
Acharya Mahashraman- राग से बड़ा दु:ख और त्याग से बड़ा सुख नहीं है- आचार्य महाश्रमण
संसाधनों से सुविधा और आध्यात्मिक साधना से सुख की प्राप्ति की हो सकती है
चूरू. छापर. आचार्य महाश्रमण ने रविवार को आचार्य कालू महाश्रमण समवसरण में धर्मसभा में कहा कि सुख आदमी को भीतर से प्राप्त होता है तो वह निर्मल और स्थायी सुख हो सकता है। सुख दो प्रकार के होते हैं-पहला सुख भौतिक पदार्थ जन्य अथवा परिस्थितिजन्य होता है जो अस्थाई होता है। जो सुख परिस्थिति और पदार्थजन्य है, इन्द्रियों से प्राप्त होने वाला होता है, वह सुख स्थाई नहीं होता, वह अस्थाई होता है। आत्मा से मिलने वाला सुख निर्मल और आत्मिक सुख स्थाई बन सकता है। एक भीतर से मिलने वाला सुख और दूसरा बाहर से मिलने वाला सुख होता है। एक कुंए से पानी निकले और एक पानी कुण्ड से निकले। कुण्ड में जितना पानी है, उतना लेने के बाद तो वह खाली हो जाएगा, किन्तु कुंए का पानी स्रोत से निरंतर आने वाला है। इसी प्रकार आंतरिक सुख निरंतर प्राप्त हो सकता है। बाहर के संसाधनों, भौतिक संसाधनों से सुविधा प्राप्त हो सकती है अथवा उसे क्षणिक सुख कहा जा सकता है, किन्तु जो सुख अध्यात्म साधना से प्राप्त होता है, वह वास्तविक सुख होता है। संसाधनों से सुविधा और आध्यात्मिक साधना से सुख की प्राप्ति की हो सकती है।
आचार्य ने कहा कि सुख-दु:ख, बन्धन और मोक्ष का कारण मनुष्य का मन ही होता है। विषयासक्त मन, भौतिक सुविधाओं में उलझा हुआ मन बन्धन और दु:ख प्रदान करने वाला और अनासक्त तथा आध्यात्मिक साधना में रमा हुआ मन सुख और मोक्ष की दिशा में ले जाने वाला होता है। राग से बड़ा दु:ख और त्याग से बड़ा सुख नहीं है। मनुष्य के भीतर जैसे-जैसे अनासक्ति की चेतना का जागरण होता है, त्याग, संयम और तप बढ़ता है तो जीवन में संतोष की प्राप्ति होती है और आदमी आंतरिक रूप से सुखानुभूति करता है। यह आंतरिक सुख निर्मल और स्थाई होता है। राग-द्वेष में उलझा बन दु:ख देने वाला और त्याग, संयम और तप में रमा हुआ मन सुख और मोक्ष प्रदायक बन सकता है। जैन विश्व भारती की ओर से परम पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक कैसे पांए मन पर विजय पुस्तक पूज्यप्रवर के समक्ष लोकार्पित की गई। इस पुस्तक के संदर्भ में साध्वीप्रमुखा ने अपनी अभिव्यक्ति देते हुए लोगों को उद्बोधित किया। आचार्य ने इस पुस्तक के संदर्भ में फरमाते हुए कहा कि यह परम पूज्य आचार्य महाप्रज्ञ की पुस्तक है तो मैं इसके प्रति अपना श्रद्धार्पण करता हूं। इससे पाठकों को प्रेरणा मिलती रहे। इसके पूर्व प्रात:काल के समय गुरुकुलवासी दो बालमुनियों क्रमश: मुनि खुशकुमार और मुनि अर्हम्कुमार ने ग्यारह की तपस्या पूर्ण की। इस संदर्भ में दोनों बालमुनियों को उनके आराध्य व गुरु आचार्य महाश्रमण ने अपने करकमलों से ग्रास प्रदान किया। अपने गुरु के करकमलों से ग्रास, आशीर्वाद और स्नेह पाकर दोनों बालमुनि पुलकित नजर आ रहे थे।
विरोध करने वाले लोगों की ङ्क्षनदा
तारानगर. अम्बेडकर सामुदायिक भवन में अम्बेडकर समाज सेवा समिति, अनुसूचित जाति कर्मचारी व अम्बेडकर युवादल की बैठक प्रकाशचंद्र की अध्यक्षता में हुई। बैठक में कस्बे में सरदारशहर मार्ग पर मां जालपा देवी राजकीय महाविद्यालय के पास बन रहे कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय का विरोध करने वाले लोगों की ङ्क्षनदा की। समिति के सदस्यों ने कहा सरकार तारानगर में गरीब तबके के लोगों की बेटियों की शिक्षा के लिए आवासीय बालिका विद्यालय खोल रही है जिसमें शिक्षा, खाना रहना सहित सब कुछ फ्री मिलेगा। कुछ घटिया सोच के लोग जो चाहते है कि गरीब लोगों की बच्चियां पढ़ न सके इसके लिए कुछ न कुछ बहाना लगाकर स्कूल निर्माण कार्य को रुकवाना चाहते है। जिसकी वे घोर ङ्क्षनदा करते हैं। बैठक में झींडूराम दायमा, जेठाराम पटीर, भागचंद सोलंकी, ओमप्रकाश कलिया, बिरुराम छापरवाल, प्रताप कलिया, काशीराम, विनोद, सुदर्शन सबलानिया, राजेंद्र डगला, लिछुराम सहित समाज के अनेक लोग व युवा मौजूद थे।
Published on:
12 Sept 2022 01:28 pm
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