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‘मैंने कैंसर को हराया क्योंकि मैं क्रिकेट खेलना चाहता था’- उत्तराखंड के ‘युवराज’ की भावुक कहानी

उत्तराखंड के कमल ने कैंसर को हराकर क्रिकेट के मैदान में वापसी की। सभी कमल के हौंसले की तारीफ कर रहे हैं। जानिए उत्तराखंड के 'युवराज' की असली कहानी।

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Uttarakhand Ranji player kamal singh defeated cancer yuvraj singh

फोटो क्रेडिट- क्रिकबज

लक्ष्य को प्राप्त करने का सबसे आसान तरीका निरंतर प्रयास करना हैं। कुछ ऐसा ही कमाल कर दिखाया है उत्तराखंड रणजी टीम के खिलाड़ी कमल सिंह कनिहाल ने। कमल की कहानी सुनकर किसी के भी रोंगटे खड़े हो जाएंगे। कमल सिंह ने क्रिकबज को दिए इंटरव्यू में अपने जीवन को लेकर बहुत बड़ा खुलासा किया। उन्होंने कहा कि मैंने कैंसर को हराया क्योंकि मैं क्रिकेट खेलना चाहता था।


कमल ने इस बार बड़ी पारियां खेली

उत्तराखंड की रणजी टीम ने इस बार बेहतर खेल दिखाया। अपने प्रदर्शन से उन्होंने सभी को प्रभावित किया। टीम इस बार नॉकआउट राउंड तक पहुंची। हालांकिक्वार्टरफाइनल में मुंबई के खिलाफ 725 रनों से हार का सामना उत्तराखंड की टीम को करना पड़ा था। ये बहुत बड़ी हार इस बार उत्तराखंड को मिली थी। खैर टीम को यहां तक पहुंचाने में कमल का बहुत बड़ा योगदान रहा था। कमल ने आठ पारियों में 229 रन बनाए। कमल ने इससे पहले विजय हजारे ट्रॉफी में भी शानदार प्रदर्शन किया था। कमल दिग्गज क्रिकेटर गौतम गंभीर को अपना आइडल मानते हैं। दरअसल कमल जब कैंसर का ईलाज करा रहे थे तब उन्हें युवराज सिंह का उदाहरण दिया जाता था। डॉक्टर से लेकर सभी घरवाले उन्हें युवराज सिंह का उदाहरण देते थे। शायद इस वजह से ही कमल को हौंसला मिलता था।

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कमल को हुआ था कैंसर

कमल ने बताया कि, मुझे 14 साल की उम्र में ब्लड कैंसर हो गया था। इसका अहसास तक मुझे नहीं था। डॉक्टर ने हमसे ईलाज के लिए नोएडा जाने के लिए कहा। मेरी पढ़ाई इसके बाद बंद हो गई। क्रिकेट खेलना भी बंद हो गया था। उस उम्र में मुझे इस बीमारी के बारे में बिल्कुल भी पता नहीं था। मुझे लगा कि ये एक नॉर्मल बीमारी है। जब मुझे पता चला कि ये कैंसर है तब तक मैं इलाज का आदी हो गया था। मैंने हिम्मत नहीं हारी और वापस जाकर क्रिकेट खेलने की सोच ने मुझे हिम्मत दी। मैंने कैंसर को हराया क्योंकि मैं क्रिकेट खेलना चाहता था।

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