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Churu History: चूरू में चलती थी कभी बकरा गाड़ी, दूर दराज से देखने आते थे लोग

हालांकि कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। शर्मा ने बताया कि सागरमल ने इसका निर्माण विशेष प्रकार की लकड़ी से बनवाया था, कारीगर भी स्थानीय नहीं होकर बाहर से बुलवाए गए थे।

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चूरू

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manish mishra

Oct 28, 2022

चूरू में चलती थी कभी बकरा गाड़ी, दूर दराज से देखने आते थे लोग

चूरू में चलती थी कभी बकरा गाड़ी, दूर दराज से देखने आते थे लोग

मनीष मिश्रा.

चूरू. जिला अपनी विशेषताओं के लिए प्रदेश में विशेष स्थान रखता है, पुराने जमाने में सेठ-साहुकार भी अपने अलग-अलग शौक के कारण अलग पहचान रखते थे। सुनने में जरूर अटपटा लगता है कि लेकिन यह भी सच है कि चूरू शहर में एकमात्र बकरा गाडी भी चला करती थी। इसे उस समय के तत्कालीन सेठ सागरमल मंत्री ने अपने लिए विशेष रूप से तैयार करवाया था।

नगरश्री के सचिव श्याम सुंदर शर्मा ने बताया कि ऊंट व बैल गाडि़यों का पुराने जमाने में प्रचलन आम था, उस समय बडे सेठ साहुकार सजी-धजे रथों में बैठकर आया करते थे। लेकिन सेठ सागरमल मंत्री ने अपने लिए विशेष तौर पर बकरा गाड़ी का निर्माण करवाया था। इसके आज भी अवशेष नगरश्री में रखे हुए हैं। हालांकि कुछ हिस्सा क्षतिग्रस्त हो गया है। शर्मा ने बताया कि सागरमल ने इसका निर्माण विशेष प्रकार की लकड़ी से बनवाया था, कारीगर भी स्थानीय नहीं होकर बाहर से बुलवाए गए थे।

बाजार से सामान लाने निकलते थे
उन्होंने बताया कि सागरमल उस समय बाजार से सामान को लाने के लिए इस विशेष बकरा गाड़ी का इस्तेमाल किया करते थे, इसके अलावा शहर में किसी परिचित से मिलने के लिए बकरा गाड़ी पर बैठकर जाते थे। उन्होंने बताया कि गाड़ी में जोतने वाले बकरे भी विशेष होते थे। काम करने वाले लोग बकरों को विशेष खराक देते थे, सामान्य बकरों से उनकी कद काठी अलग ही हुआ करती थी।

उन्होंने बताया कि पहिए के बीच में घुंघरू लगे हुए थे, जैसे ही वे बाहर निकलते उनकी आवाज से लोग पहचान कर लेते थे। उन्होंने बताया कि बकरा गाड़ी को देखने के लिए दूर-दराज से लोग आया करते थे। नगरश्री में आज भी गाड़ी रखी हुई है, जिसे देखने के लिए देशी ही नहीं विदेशी लोग भी आते हैं। शर्मा बताते है कि सागरमल मंत्री की हवेली आज भी चूरू में मौजूद हैं। वंशज कभी-कभार सार-संभाल के लिए आते हैं।