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Acharya Mahashraman – – जन्मधरा पर बारह वर्षों बाद 22 दिनों के लिए आचार्य महाश्रमण का मंगल प्रवेश

चूरू. (सरदारशहर). सरदारशहरवासियों के लिए बुधवार की सुबह एक नव उल्लास लेकर आई। मौका था अङ्क्षहसा यात्रा प्रणेता शांतिदूत आचार्य महाश्रमण के नगर प्रवेश का। लगभग 9 वर्षों के पश्चात अपनी जन्मधरा पर पधारे तो पूज्य आचार्य के स्वागत में मानों पूरा सरदारशहर महाश्रमणमय बन गया था। सुबह मेगा हाइवे स्थित आचार्य महाप्रज्ञ समाधि स्थल (अध्यात्म का शांतिपीठ) पर अपने गुरु का ध्यान कर आचार्य महाश्रमण ने मंगल प्रस्थान किया।

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चूरू

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Vijay

Apr 28, 2022

जन्मधरा पर बारह वर्षों बाद 22 दिनों के लिए आचार्य महाश्रमण का मंगल प्रवेश

जन्मधरा पर बारह वर्षों बाद 22 दिनों के लिए आचार्य महाश्रमण का मंगल प्रवेश

चूरू. (सरदारशहर). सरदारशहरवासियों के लिए बुधवार की सुबह एक नव उल्लास लेकर आई। मौका था अङ्क्षहसा यात्रा प्रणेता शांतिदूत आचार्य महाश्रमण के नगर प्रवेश का। लगभग 9 वर्षों के पश्चात अपनी जन्मधरा पर पधारे तो पूज्य आचार्य के स्वागत में मानों पूरा सरदारशहर महाश्रमणमय बन गया था। सुबह मेगा हाइवे स्थित आचार्य महाप्रज्ञ समाधि स्थल (अध्यात्म का शांतिपीठ) पर अपने गुरु का ध्यान कर आचार्य महाश्रमण ने मंगल प्रस्थान किया। सामाजिक, धार्मिक व व्यावसायिक संगठनों के लोग भी स्थान-स्थान पर आचार्य का हार्दिक अभिनंदन कर रहे थे। गांधी चौक, मुख्य बाजार, घंटाघर आदि स्थानों से होते हुए आचार्य भव्य जुलूस के साथ तेरापंथ भवन पहुंचे। सन 2010 में इसी भवन में आचार्य ने अपना प्रथम चतुर्मास किया था। अब पुन: लगभग बारह वर्षों के बाद करीब 22 दिनों के लम्बे प्रवास के लिए मंगल प्रवेश किया। तेरापंथ भवन से कुछ दूरी पर बने युगप्रधान समवसरण में आचार्य ने कहा कि जीवन में मंगल की कामना की जाती है। आदमी दूसरों के लिए भी मंगलकामना करता है और स्वयं के जीवन में भी मंगल की कामना करता है। इसके लिए कुछ प्रयास और उपाय भी किया जाता है। शास्त्रकार ने बताया कि सर्वोत्कृष्ट मंगल धर्म होता है। पदार्थों को भी मंगल के संदर्भ में प्रयोग किया जाता है, किन्तु उससे कहीं ऊंचा मंगल धर्म होता है। शास्त्र में धर्म के संदर्भ में तीन शब्द बताए गए हैं-अङ्क्षहसा, संयम और तप। उन्होंने कहा कि जीवन में संयम की प्रधानता रहे। इसी प्रकार तपस्या भी जीवन में रहे तो आदमी का जीवन धर्म से भावित हो सकता है। आचार्य ने सरदारशहर आगमन के संदर्भ में कहा कि आज हमारा सरदारशहर में आना हुआ है। परम पूज्य मघवागणी के अलावा परम पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ की दीक्षा भूमि व उनकी महाप्रयाण भूमि आदि अनेक प्रसंगों से यह नगर जुड़ा हुआ है। आचार्य के स्वागत में आचार्यश्री महाश्रमण प्रवास व्यवस्था समिति के स्वागताध्यक्ष महेन्द्र नाहटा, अध्यक्ष बाबूलाल बोथरा, तेरापंथ सभा के मंत्री पारस बुच्चा, अणुव्रत समिति के अध्यक्ष पृथ्वीङ्क्षसह कल्याणपुरा, अशोक पींचा, सुमतिचंद गोठी, तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष राजीव दुगड़, नगरपालिका के अध्यक्ष राजकरण चौधरी, उपाध्यक्ष अब्दुल रसीद चायल, महाप्रज्ञ एजुकेशन फाउण्डेशन के अध्यक्ष मदनचंद दुगड़, सुषमा पींचा ने अपने श्रद्धाभावों को अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मण्डल व तेरापंथ कन्या मण्डल-सरदारशहर ने संयुक्त रूप से स्वागत गीत का संगान किया। कार्यक्रम में विशेष रूप से उपस्थित आर्थिक पिछड़ा वर्ग आयोग के अध्यक्ष अनिल शर्मा ने कहा कि शहर के लिए आज अत्यंत हर्ष का विषय है कि आपका मंगल पदार्पण लम्बे अंतराल के बाद हुआ है। युवा उद्योगपति विकास मालू, समिति की महामंत्री सूरजदेवी बरडिय़ा, सुरेन्द्र दूगड़, तेरापंथ सभा के अध्यक्ष सिद्धार्थ चण्डालिया, उपाध्यक्ष अशोक नाहटा, संजय बोथरा, सह मंत्री वर्धमान सेठिया, सह मंत्री विकास बोथरा, संगठन प्रचार प्रसार मंत्री विकास सुराणा, राजेंद्र बोथरा, सभा मंत्री मांगीलाल बरमेचा, युवक परिषद अध्यक्ष राजीव दुगड़, मंत्री ऋषभ दूगड़, कोषाध्यक्ष निरंजन ङ्क्षसघी, भाजपा नेता रामङ्क्षसह कस्वां आदि लोग उपस्थित थे।