6 दिसंबर 2025,

शनिवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

मम्प्स के तांडव से नौनिहाल परेशान, तेजी से फैल रहा संक्रमण

बीते एक पखवाड़े से मौसम में हो रहे बदलाव का असर अब शहर के बच्चों पर पड़ रहा है। कभी सर्दी तो कभी बारिश तो कभी हल्की गुलाबी ठंड ने मम्प्स वायरस को चेता दिया है। बच्चों में इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जिसके संक्रमण से प्रभावित होकर रोज बच्चे अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। पंखा सर्किल रोड़ स्थित राजकीय नैत्र चिकित्सालय के आंख, नाक व गला रोग विशेषज्ञ के यहां बच्चों की भीड़ लगने लगी है।

2 min read
Google source verification
ch05aaa.jpg

चूरू. बीते एक पखवाड़े से मौसम में हो रहे बदलाव का असर अब शहर के बच्चों पर पड़ रहा है। कभी सर्दी तो कभी बारिश तो कभी हल्की गुलाबी ठंड ने मम्प्स वायरस को चेता दिया है। बच्चों में इसका संक्रमण तेजी से फैल रहा है। जिसके संक्रमण से प्रभावित होकर रोज बच्चे अस्पतालों में पहुंच रहे हैं। पंखा सर्किल रोड़ स्थित राजकीय नैत्र चिकित्सालय के आंख, नाक व गला रोग विशेषज्ञ के यहां बच्चों की भीड़ लगने लगी है। अस्पताल प्रशासन के मुताबिक बीते एक सप्ताह से मम्प्स वायरस से संक्रमित करीब 6 बच्चे रोज अस्पताल आ रहे हैं। आने वाले दिनों में इनकी संख्या और बढेगी।

ऐसे फैलता है वायरस
इएनटी विशेषज्ञों के मुताबिक मम्प्स वायरस हवा में रहता है। इससे संक्रमित रोगी के संपर्क में आने पर ये उसे संक्रमित कर देता है। वायरस सबसे अधिक छोटी उम्र के बच्चों को अपनी चपेट में लेता है। इस तरह के मौसम में ये सबसे अधिक प्रभावशाली होता है। इससे संक्रमित रोगी को सामान्य दर्द निवारक व एंटिबॉयोटिक दवाएं दी जाती है। इसका असर पांच दिन तक रहता है। इसके बाद रोगी को पूरी तरह से स्वस्थ होने में करीब 15 दिन लग जाते हैं।

ये हैं वायरस के लक्षण
चिकित्सकों के मुताबिक मम्प्स वायरस से संक्रमित रोगी के गले में सूजन आ जाती है। इसके अलावा तेज बुखार, बदन दर्द आदि की शिकायत रहती है। रोगी को भोजन निगलने में तकलीफ होती है। कान व गले के आसपास तेज दर्द होता है। पेरोटिड ग्लैंड्स को यह वायरस सबसे अधिक प्रभावित करता है। चिकित्सकों के मुताबिक मम्प्स वायरय से संक्रमित रोगी को करीब 5 दिन तक होम आइशोलेसन में रखना चाहिए, जिससे कोई और इससे संक्रमित ना हो। इसके अलावा बच्चों को स्कूल भेजने से परहेज करना चाहिए। घर से बाहर जाते समय मुहं पर मास्क पहनकर निकलना चाहिए।

इस तरह के भोजन से करें परहेज

चिकित्सकों के मुताबिक मम्प्स से संक्रमित रोगी को ठोस आहार के प्रयोग से बचना चाहिए। इसके अलावा खट्टे पदार्थों, मसालेदार व अधिक चिकनाई वाले भोजन से भी परहेज करना चाहिए। ऐसे समय में रोगी को हल्का भोजन व तरल पदार्थों का अधिक सेवन करना चाहिए। चिकित्सकों के मुताबिक रोगी को हर एक घंटे बाद खाना व तरल पदार्थ लेने चाहिएं।

इस बार बदला म्यूटेन

मम्प्स वायरस ने इस बार अपना म्यूटेन बदला है। चिकित्सकों के मुताबिक मम्प्स की चपेट में पहली बार ३० से ४० साल की उम्र के लोग आ रहे हैं। इससे पहले यह केवल 5 से 15 साल तक के बच्चों को ही संक्रमित करता था। चिकित्सकों के मुताबिक इसके म्यूटेन बदलने को लेकर रिसर्च चल रही है।

इनका कहना है :
शहर में मम्प्स वायरस के संक्रमण के रोगी के बढ रहे हैं। चिकित्सकों की पूरी टीम इससे निपटने के लिए तैयार है। अस्पतालों में दवाओं का स्टॉक पूरा है। हालांकि इसका असर 5 दिन तक रहता है। रोगी को साधारण दर्द निवारक व एंटी बायोटिक दवा दी जाती है।
डॉ. हनुमान जयपाल, अधीक्षक, राजकीय डीबी अस्पताल, चूरू
इस बार मम्प्स के वायरस ने अपना म्यूटेन बदला है। जिसके कारण बच्चों के अलावा 30 से 40 साल के युवा भी इसकी चपेट में आकर बीमार हो रहे हैं। अस्पताल में इससे संक्रमित रोगियों की संख्या बढ रही है। बीते एक सप्ताह में ही प्रतिदिन छह से सात के बीच रोगी आ रहे हैं।
डॉ. राकेश साबू, इएनटी विभागध्यक्ष, राजकीय नैत्र अस्पताल, चूरू