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आप भी जाने- आत्मा अमूर्त है, आत्मा और शरीर का संयोग कराने वाला तत्व कहलाता है बंध

चूरू (लाडनूं). जैन विश्व भारती स्थित महाश्रमण विहार में तेरापंथ धर्मसंघ अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण का नगरपालिका मण्डल की ओर से अभिनन्दन समारोह क आयोजन किया गया। सभी संगठनों व संस्थाओं के उपस्थित पदाधिकारियों ने अपने-अपने अभिनंदन पत्र पूज्यचरणों में समर्पित कर महाश्रमण का आशीर्वाद प्राप्त किया।

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चूरू

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Vijay

Jan 20, 2022

आप भी जाने- आत्मा अमूर्त है, आत्मा और शरीर का संयोग कराने वाला तत्व कहलाता है बंध

आप भी जाने- आत्मा अमूर्त है, आत्मा और शरीर का संयोग कराने वाला तत्व कहलाता है बंध

सद्भावना, नैतिकता व नशामुक्ति की चेतना का हो जागरण: महाश्रमण
चूरू (लाडनूं). जैन विश्व भारती स्थित महाश्रमण विहार में तेरापंथ धर्मसंघ अनुशास्ता आचार्य महाश्रमण का नगरपालिका मण्डल की ओर से अभिनन्दन समारोह क आयोजन किया गया। सभी संगठनों व संस्थाओं के उपस्थित पदाधिकारियों ने अपने-अपने अभिनंदन पत्र पूज्यचरणों में समर्पित कर महाश्रमण का आशीर्वाद प्राप्त किया। इस मौके पर विधायक मुकेश भाकर और पूर्व विधायक मनोहर सिंह ने भी आशीर्वाद लिया। आचार्य ने सद्भावना, नैतिकता और नशामुक्ति की चेतना पुष्ट होने तथा अध्यात्मिकता और धार्मिकता का विकास करने का मंगल आशीर्वाद प्रदान किया। साध्वी सुप्रभा, साध्वी प्रशमरति, साध्वी विशदप्रज्ञा, साध्वी संघप्रभा ने गीत का संगान कर अभिवंदना की। साध्वी पुण्ययशा ने आस्थासिक्त अभिव्यक्ति दी। नगरपालिका मण्डल क ओर से आचार्य महाश्रमण का अभिनन्दन समारोह आयोजित हुआ। इसमें प्रवास व्यवस्था समिति के अध्यक्ष शांतिलाल बरमेचा, संयोजक भागचन्द बरडिय़ा, उपाध्यक्ष राजेश दुगड़, ओसवाल पंचायत के सरपंच नरेन्द्रसिंह भूतोडिय़ा, दिगम्बर जैन समाज के महेन्द्र सेठी व अन्य ने भावाभिव्यक्ति दी। नगरपालिका उपाध्यक्ष मुकेश खिंची ने अभिनंदन पत्र का वाचन किया।
आत्मा व शरीर का संयोग करने वाला तत्व है बंध
आचार्य महाश्रमण ने कहा कि आदमी यदि सोचे कि वह कौन है तो उत्तर होगा कि वह आत्मा है। यह शरीर तो अजीव है। आत्मा को न देखा जा सकता है, नही स्पर्श किया जा सकता है, न ही उसे चखा जा सकता है। आत्मा को छेदा नहीं जा सकता, काटा भी नहीं जा सकता, न ही गीला किया जा सकता है और न ही सुखाया जा सकता है। आत्मा अमूर्त है। आत्मा और शरीर का संयोग कराने वाला तत्व बंध कहलाता है।
बंध पाप कर्मों का होता है और पुण्य कर्मों का भी होता है। आश्रव के द्वारा कर्मों का बंध होता है, जिसके कारण आत्मा और शरीर का संयोग होता है। आश्रव से छुटकारा पाने के लिए आदमी को संवर की साधना करने का प्रयास करना चाहिए। विधायक मुकेश भाकर ने कहा कि परम पूज्य आचार्य महाश्रमण का अपने क्षेत्र में हार्दिक अभिनंदन करता हूं। इसके बाद अभिनन्दन पत्र सौंपने का क्रम शुरू हुआ। इस क्रम में विहिप के रघुवीर सिंह राठौड़ व हरिओम टाक, युवक परिषद विनोद पटावरी व राजकुमार चौरडिय़ा, दिगम्बर जैन समाज धर्मचंद गोधा, अशोक सेठी, भारत विकास परिषद महेन्द्र बाफना व प्रकाश सोनी, चेम्बर ऑफ कॉमर्स सुशील पीपलवा, अभयनारायण शर्मा, जाट महासभा के जयराम बुरड़क व श्रीराम खीचड़, सैनिक क्षत्रिय सभा संस्थान पुखराज सांखला, विप्र फाउण्डेशन जगदीश प्रसाद पारीक, आवामी इत्तेहाद मजलिश साबिर खां लाडवाण व बाबूलाल लखारा, नूर फाउण्डेशन नौशाद अली सिसोदिया, अखिल भारतीय अनुसूचित जाति परिषद कालूराम गेनाणा, अग्रवाल सभा हरिप्रसाद मित्तल, बार संघ रविन्द्र सिंह व छोगाराम बुरड़क, प्रजापति समाज सेवा समिति बाबूलाल प्राजपत, सरपंच संघ गणेश चबराल व बेगाराम पूनियां, माहेश्वरी समाज सुरेश जाजू व बृजेश माहेश्वरी, दुर्गा दल सेवा समिति से चौथमल किल्ला आदि ने अभिनन्दन पत्र आचार्य के चरणों में समर्पित किए।