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दिल्ली हिंसा में सात पत्रकार हुए घायल, पहले पूछा धर्म और फिर किया हमला

सीएए का विरोध बना सांप्रदायिक और दो समुदायों के बीच बढ़ी लड़ाई। दंगाइयों द्वारा धर्म पूछने के बाद पत्रकारों को बनाया जा रहा है निशाना। बलवाइयों के पास हर तरह के हथियार और हमले के सामान हैं मौजूद।

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delhi violence journalist injured

Zero Ground Situation Updates by Anurag Mishra

नई दिल्ली। उत्तर-पूर्वी दिल्ली में फैली हिंसा किसी अलग मोड़ पर ही जाती दिख रही है। नागरिकता संशोधन अधिनियम (CAA) के विरोध और समर्थन में शुरू हुआ प्रदर्शन कब सांप्रदायिक बन गया पता नहीं चल पाया। आलम यह है कि मंगलवार को दिल्ली हिंसा की रिपोर्टिंग करने पहुंचे सात पत्रकार गंभीर रूप से घायल हो गए। इन पत्रकारों से पहले उनका धर्म पूछा गया और फिर इन पर हमला किया गया।

ग्राउंड जीरो पर मौजूद पत्रिका संवाददाता अनुराग मिश्रा इस पूरे घटनाक्रम पर नजर बनाए हुए हैं। मंगलवार को चांदबाग, मौजपुर, जाफराबाद एक्सटेंशन और जाफराबाद मेट्रो एक्सटेंशन इलाकों में 11 बजे से चार बजे के बीच सात पत्रकार घायल हुए।

दंगाई हाथों में हर वो हथियार लिए नजर आए जिसे सोचा भी नहीं जा सकता। इनमें बाइक-कार के शॉकर, तलवार-चापड़, बल्लम-चाकू, नुकील डंडे, तमंचे, गुलेल समेत हर वो चीज थी, जिसका इस्तेमाल इंसानों को घायल करने में किया जाता है।

दंगाई इलाकों के हिसाब से मौजूद हैं और दूसरे समुदाय को निशाना बनाने के साथ ही पत्रकारों पर हमले कर रहे हैं। मंगलवार को इस हिंसा में घायल हुए सात पत्रकारों में एनडीटीवी के तीन, जेके 24X7 का एक और दो अन्य मीडिया संस्थानों के थे।

एक पत्रकार के तो तीन दांत तोड़ दिए गए। एक पत्रकार का सिर फोड़ डाला गया। जबकि एक पत्रकार के पैर में तलवार से हमला किया गया। इन हमलों के दौरान एक महिला पत्रकार भी घायल हुई।

दंगाई पत्रकारों पर टार्गेट करके हमला कर रहे हैं। पत्रकारों से पूछा जा रहा है कि वो किस धर्म के हैं। एक संप्रदाय विशेष इलाके में दूसरी कौम के पत्रकार की मुसीबत है तो दूसरे धर्म के इलाके में अलग धर्म के पत्रकार पर आफत। इतना ही नहीं, दंगाई मीडिया संस्थानों के हिसाब से भी पत्रकारों पर हमले कर रहे हैं।

पत्रकारों को टार्गेट करने के लिए दंगाई उनकी वेश-भूषा, डील-डौल, गले-हाथ में पहनी गई चीजें और उनकी बोलचाल को देखा जा रहा है।

इलाके में रिपोर्टिंग का आलम यह है कि कई पत्रकार सुरक्षा के लिहाज से ना केवल हेलमेट बल्कि बुलेट-प्रूफ जैकेट पहनकर मौजूद हैं।

पुलिस भी इन इलाकों में दंगाइयों के सामने हल्की नजर आ रही है। इसकी संभवता वजह यही है कि उनके पास कार्रवाई के अधिकार नहीं हैें। वो दंगाइयों को तितर-बितर करने, उन्हें चेतावनी देने और डंडा फटकारने के लिए ही तैनात किए गए हैं।

ब्रह्मपुरी इलाके में फायरिंग हुई, तो सुभाष पार्क में भी हिंसा हुई। दंगाई हाथ में तलवारें-भाले-तमंचे लहराते हुए बेधड़क होकर चुनौती देते नजर आ रहे हैं।