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कभी स्कूलों में गूंजा करती थी प्रार्थना, अब भूलते जा रहे बच्चे

चूरू . सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु करते हैं आज का काम शुरू सदा हमारे सर पर तेरा हाथ रहे हर संकट सुख दुख में तेरा साथ रहे। यह उन प्रार्थनाओं की चंद लाइन है जो कभी स्कूल में गूंजा करती थी। स्कूलों में बच्चे बड़े उत्साह से प्रार्थनाओं सभाओं में शामिल होते थे। बच्चों की जुबां पर प्रार्थनाओं के पूरे बोल होते थे ये वो लाइनें जिन्हें आज भी कोई नहीं भूल सकता। कोरोना काल के चलते पिछले दो सालों से स्कूलों में प्रार्थना सभा नही होने से बच्चे इन प्रार्थनाओं को भूलने लगे है।

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चूरू

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Vijay

Feb 06, 2022

कभी स्कूलों में गूंजा करती थी प्रार्थना, अब भूलते जा रहे बच्चे

कभी स्कूलों में गूंजा करती थी प्रार्थना, अब भूलते जा रहे बच्चे

बच्चों से दूर होती जा रही समृद्ध संस्कृति
प्रार्थना स्थल पर प्रार्थना,वंदे मातरम, सुविचार, समाचार पठन, ध्यान व योग, प्रतिज्ञा होती थी
चूरू . सुबह सवेरे लेकर तेरा नाम प्रभु करते हैं आज का काम शुरू सदा हमारे सर पर तेरा हाथ रहे हर संकट सुख दुख में तेरा साथ रहे। यह उन प्रार्थनाओं की चंद लाइन है जो कभी स्कूल में गूंजा करती थी। स्कूलों में बच्चे बड़े उत्साह से प्रार्थनाओं सभाओं में शामिल होते थे। बच्चों की जुबां पर प्रार्थनाओं के पूरे बोल होते थे ये वो लाइनें जिन्हें आज भी कोई नहीं भूल सकता। कोरोना काल के चलते पिछले दो सालों से स्कूलों में प्रार्थना सभा नही होने से बच्चे इन प्रार्थनाओं को भूलने लगे है। खासकर कई बच्चे ऐसे है जिन्होंने दो साल पहले पहली कक्षा में प्रवेश लिया। अब वो बच्चे कक्षा तीन में आ गए, लेकिन उन बच्चों ने बीते दो साल से स्कूल में प्रार्थना नहीं सुनी। प्रार्थना क्या और कैसे होती है यह उन्हें मालूम तक नहीं है। प्रार्थना के साथ होने वाले ज्ञानवर्धक एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम से भी बच्चे दूर हो गए है प्रार्थना स्थल पर प्रार्थना,वंदे मातरम, सुविचार, समाचार पठन, ध्यान व योग, प्रतिज्ञा होती थी। कई स्कूलों में प्रार्थना सभा के दौरान बच्चे को जन्मदिन की बधाई भी मिलती थी।
बच्चों से दूर हो रही समृद्ध संस्कृति
कोरोना के चलते स्कूलों की एक समृद्ध संस्कृति बच्चों से दूर होती जा रही है। प्रार्थना सभा सिर्फ प्रार्थना का ही जरिया नहीं था, बल्कि प्रार्थना स्थल सह शैक्षिक गतिविधियों का सबसे महत्वपूर्ण अंग है। यहां पर विद्यार्थी में संचालन करने व अन्य चीजें सीखने को मिलती है। विद्यार्थी स्कूल में अनुशासित रहते थे। स्कल में दिनभर होने वाली गतिविधियों की सूचना होती थी। सप्ताह में एकदिन बालसभा होती थी। जो अब बंद हो गई। अभी स्कूल खुल गए लेकिन आयोजन बंद है।
राउमावि के शिक्षक अमरसिंह डेरूवाल ने बताया कि स्कूलों में पिछले दो सालों से प्राथना सभा नहीं हो रही। गाइड लाइन की पालना की जा रही है। लेकिन कई बच्चे प्रार्थना भूलने लगे है। पिछले दो सालो से प्रवेश लेने वाले बच्चे प्रार्थना के बारे में जानते तक नहीं हैं। कक्षाओं में ही उन्हें जानकारी दी जा रही है। प्रार्थना से विद्यालय की पूरे दिन गतिविधि का लगभग आधा कार्य पूर्ण हो जाता है अत: विद्यार्थी को दिनचर्या के लिए जरूरी है।