एलिस्टर कुक ने 2010 में इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। उन्होंने बतौर कप्तान पहले पांच मैचों में पांच शतक जड़े थे।
India vs England 2nd Test: भारत और इंग्लैंड के बीच दूसरा टेस्ट बर्मिंघम के एजबेस्टन स्टेडियम में खेला जा रहा है। इस मुक़ाबले के पहले दिन भारतीय कप्तान शुभमन गिल ने शानदार बल्लेबाजी करते हुए शतक लगाया है। यह उनके करियर का 7वां और बतौर कप्तान लगातार दूसरा शतक है। इससे पहले उन्होंने लीड्स टेस्ट की पहली पारी में भी शतक लगाया था। इसी के साथ गिल बतौर कप्तान अपने पहले दो मुकाबलों में लगातार शतक लगाने वाले चौथे भारतीय खिलाड़ी बन गए हैं।
जहां गिल ने बतौर पहले दो मुकाबलों में शतक लगाकर सुर्खियां बटोरी हैं। वहीं एक ऐसा खिलाड़ी भी है जिसने कप्तान बनाने के बाद पहले पांच मुकाबलों में लगातार शतक ठोके थे। यह और कोई नहीं बल्कि इंग्लैंड के महान बल्लेबाज एलिस्टर कुक हैं। एलिस्टर कुक ने 2010 में इंग्लैंड के टेस्ट कप्तान के रूप में अपनी यात्रा शुरू की थी। बांग्लादेश के खिलाफ नियमित कप्तान एंड्रयू स्ट्रॉस नहीं खेल रहे थे। ऐसे में कुक ने कप्तानी की और दो टेस्ट में शानदार दो शतक जड़े।
इसके बाद, 2012 में भारत दौरे पर उन्होंने अपनी बल्लेबाजी का जलवा बिखेरते हुए पहले तीन टेस्ट में शतक बनाए। भारत की मुश्किल परिस्थितियों में, जहां स्पिन गेंदबाजी का दबदबा रहता है। वहां कुक ने तीन शतकों के साथ इंग्लैंड को ऐतिहासिक जीत दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इस तरह, कप्तान के तौर पर अपने पहले पांच टेस्ट मैचों में लगातार पांच शतक लगाकर कुक ने एक ऐसा विश्व रिकॉर्ड बनाया, जो आज तक कोई दूसरा कप्तान नहीं तोड़ सका। खास बात यह है कि इन पांच शतकों में से तीन पारियों में कुक ने 170 से अधिक रन बनाए।
गिल ने बतौर कप्तान अपने पहले दो टेस्ट मैच में शतक लगाकर एक खास क्लब में एंट्री की है। वे ऐसा करने वाले चौथे भारतीय कप्तान हैं। इससे पहले विराट कोहली, विजय हजारे और सुनील गावस्कर ऐसा कर चुके हैं। कोहली ने बतौर कप्तान अपने पहले तीन मुकाबलों में शतक जड़े थे। इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका के जैकी मैकग्लिव ने भी कप्तान के रूप में अपने पहले दो टेस्ट मैचों में शतक लगाने का कारनामा किया है।
ऑस्ट्रेलियाई बल्लेबाज़ स्टीव स्मिथ ने जब कप्तानी का जिम्मा संभाला, तो उन्होंने अपने पहले तीन टेस्ट मैचों में लगातार तीन शतक ठोक डाले थे। हालांकि, चौथे टेस्ट में वह यह सिलसिला जारी नहीं रख सके, लेकिन उनकी कप्तानी की शुरुआत को अब तक की सबसे प्रभावशाली शुरुआतों में गिना जाता है।