चूरू. अभी तक आपने किन्नरों को शादी समारोह या अन्य किसी खुशी के मौके पर नाचते-गाते और बधाई मांगते हुए देखा होगा, लेकिन जिले में इस परंपरा से अलग हटकर उदाहरण पेश किया है। जिले के किन्नरों ने समाजिक सरोकार निभाते हुए धर्म की बेटी का भात भरा, जिसमें 51 हजार रुपए नकद, सोने-चांदी के आभूषण दिए। तारानगर महंत सुनीता किन्नर ने अपनी पूरी टीम के साथ नरसी भगत की तर्ज पर अपनी धर्म की बेटी का भात भरने सहित अनेकों रस्म अदायगी की।
शादी में सगे भाई बहिनों से भी बढ़कर भात भरा। जानकारी के मुताबिक महंत सुनीता किन्नर ने तारानगर तहसील के गांव लूणास कि बेटी सुमन प्रजापत जो बचपन से ही अपने ननिहाल तहसील के गांव नेठवा में रहीं उसे अपनी धर्म कि बेटी बना रखा था। जिसकी शादी में भात सहित अनेकों रस्मो को निभाया गया। शादी में उनके साथ दूसरे किन्नर भी शामिल रहे। वहीं सुमन की शादी में ये रस्में गांव नेठवा में की गई। महंत सुनीता द्वारा भरे गए मायरे में घर गृहस्थी के सभी सामान दिए।
परंपराओं के मुताबिक भाई बनकर महंत सुनीता किन्नर ने बहन को चुंदड़ी ओढ़ाई और भात की रस्म अदा की। महंत सुनीता किन्नर ने बताया कि शादी के एक दिन पहले गांव ददरेवा में सुमन कि घोड़ी पर बिठाकर गाजे बाजे के साथ बंदोरी निकाली गई। तथा शादी में 51 हजार नगद , 200 साड़ी व सूट ,10कंबल ,2 सोने कि अंगूठी एक गले का हार, 5 जोड़ी पायल ,चार नाक के कांटे, पीतल व रोजमर्रा के काम आने वाले बर्तन दिए। साथ ही परिवार के लोगों व रिश्तेदार को कंबल व सूट के साथ 500-500 रुपए नकद राशि देकर शादी में भात की रस्म अदागी की। आपको बता दें कि बनाई गई बेटी सुमन की शादी समारोह सुनीता किन्नर अपने घर पर करना चाहती थी लेकिन परिवार के लोगों ने यह तमाम रस्में अपने घर पर ही करने को कह दिया क्योंकि सुमन बचपन से ही अपने ननिहाल रह रही थी। इसलिए तमाम रस्में गांव नेठवा में की गई। तारानगर महंत सुनीता कहती है कि आमतौर पर समझा जाता है कि किन्नर समाज मुख्यधारा से अलग हैं तथा उन्हें रिश्तेनातों के बारे में कुछ पता नहीं होते। उन्हें भी रिश्ते निभाने आते हैं और वे भी सब रस्में जानते हैं।