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पहले खुद ने छोड़ा और दूसरों का छुड़वा रहे तम्बाकू

भारत दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है। भारत में 42 करोड़ लोग धूम्रपान और चबाकर दोनों तरह से तंबाकू का उपयोग करते हैं।

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पहले खुद ने छोड़ा और दूसरों का छुड़वा रहे तम्बाकू

पहले खुद ने छोड़ा और दूसरों का छुड़वा रहे तम्बाकू

मधुसूदन शर्मा
चूरू. भारत दुनिया में तंबाकू का दूसरा सबसे बड़ा उपभोक्ता देश है और दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तंबाकू उत्पादक देश है। भारत में 42 करोड़ लोग धूम्रपान और चबाकर दोनों तरह से तंबाकू का उपयोग करते हैं। भारत में पुरुषों में सभी तरह के पुरूष कैंसर मरीजों में से लगभग 45 प्रतिशत व महिलाओं में से लगभग 70 प्रतिशत कैंसर मरीज मुख के कैंसर से पीडि़त हैं। सेग जर्नल में प्रकाशित 2018 के रिसर्च के अनुसार तंबाकू के विपरीत प्रभाव की वजह से हर साल भारत में 80 लाख लोगों की मौत हो जाती है। इसके लिए सरकार ने कानून बनाया, लेकिन ये कानून भी बेअसर साबित रहा है। असर किया है तो व्यक्ति की दृढ़ इच्छा शक्ति ने। इसी के बल पर लोगों ने उपचार लेकर और अपनी इच्छा शक्ति से इसको छोड़ा और आज वे स्वस्थ जीवन जी रहे हैं। हमने कुछ ऐसे ही लोगों से बात की जो वर्षों से तंबाकू खाते थे लेकिन वे अब दूसरों को तंबाकू का सेवन नहीं करने की सीख देते हैं। चूरू जिले की बात करें तो तीन साल में 3561 लोगों की सलाह केन्द्र में काउंसलिंग की। इस कारण लोगों को काफी लाभ मिला। वर्ष 2019-19 में 1254, 2019-20 में 1164 और 2021-22 में 1143 लोगों की काउंंसलिंग की गई।

10 वर्षों तक लगातार तंबाकू का सेवन
चूरू. करीब 10 वर्षों तक लगातार तंबाकू का सेवन किया। शुरुआत से लेकर धीरे-धीरे ये आदत बढ़ती चली गई लेकिन एक समय ऐसा आया कि इसके खाने की सीमा भी नहीं रही। परिणाम ये निकला की इसके कारण कुछ शारीरिक परेशानिया होने लगी। कुछ ऐसी परिस्थितियों से गुजरी चूरू की शेखावत कॉलोनी की नसीम। 28 वर्षीय नसीम को जब इसके दुष्परिणामों के बारे में जानकारी लगी तो उन्होंने तंबाकू के सेवन को छोडऩे की मन में ठानी। उन्होंने बताया कि इससे घर के सभी सदस्य परेशान रहने लगे थे लेकिन सबने मिलकर हौसला बढ़ाया। इसके बाद चूरू के डीबीएच में तंबाकू उपचार केन्द्र में जाकर सलाह ली। फिर मन को मजबूत किया और तंबाकू का सेवन पूरी तरह से छोड़ दिया है। उन्होंने बताया कि इसके कारण आर्थिक और मानसिक, शारीरिक तीनों नुकसान थे। वे अब दूसरों को भी तंबाकू का सेवन नहीं की सीख देती हैं। उनका कहना है कि तंबाकू नाश का द्वार है।
35 साल लगातार खाया, अब हाथ भी नहीं लगाते
ये हैं 75 वर्षीय पेमाराम। जोड़ी गांव में रहते हैं। इन्होंने बताया कि लगातार ३५ साल तक तंबाकू का सेवन किया। बीच में इसका सेवन बहुत ही ज्यादा मात्रा में करने लगे। लेकिन धीरे-धीरे शरीर पर इसका प्रभाव नजर आने लगा। हालात ऐसे उपज गए कि इस नशे के कारण चक्कर आने लगे। दो-तीन बार तो बीच रास्ते में ही बेहोश होकर गिर चुका था लेकिन बाद में इसके इसक नुकसान का पता चला तो फिर तंबाकू सलाह केन्द्र में इसके बारे में जानकारी हासिल की। वहां से उपचार लेने के बाद उसे छोड़ दिया। उन्होंने बताया कि करीब आठ महिने हो गए लेकिन अभी तक तंबाकू के हाथ नहीं लगाया है। उन्होंने कहा कि तंबाकू का सेवन शरीर के लिए घातक है। इसका सेवन नहीं करना चाहिए। उन्होंने युवाओं को सीख दी कि वे अच्छी चीजों का उपयोग कर शरीर को हष्ट पुष्ट रखें। उन्होंने कहा कि इसके सेवन से कैंसर जैसी गंभीर बीमारी शरीर को लग सकती है। जिससे परिवार तबाह हो सकता है।
नशे ने यादाश्त को किया कमजोर
कड़वासर गांव के हेतराम स्वामी। युवावस्था में कदम रखने के साथ ही उन्होंने तंबाकू जनित पदार्थों का सेवन कर दिया। ये नशा सिर पर इस कदर सवार हुआ कि यादादाश्त कमजोर होने लगी। यही नहीं किसी भी काम में मन भी नहीं लगता था। उन्होंने बताया कि २०१२ से लेकर २०१६ तक नशे की अति हो गई। लेकिन इसके दुष्प्रभाव नजर आने लगे। जब मन को लगा कि हाथ से सब कुछ निकलता जा रहा है तो फिर मन को शांत कर कुछ समय के लिए चिंतन किया और इच्छा शक्ति को मजबूत बनाकर इसे छोडऩे की ठानी। इसके लिए काफी संघर्ष किया। फिर योगा को आधार बनाया। धीरे-धीरे तनाव समाप्त होने लगा और शरीर भी स्वस्थ हो गया। दो साल बीत गए लेकिन वे अब तंबाकू जनित पदार्थों का सेवन तक नहीं करते हैं। उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को सफलता नहीं मिलने के पीछे प्रमुख कारण नशा ही है। उन्होंने युवाओं को नशे से दूर रहने की नसीहत दी है और गांव में भी लोगों को इसके लिए प्रेरित भी करते हैं।
दृढ इच्छा शक्ति के बल पर छोड़ा नशा
४१ वर्षीय बिलाल तुगलक चूरू निवासी हैं। कम उम्र में ही तंबाकू जनित उत्पादों का सेवन शुरू कर दिया। धीरे-धीरे ये आदत बढ़ती चली गई। एक समय ऐसा आया कि इसके सेवन की सारी हदें पार कर दी गई। हर महिने सात हजार रूपए का तंबाकू उत्पादों का सेवन किया जाने लगा। नशा भी खून में घुलने लगा। भूख लगना बंद हो गई, जी मिचलाने लगा, काम में भी मन नहीं लग रहा था। २५ साल तक सेवन करने के बाद एक दिन मन में इसे छोडऩे का विचार आया। जेब में तंबाकू रखा था जिसे सड़क पर फैंक दिया। चार-पांच दिन तक बैचेन रहा लेकिन मन को मजबूत बनाए रखा। ऐसे करते करते १५ दिन बीत गए और फिर उसके हाथ तक नहीं लगाया। अब करीब दो साल से तंबाकू जनित उत्पादों के हाथ नहीं लगाया है। यही नहीं बिलाल तुगलक अब तंबाकू का सेवन करने वालों को टोकते भी हैं और नशा छोडऩे के लिए प्रेरित भी करते हैं। उन्होंने सीख दी कि नशा छोडऩे से शरीर तो स्वस्थ रहेगा ही प्रत्येक काम लगने से करने की इच्छा भी जाग्रत रहेगी।