
सुजानगढ़. शिलालेख पर लिखे अधिकारियों के नाम
कैलाश शर्मा
सुजानगढ़. सरकार के अधिकारी भी शिलालेख पर जनप्रतिनिधियो के साथ अपना नाम लिखवा रहे है। अधिकारियो में इसकी होड़ भी मची हुई है जबकि सरकार के कार्मिक विभाग की ओर से शिलालेख पर अधिकारियो के नाम लिखवाने पर रोक है ओर ऐसा करने वाले अधिकारियो के खिलाफ कार्रवाही का प्रावधान है। शहर में पिछले दिनो राज्य सरकार सामाजिक न्याय अधिकारिता मंत्री मास्टर भंवरलाल मेघवाल की ओर से कई भवनों-कमरों का लोकार्पण किया गया। इन भवनों पर लगाए गए शिलालेख का अनावरण भी मेघवाल की ओर से किया गया था। इन शिलालेखों पर विभाग व प्रशासनिक अधिकारियो के भी नाम अंकित किए हैं। जबकि कार्मिक विभाग के नियमानुसार सरकारी अधिकारी एवं कर्मचारी शिलालेख पर अपना नाम नहीं लिखवा सकते है। ऐसा करने पर राजस्थान सिविल सेवाए (आचरण) नियम 1971 के प्रावधानो का उल्लघंन समझते हुऐ सम्बन्धित अधिकारी के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाही करने का प्रावधान है। इसके बावजूद अधिकारी शिलालेखो पर अपना नाम अंकित करवा रहे है। शहरी क्षेत्र में ही नहीं अपितु ग्रामीण क्षेत्रो में भी सरकारी कर्मचारी शिलालेखो पर अपना नाम अंकित करवा रहे है जबकि नियमानुसार शिलालेख पर केवल जनप्रतिनिधियो का ही नाम अंकित करवाऐ जा सकते है।
शिलालेख सचिव की ओर से निकाले गऐ थे आदेश
सरकार के कार्मिक विभाग के शासन सचिव की ओर से 14 नवम्बर 1995, 23 अगस्त 1998 , 24 अप्रेल 2002 व 30 अप्रेल 2007 में अलग-अलग परिपत्र जारी कर अधिकारियों को सरकारी भवनों पर लगाऐ जाने वाले शिलालेखो पर अपना नाम अंकित नहीं करने व लोकार्पण नहीं करने के संदर्भ में निर्देशित किया जा चुका है। इसके बावजूद अधिकारी जनप्रतिनिधियो के साथ-साथ अपना नाम भी शिलालेखो पर अंकित करवा रहे है ओर सरकार की ओर से काई कार्रवाही नहीं की जाती है।
प्रभाव जमाने के लिए
जिले के आला अधिकारी ही नहीं उपखण्ड क्षेत्र के अधिकारी एवं ग्राम पंचायतो के ग्रामसेवक तक सभी कार्मिक जनप्रतिनिधियों के नाम के साथ अपना नाम लिखवा कर अपना प्रभाव दिखाने का प्रयास करते है। अधिकारियो की ओर से ही शिलालेख लगवाने की प्रक्रिया अपनायी जाती है। ऐसे में जनप्रतिनिधियो को तो अधिकारियो के नाम के बारे में पता ही नहीं होता।
Published on:
28 Sept 2019 11:01 am
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