
churu news: 80 कली का नहीं, 335 कली का है यह घाघरा
मनीष मिश्रा
चूरू. आज 80 कली का लहंगा भी देश-दुनिया में चर्चा का कारण बन जाता है, इस पर ओ मेरा असी कली का लहंगा देखो घूम रया मेरा जियरा देखो, झूम रयी बंजारन लटके खाएगी रे...सरीके कई गीत बन चुके हैं, जो शादी-समारोह में बजाए जाते हैं। एक समय ऐसा भी था कि जब चूरू में राज घराने व धनाढ्य परिवारों की महिलाएं 335 कली तक का भारी घाघरा पहना करती थी। हालांकि रोजमर्रा नहीं पहनकर किसी विशेष समारोह में ही घाघरा पहना जाता था। नगरश्री के सचिव श्यामसुन्दर शर्मा ने बताया कि करीब सौ साल पहले राजघरानों व धनाढ्य घरों की महिलाओं में ही इन घाघरों को पहनने का चलन था, उस वक्त यह सामाजिक प्रतिष्ठा का ***** माना जाता था। पुराने समय में महिलाओं के परिवार की स्थिति उनके गहनों व कपड़ों से हुआ करती थी।
समारोह के दौरान राजघराने की महिलाएं सोने से लदी व विशेष परिधानों को पहनकर शामिल हुआ करती थी। वक्त बदलने के साथ ही भारी कपडे पहनने का चलन कम हो गया है। अब एक से दो कली का घाघरा ही पहनावे में शामिल हो गया है। उन्होंने बताया कि नगरश्री में इस वक्त 335 सहित 256, 160, व 100 कली के घाघरे रखे हुए हैं। इसे देखने के लोग आते हैं, विशेषकर महिलाएं व युवतियों काफी उत्साहित रहती हैं।
विशेष कारीगर करते थे तैयार
नगरश्री के सचिव शर्मा ने बताया कि पुराने समय में इन घाघरों को तैयार करने के लिए विशेष कारीगर बुलाए जाते थे। इसमें बेहतर क्वालिटी का कपड़ा काम में लिया जाता था। इस घाघरे की विशेष बात यह होती थी, इसकी लंबाई पैरों के बजाए टकने तक हुआ करती थी। फॉल के तौर पर भी मोटा कपड़ा लगाया जाता था, जिसे मशीनों के बजाए कारीगर हाथ से ही लगाया करते थे। उन्होंने बताया कि वजनी होने के कारण इसे शारीरिक तौर पर मजबूत महिलाएं ही पहन सकती थी। लेकिन वक्त के साथ अब इनका प्रचलन लगभग बंद हो गया है।
Published on:
12 Feb 2023 12:29 pm
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