश्किल से करीब डेढ सौ पौधे कस्बे के विभिन्न स्थानों पर जिंदा बचे हैं, वो भी स्थानीय लोगों द्वारा सार संभाल करने के कारण। इसे लेकर नगरपालिका के जिम्मेदारों ने बताया कि पौधों को जानवर खा गए व कई सर्दी के कारण नष्ट हो गए।

यह था लक्ष्य
नगरपालिका के अधिकारियों के मुताबिक वर्ष 2022-23 व 23-24 की वार्षिक योजना के तहत इंदिरा गांधी शहरी रोजगार गारंटी योजना के तहत कुल 93.30 लाख का बजट स्वीकृत हुआ था। जिसके तहत कस्बे में आठ हजार पौधे लगाने का लक्ष्य दिया गया था। जिसमें से वन विभाग से 1.8 लाख की राशि खर्च कर कई प्रजातियों के कुल आठ हजार पौधे खरीदे गए थे। जिनमें से पांच हजार पौधे कस्बे के विभिन्न स्थानों पर रोपे गए व तीन हजार पौधे लोगों को बांटे गए थे। पौधरोपण पर करीब 8.62 लाख की राशि खर्च हुई थी।

यहां रोपे गए इतने पौधे
नगरपालिका के आंकड़ों के मुताबिक गत वर्ष योजना के तहत कस्बे के सर्व समाज मुक्ति धाम में विभिन्न प्रजातियों के 1089 पौधे रोपे गए थे। इसके अलावा सैनी समाज मुक्ति धाम में 850, चूरू रोड़ स्थित सैनी समाज के मुक्ति धाम में 650, दो कब्रिस्तानों में 1100, बालिका स्कूल में 150, चूरू - जयपुर रोड के दोनों तरफ सडक़ किनारे 350, पुलिस थाने में 250, छात्रावास में 450 व मीणा समाज के मुक्ति धाम में 250 पौधे रोपे गए थे।

सुरक्षा की कमी लील गई पौधों की जिंदगी
नगरपालिका के अधिकारियों के मुताबिक बजट पौधों की तारबंदी पर एक भी पैसार खर्च नहीं किया गया है। ना हीं पौधों की सार- संभाल को लेकर योजना का पैसा खर्च किया गया। पौधों को सर्दी से बचाने की जुगत भी प्लास्टिक के कट्टों से ढक कर की गई। इसके अलावा नगरपरिषद की ओर से पौधों में पानी डालने के कार्य पर कोई बजट खर्च नहीं किया गया। यही वजह है कि सुरक्षा व सार - संभाल की कमी पौधों का जीवन लील गई। वे पेड़ बनने से पहले ही सूख कर मर गए।

लोग बोले...
नगरपालिका के जिम्मेदार आठ हजार पौधे लगाने का दावा कर रहे हैं। जबकि धरातल पर महज सौ से डेढ सौ पौधे लगे हैं। जयपुर रोड़ पर तो एक भी पौधा नहीं रोपा गया है। पौधरोपण के नाम पर जिम्मेदार बजट को जीम गए। पौधे तो नहीं है पर इनमें डाला जाने वाला पानी का खर्च अभी भी उठाया जा रहा है।
पवन कुमार सैनी, भाजपा मंडल अध्यक्ष, रतननगर

पौधरोपण के नाम पर कस्बे के लोगों हरियाली बढाने के सब्जबाग दिखाए गए थे। आठ हजार तो दूर अगर 80 पौधे भी पेड़ बनने की राह पर अग्रसर होते तो सरकारी धन का सदुपयोग मानते। यहां तो आंकड़ों व दस्तावेजों में ही कस्बे में हरियाली बढ रही है।

अफसाना बानो, पार्षद वार्ड 3, रतननगर

चूरू- जयपुर मार्ग पर सडक़ के दोनों किनारों पर पौधे लगाने के महज दावे किए जा रहे हैं। एक भी पौधे लगाने के निशान मौके पर नहीं है। ऐसे में जिम्मेदार महज कागजी घोड़े दौड़ा रहे हैं। कस्बे में हरियाली बढाने के नाम पर लाखों रूपए बर्बाद कर दिए गए हैं।
सुनीता सैनी, पार्षद वार्ड 1, रतननगर

नगरपालिका के हजारों पौधे लगाने के दावे बेमानी है। कस्बे में मुश्किल से कोई डेढ सौ से दो सौ पौधे नजर आ रहे हैं। कब, कहां और कैसे पौधे लगाए हमें तो जानकारी ही नहीं दी गई। बस मनमर्जी से आनन- फानन में पौधे रोप दिए गए। उनकी सार- संभाल कौन कर रहा है, इसका तक पता नहीं है।

प्रेमरतन शर्मा, पार्षद वार्ड 8, रतननगर

इनका कहना है :
योजना के तहत वन विभाग से 1.8 लाख की राशि से विभिन्न प्रजातियों के कुल आठ हजार पौधे खरीदे गए थे। जिसमें से पांच हजार पौधे कस्बे के विभिन्न स्थानों पर रोपे गए। जिस पर करीब 8.62 लाख खर्च की राशि खर्च हुई। इसके अलावा पौधों में पानी देने, तारबंदी करने व सर्दी से बचाने के अलावा उनकी देखभाल पर एक भी पैसार खर्च नहीं किया गया है। सार्वजनिक स्थानों पर लगे कुछ पौधों को जानवर खा गए। कई पौधे जलकर नष्ट हो गए। अब कुछ पौधे जिंदा हैं।
अमित कुमार, कनिष्ठ तकनीकी सहायक, नगरपालिका, रतननगर