
चूरू. जिला मुख्यालय से करीब पांच किलोमीटर दूर संचालित हो रही श्री हनुमानगढ़ी गौशाला जहां गो प्रेमी पालने के लिए ले नि:शुल्क बछड़ी ले जा सकते हैं। प्रदेश में गौशाला तो कई हैं, लेकिन चूरू जिला मुख्यालय पर एक ऐसी गौशाला संचालित हो रही है जहां से गोप्रेमी घर में पालने के लिए निशुल्क बछड़ी ले जा सकता है। हालांकि निशुल्क बछड़ी लेने की कुछ शर्तें हैं, जिन्हें पूरा करने पर बछड़ी ले जा सकते है। करीब 7 बरस पहले शुरू हुई इस गौशाला की खास बात यह है कि संचालन के पांच साल तक इस गोशाला ने सरकार से एक रुपया भी अनुदान नहीं लिया और जन सहयोग से यह गोशाला संचालित हुई।
कोरोना काल में बेसहारा और दिव्यांग गोवंश बढ़ने पर गोशाला ने 2 वर्ष पहले सरकारी अनुदान लेना शुरू किया है। गोशाला से जुड़े पदाधिकारियो ने बताया कि करीब 7 बरस में 350 गो प्रेमियों को ये निशुल्क बछड़ी दे चुके हैं। उन्होंने बताया कि पहले रसीद नहीं दी जाती थी। लेकिन अब नियमों में बदलाव करते हुए जिस गोपालक को बछड़ी चाहिए उसे गोशाला से एक रसीद अपनी श्रद्धा अनुसार कटवानी होगी। ताकि इस बात का प्रमाण रहे कि बछड़ी को किस गोशाला से ले जाया गया है।
मिलने लगा लोगों का सहयोग
इस गोशाला को शुरू करने की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है, गोशाला समिति के अध्यक्ष और इससे जुड़े लोगों ने बताया कि सड़कों पर अक्सर घायल और बीमार गोवंश देखने के बाद मन में दुख होता था। घायल और बीमार गोवंश का उपचार तो कर देते थे, लेकिन सड़कों पर घूमने वाले उन बेसहारा गोवंश को किसी का सहारा नहीं था। कूड़े-कचरे में मुंह मारकर गोवंश किसी तरह अपना पेट भरने के लिए मजबूर था।
इसके बाद कुछ लोगों की टीम ने मिलकर शहर से करीब 5 किलोमीटर दूर बेसहारा गोवंश के रहने, खाने और पीने की व्यवस्था की। देखते ही देखते शहर के लोगों का साथ मिलने लगा. लोग भी आगे आए। बताया जा रहा है कि हनुमानगढ़ी गोशाला ने 7 साल में करीब 10 हजार बीमार और दिव्यांग गोवंश का उपचार कर उन्हें स्वस्थ कर दिया। गोशाला समिति से जुड़े लोगों ने बताया कि शुरू में बेसहारा गोवंश को यहां लाने के लिए हाइड्रोलिक मशीन भी उपलब्ध है।
इससे समय और श्रम दोनों की बचत होती है। गोशाला समिति से जुड़े सदस्यों ने बताया कि सेवा कार्य से आमजन को जोड़ने के लिए एक रोटी-एक रुपए अभियान शुरू किया गया। जिसके तहत शहर में तीन रिक्शा भी लगाए गए हैं, जो शहर के गली मोहल्लों में जाते हैं और शहर के प्रत्येक घर से एक रुपए के साथ ही एक रोटी एकत्रित कर गौशाला तक पहुंचाते हैं।
Published on:
09 Oct 2022 04:13 pm
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