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दो नहर मंत्री बने फिर भी नहर से वंचित

वर्षो पहले पूर्व भाजपा सरकार की ओर से लिए गए एक निर्णय का खामियाजा आज भी चूरू, हनुमानगढ़ व बीकानेर के सैकड़ों किसान भुगत रहे हैं। खेती के बल पर आर्थिक रूप से मजबूत बनने का सपना संजोए बैठे इन किसानों की उम्मीदें चुनाव के समय राजनेताओं की ओर से किए जाने वाले वादों पर मजबूत जरूर हो जाती है

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दो नहर मंत्री बने फिर भी नहर से वंचित

दो नहर मंत्री बने फिर भी नहर से वंचित

वर्षो पहले पूर्व भाजपा सरकार की ओर से लिए गए एक निर्णय का खामियाजा आज भी चूरू, हनुमानगढ़ व बीकानेर के सैकड़ों किसान भुगत रहे हैं। खेती के बल पर आर्थिक रूप से मजबूत बनने का सपना संजोए बैठे इन किसानों की उम्मीदें चुनाव के समय राजनेताओं की ओर से किए जाने वाले वादों पर मजबूत जरूर हो जाती है, मगर लंबे इंतजार के बाद भी वह अब तक पूरी नहीं हो पाई है। साल-दर-साल इनकी उम्मीदों की भूमि भी बंजर होती जा रही है। किसान नहर के पानी को लेकर आंदोलनरत रहा, लेकिन उनकी किसी ने नहीं सुनी। साल दर साल गुजरते चले गए,मामल ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। यदि किसानों को ङ्क्षसचाई के लिए नहरी पानी मिले तो खुशहाली आ सकती है। इन सब समस्याओं को ध्यान में रखकर प्रस्तुत है पत्रिका का अभियान हमें चाहिए सिंचाई का पानी।
रमेश गौड़
सरदारशहर. तीन जिलों के करीब 40 गांवों को नहरी पानी से ङ्क्षसचित करने के लिए तात्कालीन सरकार ने नहर की माइनरों का निर्माण शुरू करवाया था। मगर 2005 में सत्ता परिवर्तन होने पर भाजपा सरकार ने पानी की कमी बताते हुए सूंई ब्रांच की 15 माइनर के निर्माण पर रोक लगा दी थी। इससे चूरू, हनुमानगढ व बीकानेर के 40 गांवों की करीब 65 हजार 600 हेक्टेयर भूमि नहरी पानी के ङ्क्षसचाई से वंचित हो गई। अब पिछले कई वर्षो से किसान लगातार नहर के माइनरों का निर्माण करने की मांग कर रहे हैं, मगर उनकी मांग अब तक पूरी नहीं हो पाई है। इसके लिए कई बार सरदारशहर, पल्लू, लूणकरणसर तहसील के किसान आंदोलन भी कर चुके हैं। 2005 के बाद कुछ समय तक राजनेताओं ने इसे पूरा करवाने का आश्वासन भी दिया, मगर समय गुजरने के बाद इस पर किसी ने ध्यान तक नहीं दिया। सूंई ब्रांच पर 15 माइनरों का निर्माण होने से हनुमानगढ़ जिले की नोहर तहसील के 13 गांव, चूरू जिले की सरदारशहर तहसील के 18 गांव व बीकानेर जिले की लूणकरणसर तहसील के नौ गांव सैकड़ों किसानों की 65 हजार 600 हैक्टेयर भूमि ङ्क्षसचित बन सकती है। इसी प्रकार सरदारशहर वितरिका के भी कई गांवों के रकबे काट देने के कारण यहां के किसानों के सपनों पर पानी फिर गया है। इन दोनों वितरिकाओं से सरदारशहर के करीब 49 गांवों के रकबों को काट दिया गया है।
यहां से आती है नहर
इंदिरा गांधी नहर परियोजना (पूर्व नाम राजस्थान नहर परियोजना) से खोड़ा गांव से चौधरी कुंभाराम लिफ्ट कैनाल (पूर्व नाम साहवा लिफ्ट कैनाल) का निर्माण 2003 में हुआ। इससे हनुमानगढ़,बीकानेर और चूरू जिले की 2,40,000 हेक्टेयर जमीन ङ्क्षसचित होनी थी। लेकिन वर्ष 2005 में चौधरी कुंभाराम लिफ्ट कैनाल का 1,38,000 हेक्टर जमीन का रकबा वसुंधरा सरकार द्वारा काट दिया गया। सिर्फ 102000 हेक्टर जमीन हनुमानगढ़ और चूरू जिले की ङ्क्षसचित की गई। चौधरी कुंभाराम लिफ्ट कैनाल से नोहर, तारानगर सरदारशहर और लूणकरणसर तहसील के गांव के लिए सुंई वितरिका खुईयां से शेखसर तक 123.38 किलोमीटर शुरू में स्वीकृत हुई थी। दूसरी सरदारशहर वितरिका सोमसीसर से खोडाला तक स्वीकृत हुई थी। इन दोनों वितरिकाओं से सरदारशहर के 49 गांव ङ्क्षसचित होने थे। 40 वर्ष पहले तहसील के 49 गांव में पत्थर गढ़ी हुई थी। जो नहर आज तक पूरी नहीं हो पाई। सरदारशहर की धरती नहरी पानी के लिए आज भी प्यासी है। सिर्फ सुई वितरिका जैतसीसर तक बन पाई थी। इस वर्ष सरदारशहर वितरिका के माइनर बिल्लू तक बन रहे हैं जिससे 2300 हेक्टर जमीन ङ्क्षसचित होगी।
नहर परियोजना नहीं करा पाए पूरी
सरदारशहर के नेता चन्दनमल बैद व पण्डित भंवरलाल शर्मा को नहर मंत्री बनने का मौका मिला। फिर भी नहर परियोजना को पूरा नहीं करा पाए। जिसके कारण क्षेत्र की जनता का नहर का सपना वर्षो से अधूरा पड़ा है। हर चुनाव में नेता नहर लाने का वादा करते है। लेकिन वर्षो बाद भी वादा पूरा नहीं हो पा रहा है। नवनिर्वाचित विधायक पण्डित अनिल भंवरलाल शर्मा ने नहर से काटे गए रकबों को वापिस जोडऩे के लिए विधानसभा में मुद्दा उठाया था। इसके अलावा अखिल भारतीय किसान संघ सहित विभिन्न संगठनों ने नहर के लिए कई बार आंदोलन किए। लेकिन कोई असर नहीं हुआ।