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चूरू के रोडवेज बस स्टैंड पर रात को रहता है खतरा

चूरू आगार के बस स्टैंड पर आना जान का खतरा मोल लेने से कम नहीं है। क्योंकि करीब 10 बीघा में फैला आगार का बस स्टैंड रात को अंधेरे की आगोश में रहता है।

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शहर में स्थित रोडवेज के चूरू आगार के बस स्टैंड पर आना जान का खतरा मोल लेने से कम नहीं है। क्योंकि करीब 10 बीघा में फैला आगार का बस स्टैंड रात को अंधेरे की आगोश में रहता है।

बिजली सुविधा के अभाव में यहां अकेले या परिवार सहित खड़े रहकर बस का इंतजार करना मुश्किल है। इतने बड़े क्षेत्रफल में फैले बस स्टैंड की चौकीदारी के लिए तैनात कर्मचारी भी अंधेरे के कारण एकमात्र टॉर्च के सहारे निगरानी रख पाने में असमर्थ है। मगर लंबे समय से चल रही इस अव्यवस्था के प्रति आगार प्रबंधन आंख मूंदे बैठा है।

कंडम बसों में सोकर बिताते हैं रात: रोडवेज ने लाखों रुपए खर्च कर यहां महिला परिचालकों के लिए विश्राम गृह का निर्माण तो करवा दिया। मगर अब तक सार्वजनिक निर्माण विभाग की ओर से इसे सौंपे नहीं जाने से करीब छह माह से इस पर ताला लगा हुआ है।

ऐसे में देर शाम को ड्यूटी ऑफ होकर आने वाले दूसरे गांवों के चालक-परिचालकों को यहां अंधेरे में रहना पड़ता है। रात्रि विश्राम के लिए जगह नहीं मिलने से उन्हें आगार कार्यशाला में खड़ी कंडम बसों में सोकर रात बितानी पड़ती हैं। यहां कंटीली झाडिय़ों और कचरे से बढ़ते मच्छर भी काटते हैं।

उद्घाटन से पहले ही टूट गया शौचालय



आगार परिसर में दानदाता की ओर से दिव्यांगों की सुविधा के लिए बनाया गया शौचालय भी उद्घाटन से पहले क्षतिग्रस्त हो चुका है। यहां बनाया गया फुटपाथ और लोहे की रैलिंग टूट चुकी है। मगर अब तक इस पर ताला लटका है।

टूटी है सड़क, उड़ती धूल

आगार के प्रवेश द्वार से लेकर पूरे परिसर की सड़क लंबे अर्से से टूटी पड़ी है। बुरी तरह क्षतिग्रस्त सड़क के कारण बसों के आवागमन के दौरान उड़ती धूल से यात्री और रोडवेजकर्मी खुद परेशान हैं।

बदबू इतनी कि खड़े होना भी मुश्किल

आम यात्रियों व स्टाफ के लिए बने शौचालय में गंदगी का आलम ये है कि इन्हें काम में लेना तो दूर यहां खड़े होना भी मुश्किल है। ऐसे में चालक-परिचालकों को दैनिक क्रिया से निवृत होने के लिए भी पास में पड़ी खुली जमीन का उपयोग करना पड़ रहा है।

आगार की ओर से सफाई के लिए हालांकि एक सफाई कर्मचारी को साढ़े चार हजार रुपए मानदेय पर रखा गया है। मगर इतने बड़े आगार परिसर की सफाई कर पाना एक आदमी के बस की बात नहीं है। ऐसे में सफाईकर्मी कार्यालय के शौचालय की सफाई के बाद विभागीय डाक देने अथवा अन्य कार्यों में व्यस्त रहता है।

बस स्टैंड पर वैसे तो प्रकाश की व्यवस्था है। मगर उसमें और सुधार किया जाएगा। विश्राम गृह अभी पीडब्ल्यूडी ने हैंडओवर नहीं किया है।
संदीप सांखला, मुख्य प्रबंधक , रोडवेज, चूरू

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