
नई दिल्ली। भारतीय रक्षा मंत्रालय ने चीन व पाकिस्तान जैसे देशों की खुफिया
एजेंसियों द्वारा भारत के रक्षा मामलों में जासूसी के खतरों से एक बार फिर अलर्ट
जारी किया है। साइबर सुरक्षा में सेंध लगाकर सूचनाएं लीक होने की संभावना को देखते
हुए ही रक्षा मंत्रालय की ओर से इस संबंध में भारतीय रक्षा प्रतिष्ठान ने ताजा रेड
अलर्ट जारी किया है। इसके तहत विदेशी एजेंसियों खासकर चीन और पाकिस्तान की ओर से
इंटरनेट घुसपैठ के प्रति सर्तक रहने के लिए कहा गया है ।
गृह मंत्रालय और
कुछ अन्य जगहों से मिले इनपुट के बाद रक्षा मंत्रालय ने सशस्त्र सेना बल और अन्य
प्रतिष्ठानों को नए सुरक्षा मानकों के तहत विशेष रूप से सर्तक रहने के लिए
दिशा-निर्देश जारी किया है। 12 मार्च को इस ओर जारी रक्षा मंत्रालय के दिशा-निर्देश
में कहा गया है कि रक्षा कर्मियों, विशेष रूप से सशस्त्र बलों से संबंधित संगठन,
सशस्त्र बलों से संबंधित मामलों में सेवारत कर्मचारी और अधिकारी विदेशी खुफिया
जासूसी प्रयासों और एजेंट का लक्ष्य हो सकते हैं। ऎसे सुरक्षाकर्मी जिनके पास
संवेदनशील जानकारियां हैं वे विदेशी खुफिया संस्थाओं के जासूसों के निशाने पर है।
इसके तहत फोटोकॉपी करने वाली मशीनों की निगरानी, ठेके पर लगाए गए कर्मचारियों का
पुलिस सत्यापन, गोपनीय मामलों से जुड़े विभागों में प्रवेश पर पाबंदी और कॉलर आईडी
की नकल पर विशेष ध्यान देने को पाबंद किया गया है।
इसमें विशेष रूप से
साइबर सुरक्षा और कंप्यूटर से जुड़े निर्देशों को लेकर आगाह किया गया है, जिसमें
एक्सेस कंट्रोल को और कड़ा करना, सुरक्षित और असुरक्षित नेटवर्क के बीच काम होने पर
उपयुक्त फायरवॉल का इस्तेमाल करने और डिजीटल स्टोरेज डिवाइस को कम काम में लेने को
कहा गया है। दिलचस्प बात यह भी है कि चीन ने अपने मासिक पत्रिका द साइंस ऑफ
मिलिट्री स्ट्रैटजी के ताजा अंक में पहली बार यह स्वीकार किया है कि उसकी सेना के
पास विशेष साइबर युद्ध इकाइयां हैं। एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि चीन नियमित तौर
पर भारत, अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी जैसे देशों के कंप्यूटर नेटवर्क में घुसपैठ की
कोशिश करता रहता है।
Published on:
23 Mar 2015 10:26 pm
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