
भारतीय मूल के 82% लोग हुए नस्लवाद के शिकार, आईसीईसी रिपोर्ट में हुआ बड़ा खुलासा।
ICEC Report : इंडिपेंडेंट कमीशन फॉर इक्विटी इन क्रिकेट (आईसीईसी) की ओर से खेल में नस्लवाद को लेकर 317 पन्नों की एक विस्तृत रिपोर्ट दी गई है। इस रिपोर्ट में कहा गया है कि खेलों में नस्लवाद पर अंकुश लगाने के लिए उठाए गए कदमों के बावजूद यह कुछ व्यक्तिगत घटनाओं तक ही सीमित नहीं है। सबूतों से स्पष्ट होता है कि क्रिकेट में नस्लवाद एक गंभीर मुद्दा है। चौंकाने वाली बात ये है कि इंग्लैंड में भारतीयों को सबसे ज्यादा नस्लवाद का सामना करना पड़ा है। रिपोर्ट के अनुसार, 82 प्रतिशत भारतीय मूल के लोगों ने नस्लवाद का अनुभव किया है। हालांकि खेलों में नस्लवाद के सबूत मिलने के बाद इंग्लैंड और वेल्स क्रिकेट बोर्ड ने इसका सामना करने वाले लोगों से खुले तौर पर माफी मांगी है। साथ ही कहा कि वह इसको लेकर अगले तीन महीने में कार्ययोजना तैयार करेंगे।
आईसीईसी रिपोर्ट से पता चला कि 4,000 से अधिक लोगों से बात की गई, जिसमें से लगभग 50 प्रतिशत प्रतिवादियों ने पिछले पांच वर्षों में भेदभाव का अनुभव करने की बात कही है। नैतिक रूप से विविध समुदायों के लोगों के लिए यह आंकड़ा अधिक बढ़ गया है। रिपोर्ट के अनुसार, 87 प्रतिशत पाकिस्तानी और बांग्लादेशी, 82 प्रतिशत भारतीय मूल वाले और 75 प्रतिशत काले प्रतिवादी हैं।
भारत और इंग्लैंड टेस्ट मैच के दौरान घटी थी घटना
बता दें कि 2021 में एजबेस्टन में भारत और इंग्लैंड टेस्ट मैच के दौरान भारतीय फैंस के एक वर्ग के साथ नस्लीय दुर्व्यवहार किया गया था। मामला सोशल मीडिया पर वायरल होने के बाद विभिन्न आरोप लगाए गए, जिसके बाद से जांच चल रही थी। उस दौरान न केवल भारतीय बल्कि पाकिस्तानी फैंस को भी इंग्लैंड के फैंस से काफी नस्लवाद का सामना करना पड़ा है।
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जानें क्या बोले आईसीईसी अध्यक्ष सिंडी बट्स
आईसीईसी अध्यक्ष सिंडी बट्स ने बताया कि हमारे रिपोर्ट से स्पष्ट होता है कि जातिवाद, वर्ग आधारित भेदभाव, अभिजात्यवाद और लिंगवाद गहरी जड़ें जमा चुके हैं। हमें खेल के इस तथ्य का सामना करना होगा कि यह मजाक या सिर्फ कुछ खराब बातें नहीं हैं। भेदभाव उजागर हुआ है और क्रिकेट के भीतर संरचनाओं और प्रक्रियाओं में निहित है।
ईसीबी अध्यक्ष ने मांगी माफी
ईसीबी के अध्यक्ष रिचर्ड थॉम्पसन ने एक बयान जारी कर कहा है कि ईसीबी और खेल नेतृत्व की ओर से वह उन लोगों से बिना कोई शर्त माफी मांगते हैं, जिन्हें कभी क्रिकेट से बाहर रखा हो या ऐसा अहसास कराया गया कि वे क्रिकेट से बाहर हैं। अब वह खेल के प्रतिनिधियों के साथ मिलकर इस पर काम करेंगे। इसके साथ ही अगले तीन महीनों में एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी, जो आईसीईसी की 44 सिफारिशों के अनुरूप होगी।
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Published on:
27 Jun 2023 01:36 pm
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