
Sanskrit language- किसने कहा कि संस्कारों की पूर्ति केवल संस्कृत भाषा से
सरदारशहर (चूरू). शैक्षिक कर्मयोगी पं.ब्रजमोहन लाटा स्मृति ग्रंथ समायोजन समिति की ओर से रविवार को पण्डित ब्रजमोहन लाटा की पुण्य स्मृति में ब्रजमोहन लाटा स्मृति ग्रंथ का विमोचन, संस्कृत संस्कृति संरक्षण सम्मान, गुरू गौरव सम्मान एवं संस्कृत संस्कृति संरक्षण संगोष्ठी का आयोजन बाबू शोभाचन्द जम्मड़ भवन में किया गया। अग्रपीठाधीश्वर वेदान्ताचार्य स्वामी डा.राघवचार्य महाराज ने कहा कि वर्तमान में भारतीय संस्कृति के संरक्षण के लिए जिन संस्कारों की आवश्यकता है, उनकी पूर्ति केवल संस्कृत भाषा से ही संभव है। इस अवसर पर नटवरलाल जोशी को प्रथम संस्कृत संस्कृति संरक्षण सम्मान तथा गुरू गौरव सम्मान से नवाजा गया।
समारोह के अध्यक्ष विधायक पण्डित भंवरलाल शर्मा ने लाटा परिवार की ओर से संस्कृत शिक्षा के क्षेत्र में की गई उल्लेखनीय सेवाओं का स्मरण किया। आईएएसई मानित विश्वविद्यालय के कुलाधिपति कनकमल दूगड़ ने भातृद्वय के संस्कृत संबंधी विशिष्ट अवदान को रेखांकित किया। महाराज संस्कृत कॉलेज के पूर्व प्राचार्य आनन्द पुरोहित, धर्मशास्त्र विभागाध्यक्ष प्रो.भगवानसहाय, लोहिया महाविद्यालय के संस्कृत विभागाध्यक्ष भवानीशंकर शर्मा, कल्याण उपाध्याय संस्कृत विद्यालय के प्रधानाचार्य डा.किशनलाल उपाध्याय आदि विद्वानों ने विचार व्यक्त किए। न्यायाधीश डा.श्यामसुन्दर शर्मा ने उपस्थितजनों का आभार व्यक्त किया। समिति के संयोजक मुन्नालाल सेठिया, अध्यक्ष खेतुलाल डागा, योगेश्वर शर्मा, एडवोकेट माणकचन्द भाटी, महावीरप्रसाद पारीक, जगदीश स्वामी, भारतभूषण लाटा, गिरीश लाटा, तेजपालसिंह, मुकुन्दवल्लभ शर्मा, मुखराम नाथोलिया, शोभाकान्त स्वामी, सुरेश तिवाड़ी, प्रकाश सेठिया, डा.राजेन्द्र मोदी उपस्थित थे।
Published on:
02 Mar 2020 12:21 pm
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