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इस सरकारी अस्पताल के कमजोर इंतजाम रोगियों को दे रहे पीड़ा, जानिए कहां

सरदारशहर का हाल ही में उप जिला अस्पताल में क्रमोन्नत हुआ सरकारी अस्पताल सुविधाओं व कमजोर इंतजामात के चलते रोगियों को उपचार के बजाय दर्द दे रहा है। इसे जल्दबाजी में क्रमोन्नत तो कर दिया गया मगर, उप जिला जैसी सुविधाओं की कमी को अभी तक जिम्मेदार नहीं भर पाए। यही वजह है कि रोगी उपचार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। ऊपर से मौसमी बीमारियों के तांडव ने लोगों की परेशानी बढा दी है।

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चूरू. जिले के सरदारशहर का हाल ही में उप जिला अस्पताल में क्रमोन्नत हुआ सरकारी अस्पताल सुविधाओं व कमजोर इंतजामात के चलते रोगियों को उपचार के बजाय दर्द दे रहा है। इसे जल्दबाजी में क्रमोन्नत तो कर दिया गया मगर, उप जिला जैसी सुविधाओं की कमी को अभी तक जिम्मेदार नहीं भर पाए। यही वजह है कि रोगी उपचार के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। ऊपर से मौसमी बीमारियों के तांडव ने लोगों की परेशानी बढा दी है। दवा काउंटरों पर मरीजों को लंबी-कतारों में लग कर कई घंटों तक दवा के लिए इंतजार करना पड़ रहा है। मरीजों को पर्ची काउंटर से चिकित्सक को जांच कराने व दवा काउंटर तक लंबी लंबी लाइनों का सामना करना पड़ रहा है। भीड़ भाड़ के चलते कई मरीज बिना इलाज व बिना दवा के बैरंग लौट रहे है या बाहर से दवा लेने का मजबूर है।

ओपीडी 1700 के पार
गत एक पखवाड़े में 20 हजार से अधिक मरीज़ इलाज कराने पहुंचे हैं। ओपीडी रोजाना 1700 पार पहुंच रही है, जो जिले में दूसरे स्थान पर है। मरीजों को ओपीडी से दवा काउंटर तक पहुंचने में दो से तीन घंटे लगते हैं। सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों व महिला मरीजों को हो रही है।

उप जिला अस्पताल में नहीं बढ़ी सुविधाएं

बताया जाता है कि नियमानुसार 150 ओपीडी पर 1 दवा काउंटर व 1 पर्ची काउंटर होना चाहिए। अभी 1700 ओपीडी पर तीन पर्ची काउंटर व 4 दवा काउंटर है, जिनमें सप्ताह में 4 चार दिन 3 ही दवा वितरण काउंटर खुले रहते हैं। अस्पताल में विशेषज्ञों की कमी अस्पताल में अभी 22 चिकित्सक कार्यरत हैं। जिनमें शिशु रोग, स्त्री रोग, चेस्ट फिजिशियन, नाक, कान, गला, नेत्र रोग, हड्डी रोग आदि के चिकित्सक हैं।

रिक्त पदों के कारण कार्य प्रभावित
अस्पताल में कई पद रिक्त होने के कारण सुविधाओं में सुधार नहीं हो रहा है। स्टाफ की कमी से स्वास्थ्य सेवाएं लचर हो रही है। मेडिसिन फिजिशियन एवं विशेषज्ञ चिकित्सकों की खल रही है कमी राजकीय उप जिला अस्तपाल में कुल 54 नर्सिंग स्टाफ के पद रिक्त है। जिनमें 24 पद लंबे समय से रिक्त चल रहे है। वही अस्पताल में वार्ड बॉय के 16 पद स्वीकृत है। जिनमें दो ही वार्ड बॉय कार्यरत, 14 पोस्ट रिक्त है। नियमित फार्मासिस्ट एक है, तीन संविदा पर है। दो फार्मासिस्ट की सख्त आवश्यकता है। रेडियोलॉजिस्ट नहीं होने के कारण 7 महीने से सोनोग्राफी मशीन बंद पड़ी है। जिसके कारण मरीजों को सोनोग्राफी के लिए बाहर जाना पड़ता और मोटी फीस देनी पड़ रही है। शहर व 210 गांवों के मरीज आते है इलाज करानेे बढ़ते मरीजों की संख्या से अस्पताल परिसर छोटा पड़ रहा है। नए भवन के लिए जमीन आवंटित हो गई है। लेकिन भवन नहीं बना है। 6 अगस्त 2023 को कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र उप जिला अस्पताल में क्रमोन्नत हुआ लेकिन सुविधाएं नहीं बढ़ी और संचालन अभी भी पुराने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में हो रहा है। जो मरीजों को देखते हुए छोटा पड़ रहा है।

पांच दशक पहले बना था अस्पताल
राजकीय अस्पताल राजकीय अस्पताल भवन 50 वर्ष पहले 1974 में भवन बना था। उस समय क्षेत्र की आबादी कम थी। वर्तमान में शहर के अलावा 210 गांवों के लाखों मरीज अस्पताल में इलाज के लिए आते हैं। एक मरीज के साथ दो से तीन परिजन भी आते हैं,। जिससे जगह छोटी पड़ रही है।

समय-समय पर होता है औचक निरीक्षण
गत दिनों सीएमएचओ राजेश गुप्ता एवं उपखंड अधिकारी हरिसिंह शेखावत ने औचक निरीक्षण किया था, चिकित्सकों ने उन्हें कमियों के बारे में अवगत करवाया, लेकिन अभी तक कोई सुधार नहीं हुआ है। सिर्फ सरकार को प्रस्ताव भेजने का आश्वासन मिला। दूसरी ओर सफाई व्यवस्था में आनेवाले रोगियों के परिजनों का भी कोई सहयोग नहीं मिलता जससे अस्पताल परिसर में सफाई व्यवस्था लडख़ड़ा जाती है। एक ओर जहां सफाई में लापरवाही बरती जा रही है तो दूसरी ओर मरीज़ भी कचरा इधर-उधर फेंक देते हैं।