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युवती खाती थी बाल, पेट से निकाला तीन फीट लंबे बालों का गुच्छा

रेपेंजल सिंड्रोम नामक बीमारी से पीडि़त थी युवती, डेढ़ घंटे चला ऑपरेशन

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चूरू. राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल में शुक्रवार को सर्जन चिकित्सकों ने रेपेंजल सिंड्रोम नामक बीमारी से पीडि़त १८ वर्षीय युवती का सफल ऑपरेशन कर उसके पेट (अमास्य) से करीब तीन फीट लंबे बालों गुच्छा निकाला है। अस्पताल के सहायक प्रोफेसर एवं उदर रोग विशेषज्ञ सर्जन डा. जेपी चौधरी ने बताया कि राजपुरा निवासी पूनम के परिजनों ने उसके पेट दर्द की शिकायत की थी। दवा लेने के बाद युवती को राहत नहीं मिली। उसकी सीटी स्केन करवाई। इसमें युवती पूनम के रेपेंजल सिंड्रोम नामक बीमारी सामने आई। शुकवार को सर्जन चिकित्सकों की टीम ने डेढ़ घंटे तक ऑपरेशन किया। उसके पेट से करीब तीन फीट लंबी बालों की जडऩुमा गांठ निकाली गई। जो ऊपरी सतह से करीब आधा फीट मोटी हो चुकी थी। डा.चौधरी ने बताया कि युवती काफी समय से रेपेंजल सिंड्रोम नामक बीमारी से पीडि़त थी। वह लंबे से खुद के सिर के बाल खाती थी। पांच मार्च को परिजन उसे राजकीय डेडराज भरतिया अस्पताल लेकर आए थे।

छोटी आंत तक पहुंची जड़

पेट में बनी बालों की जड़ छोटी आंत तक पहुंच चुकी थी। यह बालों की गांठ एक निश्चित समय के बाद आंतों में एकत्रित होकर सेफ बना लेती है। जो भोजन को पचने नहीं देती है। भोजन के बाद पेट में दर्द होने लग जाता है। भोजन शरीर से बिना पचे उल्टी से बाहर आ जाता है।
दूरबीन से किया ऑपरेशन

इधर डा. चौधरी ने शुक्रवार को एक महिला रोगी की पित्त की थैली का दूरबीन से सफल ऑपरेशन किया। चूरू में मेडिकल कॉलेज बनने के बाद भरतिया अस्पताल में पित्त की थैली, अपेंडीक्स व आंत की टीबी से संबंधित रोगों के ऑपरेशन दूरबीन से होने लगे हैं।

एक प्रतिशत लोगों की होती सर्जरी

डा. चौधरी ने बताया कि कुछ लोग मनो चिकित्सा विकार के कारण स्वयं के बाल तोड़कर खाते हंै। इसे ट्राइकोफेगिया कहते हंै। इसके कारण पेट में जो बालों का गुच्छा बन जाता है जिसे ट्राइकोबेजार कहते हैं। उन्होंने बताया कि सामान्य यह रोग १५ वर्ष से ५० वर्ष की उम्र को होता है। इस मामले में एक प्रतिशत लोगों को सर्जरी की जरूरत होती है। युवती का ऑपरेशन करने वाली टीम में प्रो. गजेंद्र सक्सेना, सहायक प्रोफेसर डा. जेपी चौधरी, डा. महेंद्र खीचड़, डा. संदीप अग्रवाल, डा. जगदीश सिंघड़, डा. दीपक चौधरी, नर्सिंग स्टाफ प्रभूसिंह, अनिता, मधु एवं ओटी इंचार्ज लीलीकुटी शामिल थीं।