
चूरू. धोरों की धरती में लाख से बनने वाले कंगनों का कद अन्य आभूषणों से बेहद ऊपर है। सनातन संस्कृति में लाख के चूड़ों का अपना एक अलग ही महत्व है। फैशन के बदलते दौर में भी इस प्राचीन कला की महिमा आज भी बरकरार है। राजस्थान की संस्कृति में इस ऐतिहासिक कला को लोकगीतों के जरिए त्योहारों सहित कई आयोजनों में शामिल किया गया है। इस बार त्योहारी सीजन में लाख के चूड़ों की बंपर बिक्री होने का अनुमान है। इस पुश्तैनी कारोबार से जुड़े लोगों ने बताया कि गत वर्ष की तुलना में इस बार कारोबार करीब 30 फीसदी अधिक होने के आसार हैं। एक नवम्बर से 15 दिसम्बर तक डेढ माह में त्योहारों व शादियों के चलते शहर में करीब छह करोड़ का व्यापार होने के कयास हैं। इससे जुड़े लोगों ने बताया कि त्योहारों पर मांग बढने के चलते कई तरह के आकर्षक डिजायनों के कंगन, बंगड़ी, चूड़ा, कड़े व दुल्हन सेट तैयार किए जा रहे हैं। कच्चे माल का स्टॉक दिल्ली व हरियाणा से लाकर किया गया है।
अखंड सुहाग का प्रतीक
सुहागन महिलाएं लाख की चूड़ी के बिना अपनी कलाई को सूनी मानती हैं। सनातन संस्कृति में लाख की चूड़ी महिलाओं की कलाई पर सौभाग्य व समृद्धि का प्रतीक मानी जाती है। खासकर विवाह या प्रसव के बाद प्रदेश में महिलओं को लाख का नया बना चूड़ा पहनाने की परंपरा है। ग्रामीण परिवेश सहित छोटे शहरों व कस्बों में लाख के चूड़ों को लेकर कई लोकगीत गाए जाते हैं।
खास अवसरों पर बनते ये डिजायन
लाख के चूड़ों के कारोबार से जुड़े 78 वर्षीय हाजी मनीरदीन मणियार ने बताया कि करवा चौथ के व्रत पर महिलाएं सबसे अधिक लाख का चूड़ा खरीदती हैं। इस बार कई तरह के आकर्षक व खास डिजायन वाले अनारकली, पन्ना कड़ा, मेथी का चूड़ा, केरा कड़ा, मेशे का चूड़ा, पंच बधिया चूड़ा व लहरिया चूड़ा आदि बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा शादी में दुल्हन को पहनाने के लिए हिंगळू बंग बगड़ी बनाए जा रहे हैं। इन चूड़ों में नग के अलावा चीड़, कांच व कुंदन आदि की जड़ाई की जा रही है।
पर्यटकों की पहली पसंद
हारून मणियार ने बताया कि यहां आने वाले विदेशी सैलानियों की पहली पसंद है लाख के चूड़ों के खास डिजायन व आकर्षक चटख रंग । पर्यटक इन्हें खरीद कर अपने वतन ले जाते हैं। इसके अलावा शहर में बनने वाले पंजाबी सेट की मांग हरियाणा, दिल्ली व पंजाब में खूब है। लाख का दुल्हन सेट मुंबई, कोलकाता, गुजरात, यूपी व बिहार के अलावा देश के कई बड़े शहरों में भेजा जाता है। स्थानीय स्तर पर लाख के चूड़ों को ग्रामीण अंचल में पसंद किया जाता है। वहीं रेडिमेड कंगन व चूड़े जयपुर, सीकर व झुंझुनूं से मंगवा जाते हैं।
3 हजार तक के बिक रहे कंगन
लाख के उत्पादों के व्यापार से जुड़े अब्दुल मानिक ने बताया कि ग्राहकों को सौ से लेकर सात हजार कीमत के फैं सी कंगन खूब लुभा रहे हैं। छोटे कस्बों व शहरों की महिलाएं व युवतियां तीन हजार तक के फैंसी कंगन खरीद रही हैं। जिसमें लाख, सीप व वेल्वेट आदि से बनें खास डिजायन वाले कंगन व चूड़े हैं।
कारोबारी बोले...
अब त्योहार व शादियों का सीजन शुरू होने वाला है। गत वर्ष की तुलना में इस बार 30 फीसदी कारोबार अधिक होने का अनुमान है। कच्चे माल का स्टॉक करने के अलावा जयपुर, झुंझुनूं व सीकर से रेडिमेड माल मंगवाया गया है। स्थानीय स्तर पर भी कारीगर लाख के चूड़े तैयार करने में जुटे हैं। अब्दुल मानिक, व्यापारी, चूरू।
महिलाएं बोलीं...
करवा चौथ सेलिब्रेट करने के लिए नए लाख के कंगन की खरीद की गई है। बाजार में इस समय कई तरह के आकर्षक डिजायनों वाले लाख के चूड़े बिक रहे हैं। हालांकि मंहगाई बढी है, फिर भी त्योहार पर नए कंगन खरीदने की परंपरा है। राजकंवर, चूरू
करवाचौथ सहित दीपावली मनाने को लेकर तैयारियां की जा रही हैं। इस बार करवाचौथ पर नए खास डिजायन वाले लाख के चूड़े खरीदे गए हैं। आगे शादियों का सीजन भी आने वाला है। इन सबको ध्यान में रखते हुए शॉपिंग की है। खुशबु राहड़, चूरू
Published on:
29 Oct 2023 01:00 pm
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